मेरे बालों को सहलाकर
उनमें से जूँ निकालने के बहाने
चुपके से
मेरे दो-चार सफेद बालों को उखाड़ देने की तुम्हारी कला
आयु भर प्रासंगिक रहेगी
क्योंकि जब मैं बूढ़ा होने लगूँगा
तो मुझे दुनिया की सारी चिंताओं से परे ले जाकर
तुम मुझे फिर से जवान कर दोगी
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आध्यात्मिक प्रेम
तुम्हारे साथ
समय कैसे बीत जाता है
पता ही नहीं चलता।
यह समय जलती हुई सिगरेट के
ख़त्म होने जैसा होता है
जिसके बाद कुछ बचता है तो केवल चिढ़ और मलाल।
तभी कभी-कभी लगता है
कि भौतिक क्षणों को छोड़
मैं आध्यात्मिक क्षणों को प्राथमिकता दूँ
क्योंकि जब यह समय नहीं होगा
सृष्टि नहीं बचेगी
तब भी जीवित रहेगा
अपना यह शाश्वत-सा
आध्यात्मिक प्रेम
जो हमें सीधा ईश्वर तक ले जाएगा
बिना किसी ढोंग-ढकोसले के।
– शिवम खेरवार