कविता-कानन
इच्छा
जब हम खरीदते हैं कोई फुटकर सामान
या देते हैं बस का किराया
तब दुकानदार, बस कंडक्टर को
नए नोटों के बीच से तलाश कर देते हैं
पुराने नोट को
लेकिन
दुकानदार या कंडक्टर के हाथों में जब छूटे नोट
लहराते देखते हैं
तब इच्छा होती है
पाने को नए नोट
उस समय हम भूल जाते हैं कि
दुनिया वही वही दे सकती है
जो हम दुनिया को देते हैं।
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दुनिया का विचार
दुनिया की सारी पत्तियाँ
जब खुशी से
हवा में झूमकर
लहलहाने लगती है,
तब एक खूबसूरत फूल के खिलने का
इंतजार खत्म होता है।
दुनिया के सारे फूल खिल-खिलकर जब
दिलों में गमकने लगते हैं
तब धरती का कोई एक फल
अपने में मिठास भरना
शुरू कर देता है
दुनिया के सारे फल जब
पत्तियों के साए में,
फूलों के निगहबानी में
अपने-अपने तरीके से
स्वादिष्ट बन चुके होते हैं।
तब कहीं कोई अदना-सा स्वर फूट पड़ता है
और धीरे-धीरे किसी मजबूत विचार में
तब्दील होने लगता है।
और जब उस विचार में
दुनिया की सारी पत्तियों की हरियाली,
दुनिया के सारे फूलों की सुगंधी ,
दुनिया के सारे फलों की ऊर्जा,
दुनिया के सारे स्वरों की शक्ति ,
समाविष्ट हो जाती है, तो वह विचार पूरी दुनिया का सबका
विचार कहलाने लग जाता है।
– दिनेश कुमार