(विज्ञान कथा)
अंतरिक्ष-यान ‘इंडियाना’ की मुख्य चालक कमांडर अल्पना चावला थी। इस अंतरिक्ष-यान में चार और पुरुष अंतरिक्ष-यात्री थे। श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष-केंद्र से कुछ साल पहले सन् 2510 में उड़ान भरने के बाद यह यान हमारे सौर-मंडल से बाहर निकल चुका था। लेकिन श्रीहरिकोटा से इसका सम्पर्क अब भी बना हुआ था। अब ‘इंडियाना’ अंतरिक्ष-यान एंड्रोमेडा गैलेक्सी में वहाँ के एक सितारे ‘ अल्फ़ा-सेंटौरी ‘ के सौरमंडल में उड़ान भर रहा था।
अचानक उन्हें अपने अंतरिक्ष-यान के स्क्रीन पर एक बड़ा-सा ग्रह दिखाई दिया। दूर से वह भी पृथ्वी की तरह नीला, हरा और भूरा लग रहा था। अंतरिक्ष-यान के सभी यात्री बेहद उत्साहित हो गए। इस ग्रह पर जीवन की सम्भावना थी। कुछ दिनों की यात्रा के बाद अंतरिक्ष-यान ‘ इंडियाना’ उस ग्रह की कक्षा में पहुँच गया।
खगोलीय यात्रा के इतिहास में यह पहली बार हुआ था कि किसी दूसरी आकाशगंगा के सितारे के किसी ग्रह पर मनुष्य कदम रखने जा रहा था। श्रीहरिकोटा से लगातार संपर्क बना हुआ था। लेकिन जब अंतरिक्ष-यान उस ग्रह की धरती पर उतरने वाला था तभी अचानक उसका सम्पर्क श्रीहरिकोटा से टूट गया। दोनों ओर के वैज्ञानिकों ने आपस में दोबारा संपर्क स्थापित करने की बहुत कोशिश की किंतु उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। अंत में श्रीहरिकोटा केंद्र ने अंतरिक्ष-यान ‘ इंडियाना’ को ‘अंतरिक्ष में खो गया’ करार दे दिया।
इस घटना के कुछ वर्षों के बाद श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष-केंद्र से एक और अंतरिक्ष-यान ‘ इंडियाना-2’ ने उड़ान भरी। इसका उद्देश्य खो गए पहले अंतरिक्ष-यान ‘इंडियाना’ के बारे में पता लगाना था।
अंतरिक्ष में कुछ वर्षों की उड़ान के बाद अब ‘इंडियाना-2’ भी एंड्रोमेडा गैलेक्सी के सितारे अल्फ़ा सेंटौरी के सौरमंडल में उड़ान भर रहा था। अंत में यह यान भी उस पृथ्वी जैसे दिखने वाले नीले, हरे, भूरे ग्रह की कक्षा में पहुँच गया।
इस अंतरिक्ष-यान ‘ इंडियाना-2 ‘ का नेतृत्व कुशल और अनुभवी अंतरिक्ष-यात्री कमांडर भरत सिंह कर रहे थे। उनके दल में पाँच अन्य पुरुष अंतरिक्ष-यात्री मौजूद थे। अब तक इस अंतरिक्ष-यान का संपर्क श्रीहरिकोटा से बना हुआ था।
कमांडर भरत सिंह ने एक छोटे अंतरिक्ष-यान को इस ग्रह की सतह पर उतारने का फ़ैसला किया। मूल यान और अन्य अंतरिक्ष-यात्री इस ग्रह की कक्षा में ही चक्कर लगाने वाले थे। कमांडर भरत और एक और अंतरिक्ष-यात्री फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट सुरेंद्र कुमार का दल एक छोटा अंतरिक्ष-यान ले कर उस ग्रह पर उतरने के लिए उड़ चले। बादलों को चीरते हुए जब वे इस ग्रह की धरती पर नीचे पहुँचे तो वहाँ पृथ्वी जैसी सभ्यता देख कर वे हैरान रह गए।
अंतरिक्ष-यान एक बड़े-से मैदान में आसानी से उतर गया। क़िस्मत की बात यह थी कि इस ग्रह के वायुमंडल में भी ऑक्सीजन मौजूद थी। कमांडर भरत अंतरिक्ष-यान से नीचे धरती पर उतरे। उन्हें स्पेस-सूट और ऑक्सीजन-सिलिंडर की आवश्यकता नहीं महसूस हुई। यहाँ का पूरा वातावरण प्रदूषण-रहित पृथ्वी जैसा ही था। फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट सुरेंद्र कुमार छोटे अंतरिक्ष-यान में ही बैठे रहे ताकि किसी भी आपात स्थिति में वे अपने यान को उड़ा कर इस ग्रह की कक्षा में घूम रहे इंडियाना-2 के पास भाग खड़े हों।
कमांडर भरत अभी अंतरिक्ष-यान से निकले ही थे कि उन्हें सात फुट की हट्टी-कट्टी दर्जन भर महिला सैनिकों ने घेर लिया। उनके हाथों में लेज़र-गन जैसे ख़तरनाक हथियार थे। कमाल की बात यह थी कि ये महिला सैनिक हिंदी भाषा जानती थीं। वे कमांडर भरत को बंदी बना कर अपनी रानी के पास ले गईं।
“ अमेज़ोनियन वीमेन, “ कमांडर भरत के मुँह से निकला।
कमांडर भरत के हैरानी की तब कोई सीमा नहीं रही जब उन्होंने इन महिलाओं की रानी को देखा। दरअसल वह रानी और कोई नहीं बल्कि कुछ वर्ष पहले खो गए अंतरिक्ष-यान ‘इंडियाना’ की मुख्य चालक कमांडर अल्पना चावला थी।
अल्पना चावला ने बताया कि उनका अंतरिक्ष-यान ‘ इंडियाना’ इस ग्रह पर उतरते समय ख़राब मौसम की वजह से क्रैश हो गया था। उसके सारे सह-यात्री उस दुर्घटना में मारे गए थे। इस ग्रह पर लम्बी-तगड़ी महिलाओं का शासन था। इस ग्रह की अमेज़ोनियन महिलाओं ने अल्पना चावला को अपने बीच सहर्ष स्वीकार कर लिया। धीरे-धीरे वह यहाँ लोकप्रिय हो गई। अल्पना ने इस ग्रह की महिलाओं को हिंदी सिखाई। और भी कई चीज़ें सिखाईं। वे सब उसका सम्मान करने लगे। कुछ महीने पहले इस ग्रह की महिलाओं ने अल्पना चावला को इस ग्रह की रानी बना दिया।
यहाँ की महिलाओं ने पहले कभी कोई पुरुष नहीं देखा था। यहाँ संतान-उत्पत्ति प्रयोगशाला में किसी विकसित तकनीक के माध्यम से होती थी। सभी महिलाएँ ‘लेस्बियन’ थीं। वे आपस में ही यौन-सम्बन्ध स्थापित कर लेती थीं। इसलिए कमांडर भरत इस ग्रह की महिलाओं के लिए एक अजूबा थे। वे उन्हें छू-छू कर देख रही थीं। कमांडर भरत उनके लिए एक अद्भुत जीव थे। वे सब बेहद कौतूहल से भरी हुई थीं।
रात में जब सब सो गए तो रानी अल्पना चावला कमांडर भरत से मिलने उनके शयन-कक्ष में पहुँची। भरत ने रानी अल्पना से पूछा, “ क्या आपको पृथ्वी की याद नहीं आती?”
“आती तो है। पर अब मैं यहाँ रानी बन गई हूँ और सुख से हूँ।“ अल्पना चावला ने जवाब दिया।
इस पर कमांडर भरत ने उनसे पूछा कि क्या वह वापस पृथ्वी पर लौटना चाहेंगी। भीगी आँखों से रानी अल्पना चावला ने पृथ्वी पर वापस लौटने से इंकार कर दिया।
वह बोली, “मैं यहाँ ख़ुश हूँ। अब मेरी नियति इसी ग्रह की महिलाओं के साथ जुड़ गई है। कमांडर भरत , आप मुझे मेरी दुनिया में छोड़ कर वापस लौट जाइए।“
रात के अँधेरे में रानी अल्पना की मदद से कमांडर भरत रानी से विदा ले कर अपने छोटे अंतरिक्ष-यान में वापस लौट गए। कमांडर भरत का वह छोटा अंतरिक्ष-यान उड़ चला और इस ग्रह की कक्षा में घूम रहे बड़े अंतरिक्ष-यान ‘ इंडियाना-2’ से जा जुड़ा। उस पर मौजूद बाक़ी सभी अंतरिक्ष-यात्रियों ने कमांडर भरत और अपने अन्य सहयोगी यात्री सुरेंद्र कुमार का स्वागत किया।
श्रीहरिकोटा से सम्पर्क होने पर कमांडर भरत ने उन्हें बताया, “इस ग्रह पर ख़तरनाक ‘ एलियंस’ का वास है। वे मुझे बंदी बना पाते इससे पहले ही मैं भागने में सफल हो गया। सम्भवत: इन्होंने हमसे पहले यहाँ आए ‘इंडियाना’ अंतरिक्ष-यान के सभी अंतरिक्ष-यात्रियों को मार डाला है। ग्रह की धरती पर अंतरिक्ष-यान ‘ इंडियाना’ का कोई नामो-निशान मौजूद नहीं हैं। यह ग्रह हमारे रहने के लिए उपयुक्त नहीं है।“
अंतरिक्ष-यान ‘ इंडियाना-2’ वापस हमारे सौर-मंडल और हमारी पृथ्वी की लम्बी, कठिन यात्रा पर उड़ चला। इस अजनबी ग्रह का रहस्य पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए हमेशा रहस्य ही बना रहा।