मूल कवयित्री :
इरम रहमान, लाहौर, पाकिस्तान
अनुवाद :
प्रा. ख़ान हसनैन आक़िब, भारत
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इरम रहमान, लाहौर, पाकिस्तान
अनुवाद :
प्रा. ख़ान हसनैन आक़िब, भारत
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मेरे मसीहा!
अब रात के अंधेरे से डर नहीं लगता
तुम्हारी चाहत के जुगनू
मेरे ख़्वाबों की गगन चुंबक चोटियों पर
सूरज की तरह
चमचमाते रहते हैं
मेरे मसीहा!
मेरी आँखों को
अब हर मंज़र हसीन लगता है
कि तुम्हारे इश्क़ ने
अश्कों से झिलमिलाती मेरी आँखों में
इंद्रधनुष के ऐसे ऐसे रंग बिखेर दिए हैं
कि उन से निगाह हटती ही नहीं
मेरे मसीहा!
चारों ओर स्वयं अपनी ही पूजा करने वाले देवताओं ने
जो दीवारें खड़ी कर रखी हैं
कुशादा और खुले ज़हनों को
अपनी ग़ुलामी की
बदबूदार सोचों के क़ैद ख़ानों में
जकड़ रखा है
इस की बदबू मेरे नथुनों को
अब अधिक प्रभावित नहीं करती
क्योंकि तुम्हारी सच्चाई की ख़ुशबू मुझे घेरे हुए होती है
मैं ख़ुश हूं कि अगर कभी तुम मेरे साथ
न भी चलो
तो तुम्हारा एहसास मुझे
कभी अजनबियों की भीड़ में
तन्हा नहीं होने देता
कभी खोने नहीं देता
कभी रोने नहीं देता।
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नाश्ता कर लो!
रात भर के जागे हुए
थकन से बदन चुराते
मेहनत को मुँह चिढ़ाते
सारा दिन ख़ुद को कामों में
मसरूफ़ रखते हो
सारे जहां का ख़याल ख़ूब रखते हो
तन मन से बेगाना
अपने आप से ग़ाफ़िल
ख़ुद को ज़िम्मेदारियों के हुजूम में मशग़ूल रखते हो
कुछ लम्हे अपने लिए भी तो निकालो
जो आरज़ू है
तमन्ना है ज़िंदगी में
उनमें से कुछ तो पूरी कर डालो
छोड़ दो सारी फ़िकरें
छोड़ दो हर मुनाफ़िक़ और झूठा दोस्त
छोड़ दो हर दोग़ला, कमज़ोर रिश्ता
और जीने का फिर से निर्धार करो
सुबह उठते ही काम पर ना लग जाओ
ख़ुद को भी कुछ समय दो
ताज़ा-दम हो जाओ
इस से पहले कि
दुनिया की गहमागहमी
तुम्हें जकड़ ले
हर खटाई में पड़ा काम तुम्हें पकड़ ले
उठो, चलो
नाश्ता कर लो मेरी जान!
थकन से बदन चुराते
मेहनत को मुँह चिढ़ाते
सारा दिन ख़ुद को कामों में
मसरूफ़ रखते हो
सारे जहां का ख़याल ख़ूब रखते हो
तन मन से बेगाना
अपने आप से ग़ाफ़िल
ख़ुद को ज़िम्मेदारियों के हुजूम में मशग़ूल रखते हो
कुछ लम्हे अपने लिए भी तो निकालो
जो आरज़ू है
तमन्ना है ज़िंदगी में
उनमें से कुछ तो पूरी कर डालो
छोड़ दो सारी फ़िकरें
छोड़ दो हर मुनाफ़िक़ और झूठा दोस्त
छोड़ दो हर दोग़ला, कमज़ोर रिश्ता
और जीने का फिर से निर्धार करो
सुबह उठते ही काम पर ना लग जाओ
ख़ुद को भी कुछ समय दो
ताज़ा-दम हो जाओ
इस से पहले कि
दुनिया की गहमागहमी
तुम्हें जकड़ ले
हर खटाई में पड़ा काम तुम्हें पकड़ ले
उठो, चलो
नाश्ता कर लो मेरी जान!
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