नसीरुद्दीन शाह, अदिति राव हैदरी , आशिम गुलाटी, ताहा शाह , शुभम मेहरा , संध्या मृदुल , जरीना वहाब , दीपराज राणा, धर्मेंद्र जैसे बड़े कलाकारों से लदी-सजी तथा लेखक साइमन फैंटुजो और विलियम बोर्थविक की लिखी ‘ताज’ सीरीज जी 5 के ओ टी टी प्लेटफार्म पर 3 मार्च 2023 को रिलीज हुई है।
रॉन स्कैल्पेलो का निर्देशन इस सीरीज में है। जो दिखाती है कि मुगलिया सल्तनत के बादशाह अकबर के जीवन को और उनके पसोपेश को। अकबर की सबसे बड़ी समस्या है अपने तीन वारिस में से किसे उतराधिकार के लिए चुनें। सीरीज बात करती है कि अकबर को जब बादशाह बनाया गया, तो उनके छोटे भाई मिर्जा हाकिम को नागवार गुजरा। अब आगे इतिहास इस बात को न दोहराए इसलिए अकबर फैसला करता है कि मुगलिया तख्त का वारिस उसकी काबिलियत देखकर चुना जाए और सबसे पहले पैदा होना किसी इंसान को ताज पहनने का हकदार नहीं बना सकता।
सीरीज के मुताबिक तख्त का असली वारिस कौन होगा यह देखना दिलचस्प है। बड़ा बेटा सलीम हमेशा नशे में धुत हरम की कनीज के साथ अय्याशियों में डूबा है तो मंझला मुराद बहादुर है और हर समय लड़ने पर उतारू। और सबसे छोटा दनियाल पांच वक्त का नमाजी जिसे दुनिया, दौलत से कोई मतलब नहीं लेकिन वह समलैंगिक भी है।
जी 5 की ताजा रिलीज वेब सीरीज ‘ताज डिवाइडेड बाय ब्लड’ युवा अकबर से होती हुई कई जंग उसके द्वारा फतेह कर लेने के बाद भी वारिस न होने की चिंता पर ले आती है। तीन-तीन निकाह करने के बाद भी अकबर बे-औलाद है। यहाँ बादशाह अकबर बने नसीरुद्दीन शाह के सामने जब धर्मेंद्र आते हैं तो बेहद कम समय में धर्मेंद्र अपना सबकुछ इस सीरीज को दे जाते हैं। जिसे देखते हुए आँखों को सुकून मिलता है। अकबर के बारे जितना आम लोग जानते हैं, उससे यह सीरीज काफी हटके है और अकबर ही क्यों यह तमाम मुगलिया सल्तनत के बारे में जितना कुछ दिखाती है वह एकदम अलग सोच के साथ देखने को मिलता है। अब आगे क्या कुछ है वह तो आपको सीरीज देखकर पता चलेगा।
इस बात में कोई दो राय नहीं कि सीरीज को बहुत ही भव्य तरीके शूट किया गया है लेकिन इसके बावजूद निर्देशक उस एहसास को इस सीरीज में पकड़ने से चुकते नजर आये जो इस जैसी असल कहानियों में होना चाहिए। मसलन महाराणा प्रताप का बंदूक से लड़ते हुए दिखाना और शिकार खेलने के दौरान मौत होना।
कायदे से बड़ी तेजी के साथ शूट की गई और आनन-फानन में रिलीज की गई यह सीरीज तमाम बड़े कलाकारों की मौजूदगी का फायदा उठाती नजर नहीं आती। कई जगहों पर कई किरदारों का संवादों के जरिए प्रभाव छोडने में असफल होना इस बात का सबूत है। आशिम गुलाटी हर सीन में ‘आशिकी 2’ के आदित्य रॉय कपूर जैसे लगे। अनारकली की भूमिका को लेकर अदिति राव हैदरी ज्यादातर जगह औसत रहीं।
सीरीज का बैकग्राउंड साउंड निश्चित तौर पर कर्ण प्रिय लगता है। कैमरा कई उम्दा शॉट्स भी दिखाता है। युद्ध के सीन भी प्रभावित करते हैं लेकिन शुरुआत से बेहद थमी हुई सी लगने वाली इस सीरीज में कई आपत्तिजनक सीन भी हैं जिन्हें अकेले में देखकर युवा वर्ग खासा मचल सकता है। अपने बोल्ड अंदाज कथन-कहन वाली इस सीरीज को आराम से बैठ कर देखिए। कुछ नये तरह से इतिहास के बारे में सोचने का अवसर यह सीरीज आपको अवश्य ही देगी।