मोटे व्यक्ति बहुत खूबसूरत होते हैं। ईमानदार। आत्मघाती होने तक ईमानदार। ऐसा व्यक्ति दूसरों के बिगाड़ने की कब सोचे, कैसे सोचे? जो दूसरों का बिगाड़ते हुए सबसे ज्यादा अपना बिगाड़ता है, \जो निरंतर अपने बिगाड़ पर तुल गया हो उसे दूसरों का बिगाड़ करने का जीवन कहाँ मिलेगा? नहीं मिलेगा। मोटों की सरलता अबोधता तथा अव्यय क्रिया (यह शब्द लेखक द्वारा गढ़ा गया है, ऐसी क्रिया जिसमें किसी का कुछ घटता-बढ़ता नहीं, यानी एकदम निकम्मापन) जी हाँ अव्यय क्रिया- मोटापे की इस क्रिया का नोटिस लिया जाना चाहिए। मोटापे की सरलता, अबोधता अनन्य होती है।
दिल्ली केवल चाकर ही नहीं बनाती। मोटापे की बहुलता को देख उम्मीद बनी है कि दिल्ली में एक दिन केवल यही सरलता, अबोधता बची रहेगी। दिल्ली मोटापे की राजधानी सी है। कलकत्ता, मुंबई से होते हुए राजधानी पहले भी दिल्ली ही आई थी। मोटापे की सांस्कृतिक राजधानी है दिल्ली। मोटापे का जनतंत्र है यहाँ। राजमार्ग एक दो या गिनती के होते हैं। जनमार्ग या जनतंत्र अनेक रास्तों से आता है। अबोध रास्तों से अक्सर आता है।
मोटापा खर्च करके कमाता है। नींद खर्च करके आलस कमाता है। उसने नींद कमाई है| कर्मठता जिसे सामान्य आँखें नहीं देख पाती, मोटे उसमें डूबे रहते हैं। सोते हुए भी कर्म करते हैं मोटे। कुएं से पानी खींचने से कम ताकत नहीं लगती खर्राटे खींचने में। कुएं से पानी खींचते हुए किसी के मरने की खबर आज तक नहीं मिली है, पर दुनिया में मरने वालों में एक दशमलव एक फ़ीसदी मौत खर्राटे खींचने के दौरान होती है। मोटापा लिए मानुष गोताखोर होते हैं, जोखिम उठाते हैं, जान की बाजी लगाते हैं हरदम पर हरवक्त मुस्कुराते हुए जीते हैं। मुस्कुराना एक बलशाली क्रिया है।
मोटापा भक्तिकाल रचता है| भक्ति करते हैं मोटे अपनी भक्ति से ईश्वर के एक्टिविटी कैलेंडर में छेड़छाड़ कर देते हैं। जो खेलने खाने की उम्र होती है उस उम्र में अचानक बोरिया बिस्तर बाँधकर चल देते हैं। समूह में सफे़द कपड़े पहने लोग कहते हैं एक दिन अचानक कहते हैं इतनी जल्दी क्या थी। मोटे अक्सर आध्यात्मिक स्वभाव के होते जाते हैं। नास्तिकों की ज़िंदगी तो अक्सर नकली असली प्रतिरोध में आई टी ओ, मंडी हाऊस, जंतर मंतर के सैर सपाटे मे़ं रीतती है। देखिए ना नास्तिक होते हुए भी मोटे जब चले जाते हैं तो दुनिया उनके बारे में भी कहती पाई गयी है बड़ा नेक आदमी था भगवान ने बुला लिया। भगवान या अल्लाह का एक नाम जैसे जीवन है तो वैसे ही भगवान या अल्लाह का दूसरा नाम मौत भी है। बिल्कुल मोटे व्यक्तियों को ईश्वर के दर्शन जल्दी होते हैं, मोटापा कमाने के बाद मिलन में उम्र का बंधन नहीं रहता। जब प्यारा लगे कोई देखे केवल मन। मनुष्य धरती पर रमता है, ईश्वर उसके प्रेम में स्वयं तड़प उठता है , उसे अपनी ओर खींच लेता है। अवतार का हाथ आता है। बसती रहे कुमुदिनी जल में, चाँद उसे खींच लेता है। तू हाँ कर या ना कर, तू है मेरी किरन।
भक्ति का सही पर्यायवाची प्रेम है। मोटे भक्त होते हैं, मोटे प्रेम में होते हैं। यहीं एक तथ्य और कि मोटापे में पड़ा हुआ व्यक्ति प्रेम में भी पड़ा हुआ होता है। द्विजदेव, आलम, बोधा, ठाकुर और रसमूर्ति घनानंद क्या मोटे भी रहे होंगे? उनके बारे में कोई अंत:साक्ष्य बहिर्साक्ष्य नहीं मिलता। मोटापा अच्छाई है और अबोधता है तो प्रबल संभावना बनती है कि हिंदी के रीतिकाल के ये कलाकार कृतिकार मोटे रहे हों। घनानंद के अंत:साक्ष्य के आधार पर कहा जा सकता है कि घनानंद तो ज़रुर मोटे रहे होंगे। प्रमाण देखिए घनानंद से~
अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।
तहाँ साँचे चलैं तजि आपनपौ झझकें कपटी जे निसांक नहीं।
घआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक तें दूसरो आँक नहीं।
तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ कहौ मन लेहु पै देहु छटांक नहीं॥
प्रेम का मार्ग अत्यंत सरल है। इसमें कहीं भी चतुराई नहीं चलती। बार बार कहा जाना चाहिए कि मोटापा अबोधता और सरलता का सहचर है। मोटे व्यक्ति प्रेम में पड़े होते हैं। यहाँ यह हाइपोथीसिस, हाइपोथीसिस नहीं कन्क्ल्युज़न ही देना है कि मोटापे में पड़ा हुआ व्यक्ति एकतरफ़ा प्रेम की पीड़ा से गुजरता है, जिसे विषम प्रेम कहते हैं। दुनिया जानती है कि भारत के प्रसिद्ध दुल्हे का वजन शादी से पहले 208 किलो था, पर उसका प्रेम विषम प्रेम नहीं था, पर मोटापा विषम प्रेम की दास्ता रचता है।
दुनिया अल्पज्ञान की वजह से मोटे या मोटापा का एक ही अर्थ जानती है, मोटापे से डरती डराती है। Wiktionary.org मोटा के प्रचलित अर्थ के अलावा अनेक अर्थ सुझाती है श्रेष्ठ। वरिष्ठ। उ॰— अग्रज अनुज सहोदर जोरी, गौर श्याम गूंथै सिर चोटा। नंददास बलि बलि इहि सूरति लीला ललित सबहि बिधि मोटा।—नंददास २ जिसका घेरा या मान आदि साधारण से आधिक हो। जैसे, मोटा डंड़ा, मोटा छड़, मोटी कलम। मुहा॰—मोटा असामी = जिसके पास अधिक धन हो। अमीर। मोटा भाग = सौभाग्य। खुशकिस्मती। उ॰—सहज सँतोषहि पाइए दादू मोटे भाग।—दादू (शब्द॰)। (ख) सूरदास प्रभु मुदित जसोदा भाग बड़े करमन की मोटी।—सूर (शब्द॰)। ४. जो खूब चूर्ण न हुआ हो। जिसके कण खूब महीन न हो गए हों। दरदरा। जैसे,—यह आटा मोटा है। खुश होने के साथ थोड़ा सोचने की भी ज़रुरत है_ ५. बढ़िया या सूक्ष्म का उलटा। निम्न कोटि का। घटिया। खराब। जैसे, मोटा आनाज, मोटा कपड़ा, मोटी अकल। उ॰—भूमि सयन पट मोट पुराना।—तुलसी (शब्द॰)। (ख) तुम जानति राधा है छोटी। चतुराई अँग अंग भरी है, पूरण ज्ञान न बुद्धि की मोटी।—सूर (शब्द॰)। मुहा॰—मोटा झोटा = धटिया। खराब। मोटी बात = साधारण बात। मामूली बात। मोटे हिसाब से = अंदाज से। अटकल से। बिल्कुल ठीक ठीक नहीं। मोटे तौर पर = बहुत सूक्ष्म विचार के अनुसार नहीं। स्थूल रूप से। ६. जो देखने में भला न जान पड़े। भद्दा। बैडौल। उ॰—हरि कर राजत माखन रोटी। मनु बारिज ससि बैर जानि कै गह्यौ सुधा ससुधौटी। मेली सजि मुख अंबुज भीतर उपजी उपमा मोटी। मनु बराह भूधर सह पुहुमी धरी दसन की कोटी।—सूर॰, १०।१६४। मुहा॰—मोटी चुनाई = बिना गढे़ हुए बेडौल पत्थरों की जोड़ाई। मोटी भूल = भद्दी या भारी भूल। ७. साधारण से अधिक। भारी या कठिन। जैसे, मोटी मार, मोटी हानि, मोटा खर्च। उ॰—(क) बंदौ खल मल रूप जे काम भक्त अघ खानि। पर दुख सोइ सुख जिन्हें पर सुख मोटी हानि।—विश्राम (शब्द॰)। (ख) दुर्बल को न सताइए जाकी मोटी हाय। बिना जीव की स्वाँस से लोह भसम ह्वै जाय।—कबीर (शब्द॰)।
अक्सर मोटे बिना पढ़े ही पोस्ट को शेयर कर देते हैं। यह उनके व्यक्तित्व की सहृदयता और सूधेपन का सूचक है। मोटे लोगों की हँसी पर बलैया लेने का मन करता है। तकिया मोटा रखते हैं। मन की आँखों से देखते हैं। मोटापेमय मानुष की तन की आँखें कभी भी लग जाती हैं, तन की आँखें कभी भी हमेशा-हमेशा के लिए लग सकती हैं। बाकी क्या लिखूँ? आप खुद समझदार है। चिट्ठी का जवाब चिट्ठी से ही देना तार से मत देना, तार से डर लगता है।