उर्दू व्यंग्य
मूल लेखक – मुजतबा हुसैन
अनुवाद – अखतर अली
कल मिर्ज़ा से मुलाक़ात हुई तो वो बहुत उखड़े उखड़े से नज़र आने लगे | मैं परेशान कि आखिर इन्हें हुआ तो हुआ क्या, क्यों मुंह फुला कर बैठे हैं? मैंने कारण पूछा तो कहने लगे – कल सदर बाज़ार में तुम को कितना आवाज़ दिया लेकिन तुम तो ऐसे अनजान बन कर चले गये जैसे चुनाव जीतने के बाद उम्मीदवार चला जाता है। मैं तुमको सामाजिक आदमी समझता था लेकिन तुम तो राजनैतिक प्राणी निकले |
मै परेशान हैरान कि मिर्ज़ा आवाज़ दे और मैं न पलटूँ? लेकिन कल उनकी आवाज़ पर मै पलटता तो पलटता कैसे ? मैं तो पिछले आठ दिन से सदर बाज़ार गया ही नहीं हूँ। मैंने मिर्ज़ा को बहुत समझाने की कोशिश की कि कल सदर बाज़ार गया ही नहीं था लेकिन वो तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं, बस एक ही बात कहे जा रहे हैं – मैंने तुमको अपनी आँखों से वहां देखा था जहां तुम अपना वही एकमात्र भूरे रंग का सूट पहन कर तेज़ कदमों से जा रहे थे |
अब मिर्ज़ा को समझाऊँ तो समझाऊँ कैसे, कैसे यकीन दिलाऊँ कि न तो मै कल सदर बाज़ार गया था और न ही अपना वह एकमात्र सूट ही पहना था क्योंकि वह सूट तो धोबी को धोने के लिये दिया हूं लेकिन मिर्ज़ा तो इस कदर नाराज़ थे मेरी बात पूरी सुने भी नहीं और चले गये |
वो तो निकल गये लेकिन मै यह सोच कर टेंशन में आ गया कि मिर्ज़ा तो पांच वक्ता नमाज़ी है वो तो झूठ बोल नहीं सकते पर ये कैसे हो सकता है कि कल मै सदर बाज़ार गया और ये बात मेरे को ही मालूम नहीं और गया भी तो वह सूट पहन कर गया जो मेरे पास है नहीं | कल तो मै अपने घर पर अपनी बीवी के साथ था अगर मै सदर में था तो घर में मेरी बीवी के साथ कौन था और अगर मै घर में था तो फिर सदर में कौन था ? अगर मै भूरा सूट पहन कर गया था तो धोबी को किसका भूरा सूट धोने के लिये दिया हूं ? बस तभी दिमाग़ की खिड़की खुली और उसमे समझ की रौशनी आई और सारा मामला साफ़ हो गया कि न मिर्ज़ा झूठे न मैं झूठा | मिर्ज़ा ने मेरे को देखे यह भी सच और वह मै नहीं था यह भी सच | मिर्ज़ा जिसे मेरे को समझ रहे थे वह मै नहीं बल्कि मेरा सूट था और आवाज़ मेरे को नहीं मेरे सूट को दी जा रही थी जो मेरा धोबी पहन कर सदर बाज़ार में घूम रहा था |
धोबी के इस कपड़ा पहनो अभियान से कई बार मै मुसीबत में पड़ चुका हूं उसे डांटा भी और प्यार से भी समझाया कि तुम्हे कपड़े धोने के लिये दिये जाते है पहनने के लिये नहीं , लेकिन वह अपनी आदतों से बाज़ आता ही नहीं है | वह तो मेरे कपड़े पहन मस्त घूम रहा है और यहां मेरे मिर्ज़ा जैसे अच्छे लोगो से संबंध ख़राब हो रहे है | एक दिन तो मेरे बच्चे मेरे धोबी के पीछे पापा पापा कह कर दौड़ पड़े थे जब उसने उन्हें गोद में लिया तब उन्हें पता चला कि ये पापा नहीं है|
एक दिन जब मै सिर्फ़ टावेल लपेटे छत पर टहल रहा था तो क्या देखता हूं नीचे सड़क पर मेरा धोबी मेरे ही कपड़े पहने शान से चला आ रहा है | मेरी तो जान जल गई जी कर रहा था कि अभी जाऊं और अपने कपड़े उतार उसे सरे राह नंगा कर दूं लेकिन मै उसे नंगा करने नहीं जा सकता था क्योकि उस समय मै ख़ुद नंगा था |
जब मेरे ढंग के कपड़े मेरा धोबी पहन कर शान से घूमता है उस वक्त मै अपने बेढंगे कपड़ो में टहल रहा होता हूं , जी करता है अब अगर ये मेरे कपड़े पहने दिखा तो उसकी वो हालत करुगा कि उसका जिस्म कपड़े पहनने लायक ही नहीं रहेगा | एक दिन यह मौका मेरे को मिल गया और मैंने लपक कर उसकी कालर पकड़ लिया तो वह कहता है – कालर मत खीचिये आप का ही कमीज़ है फट गया तो उसके ज़िम्मेदार आप ख़ुद होगे मै नहीं | उसकी धमकी सुनते ही मेरा हाथ ढीला पड़ गया और वह भाग गया | एक दो बार तो इसने मेरे प्रकाशित लेख की बधाई भी स्वीकार कर ली है |
जब भी मै अपने धोबी को अपने कपड़े पहने देखता हूँ, तो मेरे को सुना हुआ एक किस्सा याद आ जाता है कि एक साहब अपने रिश्तेदार के घर मेहमान होकर गये और जितने भी दिन रहे उनकी चीज़े ही इस्तेमाल करते रहे। उनका रिश्तेदार उनकी इस हरकत से इतना परेशान हो गया था कि एक दिन अपने पड़ोसी को बताने लगा कि ये तो अजीब आदमी है इसको दाढ़ी बनानी होती है तो मेरा शेविंग सेट इस्तेमाल करता है, नहाने के बाद मेरे टावेल से बदन पोंछता है। बाहर जाता है तो मेरे जूते पहन कर जाता है मेरे को ये सब मंज़ूर है लेकिन कम से कम पान चबाने के लिये तो मेरे दांतों का सेट इस्तेमाल न करे , लेकिन वह तो दांतों का सेट भी मेरा ही इस्तेमाल करता है और मेरे को मेरे ही दांत दिखाकर हँसता है|
मेरे को मेरे धोबी ने इतना परेशान कर दिया है कि जी करता है कि धोबी को धो डालू और निचोड़ कर सुखा दूं | उसकी हिम्मत तो दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है एक दिन मैंने उसको अपनी काली पेंट धोने के लिये दिया तो कहता है इसके साथ का सफ़ेद शर्ट भी दीजिये मैंने कहा अभी सफ़ेद शर्ट इतनी गंदी नहीं हुई है | मेरा जवाब सुन कर वह नाराज़ हो गया और कहने लगा कपड़े धुलवाने का यह ठीक तरीका नहीं है | मेरे को एक शादी में जाना है अब वहां काली पेंट पर नीला पीला शर्ट पहनूगा तो क्या अच्छा लगेगा ?
किसी मनचले ने धोबी के संबंध में कहा है कि – धोबी वह शख्स होता है जो कपड़ो से पत्थर को फोड़ता है अतः जब भी धोबी मेरे कपड़े धो कर लाता मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता कि लो मेरे कपड़े पत्थर फोड़ कर आ गये | मेरे कपड़ो की हालत इस बात की गवाह होती कि उन्होंने पत्थर तोड़ा है , कभी शर्ट का कालर मुड़ा हुआ होता तो कभी पेंट फटी हुई होती | एक दिन धोबी मेरा पाजामा धोकर लाया तो मै अपना पाजामा देख कर सकते में आ गया मैंने धोबी से कहा – भाई इसमें पहले दो पायचे हुआ करते थे तुम तो एक ही लाये हो दूसरा कहां गया ? धोबी ने लापरवाही से कहा – अरे किसी के पास चला गया होगा मै फिर जब आऊँगा तो लेता आऊँगा, लेकिन फिर वह कभी उसे लेकर नहीं आया | वह अकेला पायचा अपने साथी पायचे से बिछड़ कर उदास सा आलमारी में पड़ा रहता है | एक वक्त था जब दोनों की जोड़ी ने कितनी ही महफ़िलो में धूम मचाई थी लेकिन इस धोबी के वजह दोनों एक दूसरे से बिछड़ गये | जब भी मै उस पाजामे को देखता हूं तो गा पड़ता हूं “ दो हंसो का जोड़ा बिखर गयो रे ….”
इस धोबी की हरकतों के कारण मै कई अपमानित हो चुका हूं | एक बार धोबी कपड़े धोकर लाया तो उसमें मेरी सफ़ेद शर्ट नहीं थी , मै जिद में अड़ गया कि मेरो को मेरी सफ़ेद शर्ट चाहिये तो बस चाहिये तो उसने मेरे को एक लाल शर्ट लाकर दे दिया कि फ़िलहाल इस शर्ट को बतौर ज़मानत रख लीजिये | मैंने बहुत मना किया कि मेरे को किसी की शर्ट अपने पास नहीं रखनी है लेकिन वह माना नहीं और वह लाल शर्ट मेरे को दे कर ही माना | एक दिन मेरे पास कोई धुली हुई कोई शर्ट नहीं थी तो वही लाल वाली शर्ट पहन कर बाज़ार चला गया अभी चार कदम ही चला था कि पीछे से एक साहब ने मेरी कालर पकड़ ली और कहा – क्यों बे कपड़ा चोर उतार मेरी शर्ट या चल पुलिस थाने | पुलिस का पु सुनते ही मेरी तो पुई हो गई | मरता क्या न करता बीच बाज़ार में शर्ट उतार कर उन साहब को दी और खुद नंगा घर आया |
एक दिन तो धोबी ने हद ही कर दी। कपड़े की दुकान पर मेरे को कपड़े खरीदते देख लिया। मैं कपड़े लेकर दर्जी की दुकान पर गया तो दर्जी ने कपड़े लेकर कहा बुधवार को दे दूंगा | मैंने कहा वह तो ठीक है पर पहले मेरा नाप तो ले लो | दर्जी बोला उसकी कोई ज़रूरत नहीं है क्योकि अभी थोड़ी देर पहले ही आपका धोबी अपना नाप देकर गया है | सच कहता हूँ पाठको उस दिन से हर रोज़ मैं यही दुआ मांगता हूँ “या अल्लाह मेरे को मेरे धोबी से बचा” |