नज़्म: मेरे जाने के बाद, मेरे महबूब!
मूल भाषा: अंग्रेज़ी
कवयित्री: क्रिस्टीना रोसीटी
भाषांतर: ख़ान हसनैन आक़िब
मैं अगर इस दुनिया में न रहूँ
तो मेरे महबूब!
मेरे जाने के बाद
दुख भरे गीत न गाना
न ही मेरे सिरहाने फूलों के पौदे उगाना
और ना ही मेरी क़ब्र पर
सरू का घना सायादार पेड़ लगाना
अपितु मेरी क़ब्र पर
हरी हरी घास रहने देना
जो बारिश की रिमझिम
और शबनम की बूँदों से नम रहती है
(रही बात मेरी तो..)
चाहो तो मुझे याद रखना
चाहो तो भला देना
(मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा)
न मैं तारीक साए देख सकूँगी
और न ही बरसती हुई बारिश को महसूस कर सकूँगी
न ही कोयल की दर्द-भरी
सुरीली आवाज़ सुन पाऊँगी
सांझ के झुटपुटे में
स्वप्न-विलीन रहूंगी
वो सांझ जिसका उदय या अस्त होना
(मेरे लिए अर्थहीन है)
पता नहीं
मैं (ये सब) याद रखूँ
या शायद भूल जाऊं!
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When I am dead, my dearest,
Sing no sad songs for me;
Plant thou no roses at my head,
Nor shady cypress tree:
Be the green grass above me
With showers and dewdrops wet;
And if thou wilt, remember,
And if thou wilt, forget.
I shall not see the shadows,
I shall not feel the rain;
I shall not hear the nightingale
Sing on, as if in pain:
And dreaming through the twilight
That doth not rise nor set,
Haply I may remember,
And haply may forget
– Christina Rossetti