फिर , अब कभी युद्ध पर बात नहीं
होनी चाहिए!
बल्कि बात भूख पर होनी चाहिए
क्योंकि फँदा लगाता किसान
भूख से परेशान था..
जो छात्र बाहर कमाने
गया था और जो गिरकर
मरा किसी टावर
से या किसी बिल्डिंग से
जो किसान का लड़का मारा गया
युद्ध में उन सब के केंद्र में भूख थी!
युद्ध के लिए कोई बजट नहीं होना
चाहिए. .
हथियारों
का निर्माण बंद होना चाहिए…
हमेशा के लिये ..
बंदूकें, कटार, मिसाईलों, तलवारों
का लोहा पिघलाकर तवा बनाना
चाहिए. .
जिस पर थके- हारे
आदमी और भूखे पेट को
आराम मिल सके ..
गोलियों का बारूद निकालकर
फेंक देना चाहिए किसी दुर्गम इलाके में
गोलियों को पिघलाकर चूल्हा
बनाना चाहिए…
दरांतियाँ और हँसुआ बननी चाहिए
जिससे काटी जा सके भूख की फसल ..!