रोशनियां हैं – रंग-बिरंगी रोशनियां। आंखें चुंधियाने वाली, चमत्कृत करने वाली, अभिभूत करने वाली रोशनियां।
मंच है – विराट, आकर्षक, भव्य और शानदार मंच। मंच पर तीन अप्सराएं हैं। उनकी अदाएं हैं। जलवे हैं। भीनी –भीनी खुश्बूओं, मादक संगीत से सनी-पगी मुस्कराहटें हैं। माधुरी, मनोरमा और मेनका – इनमें से किसी एक को मिस इंडिया का ताज़ पहनना है।
मंच संचालक जोश में है। माहौल में सस्पेंस रच रहा है, एक तजुर्बेकार जादूगर की तरह – चीख चीख कर। धरती की अप्सराएं थिरक रहीं हैं, फुदक रहीं हैं – उसके इशारों पर। होस्ट की कमान किसी और के पास है। यह तय है कि अप्सराएं आगे भी थिरकेंगी, जलवे बेचेंगी, अदाएं बेचेंगी किसी और के इशारे पर! सैकड़ों कैमरों में क़ैद होती क़हर बरपाने वाली अदाएं, जलवों और अदाओं का उफनता समन्दर। डूब –उतर जाने की ख़्वाहिशें जगाता हरहराता समंदर!
मुक़ाबले का आख़िरी दौर ख़त्म हो चुका है। आख़िरी दौर सवाल-ज़वाब का था। निर्णायकों ने कई सवाल पूछे, औरत के बारे में, उसके वजूद के बारे में, उसकी अस्मिता के बारे में, मौजूदा हालात के बारे में, समाज में उसकी भूमिका के बारे में, उसकी ज़िन्दगी के अलग –अलग क़िरदारों के बारे में, औरतों को लेकर मर्दों के नज़रिए के बारे में। हर सवाल के ज़वाब उन्होंने दिए, संभल -संभलकर, बड़ी होशियारी से।
तीनों की साँसें तेज़ हैं। धडकनें तेज़ हैं। हलक़ बार-बार सूख रहा है। होंठों पर महंगी लिपस्टिक होने के बावज़ूद वहां पर पपड़ियां जम रही हैं। जीभ फिरा –फिरा कर उन्हें तर करना चाह रही हैं। लेकिन नहीं कर पा रहीं हैं। हॉल खचाखच भरा हुआ है – वी.आई.पी दर्शकों से, सियासत के नुमाइन्दों से, बड़ी –बड़ी कंपनियों के मालिकों से, शहर के ख़ूबसूरत ख़्वातिनों से, सिनेमाई सितारों से। निर्णायक के रूप में हर क्षेत्र की नामवर शख्सियतें हैं। वे स्टेज के सामने पहली क़तार की कुर्सियों पर काबिज़ हैं। मीडियावाले हैं। देशी, विदेशी चैनल्स हैं। सीधा प्रसारण है।
कुछ ही पलों बाद एलान होने वाला है मिस इंडिया का। सारा मुल्क अधीर है। बेचैन है। उत्सुक है। व्याकुल है। घरों में, टी.वी के परदे से आंखें हटने का नाम ही नहीं ले रही हैं। कान हैं कि कुछ दूसरा सुनना ही नहीं चाह रहे हैं। सट्टेबाजी का माहौल गरम है। एक अज़ीब सी ज़द्दोज़हद है सट्टेबाजों में। अंगुलियां बार-बार जल रही हैं। बेहिसाब सिगरेटों के धुंए से फेफड़े जल रहे हैं। सांसें उठ –बैठ रही हैं। अनगिनत पेग हलक के नीचे उतर चुके हैं।
बस, कुछ ही पल रह गए हैं – मुल्क की सबसे हसीन औरत का एलान होने को। पूर्व मिस इंडिया के हाथों, उस हसीन औरत को मल्लिका –ए- हूर का ताज़ पहनाया जाना है। पिछली दफ़ा मिस इंडिया की ख़िताब की हक़दार बनी थी – मिस चांदनी। कड़ा मुकाबला था। ऐसे ही उसके सामने दो हूरें खड़ी थीं। निर्णायकों के लिए कठिन घड़ी थी। तीनों में हूर-ए-मुल्क बनने की भरपूर क़ाबिलियत थीं। लेकिन ख़िताब तो किसी एक को मिलना था। अंततः ताज़ की हक़दार चांदनी ही बनी। मिस इंडिया बनते ही ‘बाज़ार’ ने बाँहें फैलाकर उसका इस्तकबाल किया। उन बाँहों में समाने के लिए ही तो उसके पंख फड़फड़ा रहे थे। सारी ज़द्दोज़हद का मक़सद तो यही था, विज्ञापनों के ढेर, फिल्मों के ऑफर, प्रोडक्ट के एम्बेसेडर। वह समाती चली गई, उन मायावी बाँहों में। आज विज्ञापनों की दुनिया में चांदनी एक बड़ा नाम है। सेलेबुल ऐक्ट्रेस है। दौलत उसके क़दम चूम रही है।
तीनों प्रतियोगियों के घर भरे हैं –मां –बाप हैं। रिश्तेदार हैं। पडोसी हैं। हितैषी हैं। सब के होंठों पर दुआएं हैं। इष्टदेव का स्मरण है। भारी, भरकम मन्नतें हैं। नामी –गिरामी ज्योतिषियों की भविष्यवाणियां हैं। उनका पुनर्स्मरण है – तीनों की राशियां एक है – सिंह राशि। इस सप्ताह सूर्य छठे एवं सप्तम में। बुध एवं शुक्र पंचम, छठे एवं सप्तम में। शनि द्वादश और लग्न में। फलस्वरूप सामाजिक मान-सम्मान व प्रभाव, प्रतिष्ठा में वृद्धि, शुभ ग्रहों के कारण किसी प्रतियोगिता में सफलता पाने की प्रबल संभावना।
एलान का इंतज़ार नाक़ाबिले-बरदाश्त होता जा रहा है। इन्तिहां हो गई है इंतज़ार की!
माधुरी थूक से अपने हलक को गीला कर रही है। उसकी आंखें बार-बार मूंद जाती हैं। मां की सीख याद आ रही है – ‘हर राउंड में गायत्री मंत्र का जाप करना है। मंत्र शक्तिदायक है, कामयाबी की गारंटी है। चौबीस देवताओं, चौबीस महाऋषियों का स्मरण है – ॐ भूर्भवः….’
माधुरी खो जाती है यादों के रंगमहल में, थोड़ी देर के लिए – ऐसे ही खड़ी हुई थी कॉलेज के स्टेज पर….फिर अपने शहर के विशाल मंच पर, फिर स्टेट लेबल कम्पटीशन! सफ़र जारी है। मंजिल तक पहुंच कर आसमान छूना है। फिर वह वक़्त भी आया, करोड़ों का व्यापार करने वाली एक मशहूर कंपनी ने अपने एक प्रोडक्ट के नाम का ताज़ उसके सर पर रखा। सफ़र ख़त्म नहीं हुआ है उसका। मुल्क का सबसे बड़ा ताज़ पहनना है उसे।
मनोरमा की आंखें बार-बार ऊपर की ओर तक रही हैं। होठों पर बुदबुदाहट है। उसे भी मां की याद आ रही है। उसकी सीख भी- ‘सर्वशक्तिमान महादेव को प्रसन्न रखना है। उनकी इच्छा सर्वोपरि है – ॐ त्र्यम्बकं…’
मनोरमा के ज़ेहन में सवाल-ज़वाब का वह राउंड अभी भी ज़िंदा है। स्टेट लेबल की कम्पटीशन में उससे पूछा गया था, “हू इज योर आइडियल वुमेन?”
“ऑफकोर्स, मदर टेरेसा !” उसने तपाक से ज़वाब दिया था।
“ बट, व्हाई?’
“बीकॉज, शी वाज गोडेस ऑफ़ ह्यूमेनिटी!” ज़वाब देकर उसने ख़ूब तालियां बटोरी थी |
मुक़ाबला जीतने के बाद वह मॉडलिंग की सीढियां चढ़ते हुए टेलीफ़िल्म की एक्ट्रेस बन गई|
कुछ इसी तरह के सवाल का सामना करना पड़ा था मिस वर्ल्ड स्वयंवरा को। भारत की सुन्दरी स्वयंवरा मदर टेरेसा का नाम अपनी जुबान पर लाते ही रुआंसी हो गई थी – उनकी महानता, विशालता, उदारता और मातृस्वरूपा व्यक्तित्व के प्रति अपनी अगाध, आंतरिक श्रद्धा जताने के क्रम में बेहद ज़ज्बाती होकर कहा था, “शी वाज लिविंग सेंट! अगर अपनी लाइफ़ में उनके ह्यूमन वर्क का एक भी अंश परफॉर्म कर सकूं तो मैं धन्य हो जाऊंगी।”
उसने जजों को भावुक कर दिया था। दर्शक दीर्घा भी भीग गई थी।
कालान्तर में वह हिंदी सिनेमा की टॉप रेटेड, सेलेबुल आईटम गर्ल बन गई।
मेनका के होंठों पर भी इष्टदेव का नाम है। उसे उसपर भरोसा है। पूरा यक़ीन है कि उसका इष्टदेव उसे मदद करेगा। कामयाबी की मंज़िल तक पहुंचाएगा….ताज़ पहनकर वह मल्लिका – ए –हुस्न कहलाएगी।
इंतज़ार की घड़ियां ख़त्म हुईं। होस्ट पूरे जोश में आ गया है। स्टेज के चारों ओर घूमते हुए चीख-चीख कर दर्शक दीर्घा में उत्तेजना भर रहा है। सब्र का बांध टूटता-सा नज़र आ रहा है। सबकी निगाहें होस्ट पर हैं। होस्ट कभी दर्शकों से मुख़ातिब हो रहा है तो कभी तीनों सुन्दरियों से। नतीजा उसके हाथ में है।
“……..और इस साल की मिस इंडिया है ….” होस्ट रुक जाता है। तीनों प्रतियोगियों को बारी बारी से देखता है। लगभग चीखते हुए एलान करता है, “ ….एंड नाऊ…..सेकेंड रनरअप इज…….मनोरमा!”
मुकाबला अब दो सुन्दरियों के बीच है – माधुरी और मेनका। दोनों में से कोई एक ताज़ पहनेगी |
“ एंड फर्स्ट रनर अप इज….” होस्ट फिर रुक जाता है। बारी- बारी से दोनों को देखता है। वह लगभग उछलते हुए चीखता है, “ माधुरी! …… एंडक्राउन गोज टू मेनका……… मिस इंडिया मेनका !….मेनका!!”
एक आह्लादित शोर उठता है। तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठता है। संगीत शोर में बदल जाता है। रंग –बिरंगी रोशनियां भी और तेज़ हो जाती है। कैमरे चमकने लगते हैं। मिस इंडिया पर फूलों की वर्षा, चारों तरफ़ मुस्कराहटें, खिलखिलाहटें…..! मिस इंडिया स्टेज के चारों तरफ़ घूम रही है…सर पर ताज़ रख दिया गया है। आंखों में ख़ुशी का समंदर छलक आया है। हाथ हिला हिला कर सबका अभिवादन कर रही है। अपनों को फ्लाइंग किस दे रही है।
हॉल के बाहर आतिशबाजियां हो रहीं है। रौशनी के फव्वारे से आसमान में नाम लिखा जा रहा है – ‘मिस इंडिया मेनका!‘ चांद मुस्करा रहा है, जमीं के चांद की ख़बर पाकर। सितारों में हलचल है। सितारे गा रहे हैं – स्वागत गीत, एक नहीं, कई –कई गीत .तरन्नुम में। जवान होतीं लड़कियों की आंखों में, अपने नगमों से ख़्वाबों के फूल खिला रहे हैं । पंख लगाने और उड़ने का हौसला भर रहे हैं। सितारों के आगे जहां और भी हैं।
घर के लोग एक दूसरे के गले मिल रहे हैं। बाँहों में समा रहे हैं। बधाईयों का दौर चल पड़ा है। फ़ोन की घंटियां हैं कि एक पल के लिए रुक ही नहीं रही हैं। न जाने उनमें कितनी बधाईयां और शुभकामनाएं लिपटी हुई हैं। इतनी मिठाईयां कि अब गले के नीचे उतर ही नहीं रही है। मां की आंखें बार-बार पनीली हुई जा रहीं हैं| आंसुओं से आंचल भीग गया है। कई मोमबत्तियां जला चुकी है जीसस और मदर मेरी के सामने। आल्टर पर मत्था टेक चुकी है कई बार प्रार्थना करते-करते। बहनें चहक रही हैं, उनके क़दम जमीं पर नहीं पड़ रहे हैं। बड़ी बहन उनमें भी हौसलों की उड़ान भर गई है।
प्रेस कांफ्रेंस, दर्ज़नों कैमरे, रिपोर्टर, माइक्रोफोन और लाइव टेलीकास्ट!
रिपोर्टरों के सवाल। सवाल-दर-सवाल।
“कांग्रेचुलेशंस! …….. आपकी कामयाबी का राज?”
वह चारों तरफ़ अपनी निगाहें दौड़ाती है। सबको आंखों ही आंखों में तौलती है। होठों की मुस्कराहटों में इज़ाफा हो जाता है। ज़वाब में आत्मविश्वास झलकता है, “मेरी क़ाबिलियत और……..” वह ठहर जाती है। ज़वाब अधूरा रह जाता है| छिपकली की कटी पूंछ की तरह अधूरा ज़वाब छटपटाने लगता है रिपोर्टरों के बीच।
“और मैडम?” कईयों की यही जिज्ञासा। सुनने, जानने की आकुलता।
‘और….और मुझ पर सुप्रीम पॉवर का मेहरबान होना!”
‘सुप्रीम पॉवर?………….तो, भगवान ने आपकी सुन ली! आपका विश्वास, आपकी धर्मपरायणता……’
“रुकिए….रुकिए!” वह उस रिपोर्टर को बीच में ही रोकती है, “मैं साफ़ कर दूं कि लेट मी क्लीयर …..मेरे सुप्रीम पॉवर का रिश्ता किसी रिलिजन से नहीं है और न मैं किसी धर्म- वर्मको मानती हूं, न उस विश्वास करती हूं एम आई क्लीयर ?
गज़ब का विरोधाभास! सुप्रीम पॉवर है पर धर्म नहीं। सुनने देखने वाले अचंभे में! ये कैसे मुमकिन? सदियों से रिलिजन और सुप्रीम पॉवर का रिश्ता रहा है। जहां रिलिजन है वहां सुप्रीम पॉवर होगा ही। उत्सुकता है कि ख़त्म ही नहीं हो रही है। जिज्ञासा बढ़ती जा रही है |
“तो, हम जान सकते हैं कि आप किस सुप्रीम पॉवर की बात कर रहीं हैं?”
“सारा मुल्क आपके सुप्रीम पॉवर को जानना चाहता है।”
“जरुर बताऊंगी, जिसने मुझे शानदार कामयाबी दिलायी, उसका नाम दुनिया को ज़रूर बताऊंगी।”
“तो देर किस बात की मैडम?”
“नाम बताने के पहले मैं यह दावे के साथ कहूंगी कि मेरा सुप्रीम पॉवर सबसे अलहदा है। पूरे वर्ल्ड में उसी का सिक्का चलता है। हर किसी को, चाहे वह किसी भी पॉवर का बिलीवर हो, इस पॉवर के सामने झुकना पड़ता है।”
“मैंने उससे तहे-दिल से गुज़ारिश की थी कि एक बार चुन लो, जैसा चाहो वैसा करूंगी! रिजल्ट आपके सामने है।”
“देखिए, अब हमारे सब्र का इम्तहान मत लीजिए। प्लीज उसका नाम बता दीजिए!”
“हां, तो सुनिए, उस सुप्रीम पॉवर का नाम है- ‘बाज़ार’!”
“बाज़ार…..बाज़ार….बाज़ार!” गूंजने लगा यह शब्द चारों ओर।
इस पॉवर को क्रिएट करने वालों के होठों पर मुस्कान तैर रही थी।