लॉक-डाउन
प्रकाश जी के मिलनसार स्वभाव के कारण उनकी पत्नी बहुत परेशान थी । प्रकाश जी का स्पष्ट निर्देश था कि घर पर आया हुआ कोई भी अतिथि चाय नाश्ता किये बिना नहीं जाना चाहिए । पत्नी आज्ञाकारी स्वभाव की थीं इसलिए उनका पूरा दिन अतिथि सत्कार में ही बीत जाता था । उम्र बढ़ने के साथ-साथ कार्य क्षमता भी घट जाती है । एक दिन पत्नी ने कहा कि ये सब कुछ अब मुझसे नहीं हो पायेगा । प्रकाश जी ने बड़े स्नेह से समझाया कि अतिथि भगवान का रूप होता है उनका सम्मान करना हमारा धर्म है । मैं कैसे किसी को भी मेरे घर आने से मना कर सकता हूँ । पत्नी ने कहा कि अगर आप अनुमति दें तो मैं कुछ करूँ । प्रकाश जी ने स्वीकृति दे दी। अगले दिन पत्नी ने घर के बाहर बोर्ड लगाया जिस पर लिखा था-“ स्वागत है केवल उनका जो माता- पिता के साथ रहते हैं और उनका सम्मान करते हैं “ इस बोर्ड के लगने के बाद से प्रकाश जी को ऐसा लगने लगा है मानो सरकार ने फिर से लॉक डाउन लगा दिया है।
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एकतरफ़ा संवाद
एक लाइलाज बीमारी है “डिमेन्सिया” । इस बीमारी में व्यक्ति की याददाश्त चली जाती है और वह किसी को पहचान तक नहीं पाता है। दुर्भाग्य से मेरे एक बहुत करीबी मित्र की माँ को यह बीमारी हो गयी। माँ गाँव में रहती थी और मेरा मित्र दूर किसी बड़े शहर में व्यापार करता था । प्रत्येक शनिवार को वह अपने गाँव आता। शनिवार तथा रविवार का समय माँ के साथ बिताता। माँ न तो उसे पहचानती थी और न ही किसी बात का उत्तर देती थी पर मित्र जब गाँव से लौटता तो उसके चेहरे पर ख़ुशी होती। एक दिन हम तीन चार मित्र उससे मिलने गये । बातों ही बातों में एक मित्र ने पूछा कि तुम हर सप्ताह गाँव जाते हो जबकि आपकी माँ आपको पहचानती तक नहीं , फिर गाँव जाने का क्या फ़ायदा । मित्र ने बड़ा सटीक जवाब दिया, बोला “ हाँ माँ तो नहीं पहचानती पर मै तो पहचानता हूँ कि वे मेरी माँ हैं। अभी माँ से एकतरफा संवाद होता है, जैसे हम ईश्वर के सामने बैठकर अपनी बात कहते रहते हैं और दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं आता है ठीक वैसे ही मेरा भी माँ से एकतरफा संवाद चलता है। इस संवाद से मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। सभी मित्रों को एकतरफा संवाद का महत्व समझ में आ गया था।