अप्रैल 2023 दो कविताएंसमय धुँधली पड़ गयीं हैं नज़रें उसकी मोतियाबिंद से याद आने लगती … कविता-कानन वंदना सहाय
मार्च 2020 और सुबह हो गई-कथा-कुसुम और सुबह हो गई- कहानी “एक्स्क्युज़ मी” कहती हुई एक महिला … कथा-कुसुम वंदना सहाय