अपनी परम्पराओं को सम्मान देते हुए समकालीन सृजन पर चर्चा करता विशेषांक…
परिचय :
जन्मतिथि- 19 सितम्बर
जन्मस्थान- सांचोर (राजस्थान)
शिक्षा- एम. ए. (हिन्दी), डिप्लोमा इन वेब डिजाइनिंग
संप्रति- संपादक, हस्ताक्षर वेब पत्रिका (www.hastaksher.com)
प्रकाशन-
1. इक उम्र मुकम्मल (ग़ज़ल संग्रह, 2013)
2. कुछ निशान काग़ज़ पर (ग़ज़ल संग्रह, 2019)
3. ज्ञानप्र
परिचय :
जन्मतिथि- 19 सितम्बर
जन्मस्थान- सांचोर (राजस्थान)
शिक्षा- एम. ए. (हिन्दी), डिप्लोमा इन वेब डिजाइनिंग
संप्रति- संपादक, हस्ताक्षर वेब पत्रिका (www.hastaksher.com)
प्रकाशन-
1. इक उम्र मुकम्मल (ग़ज़ल संग्रह, 2013)
2. कुछ निशान काग़ज़ पर (ग़ज़ल संग्रह, 2019)
3. ज्ञानप्रकाश विवेक (हिन्दी ग़ज़ल की नई चेतना), अनिरुद्ध सिन्हा (हिन्दी ग़ज़ल के नए चेहरे), हरेराम समीप (हिन्दी ग़ज़लकार: एक अध्ययन एवं हिन्दी ग़ज़ल की परम्परा) आदि द्वारा ग़ज़ल-लेखन पर आलोचनात्मक लेख।
3. धनक (न्यूज़ीलैंड), हिन्दी चेतना (कनाडा), निकट (सऊदी अरब), एम्स्टेल गंगा (आयरलेंड), NASKA (न्यूयार्क USA) सहित भारत की अनेक साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
4. चाँद अब हरा हो गया है (प्रेम कविता संग्रह) तथा इक उम्र मुकम्मल (ग़ज़ल संग्रह) एंड्राइड एप के रूप में गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध।
संपादन-
1. ‘हस्ताक्षर’ वेब पत्रिका का मार्च 2015 से अब तक संपादन।
2. 'साहित्य रागिनी' वेब पत्रिका के 17 अंकों का संपादन।
3. त्रैमासिक पत्रिका ‘शब्द-सरिता’ (अलीगढ, उ.प्र.) के 3 अंकों का संपादन।
4. ‘101 महिला ग़ज़लकार’, ‘समकालीन ग़ज़लकारों की बेह्तरीन ग़ज़लें’, 'मीठी-सी तल्ख़ियाँ' (भाग-2 व 3), 'ख़्वाबों के रंग’ आदि पुस्तकों का संपादन।
6. 'समकालीन हिंदुस्तानी ग़ज़ल' एंड्राइड एप का संपादन।
प्रसारण-
दूरदर्शन राजस्थान तथा आकाशवाणी पर ग़ज़लों का प्रसारण।
अपनी परम्पराओं को सम्मान देते हुए समकालीन सृजन पर चर्चा करता विशेषांक…
विमर्श
सिन्हा जी का ग़ज़लकार अपने दायित्वों से पूर्णत: अवगत है
– …
मूल्याँकन
संवेदनाओं का सूक्ष्मता से अंकन करता संग्रह: चुप्पियों को तोड़ते हैं…
विमर्श
कविता संग्रह ‘इस समय तक’ में प्रकृति निरूपण
– के. पी. …
विमर्श
मुख़्तसर लेकिन पुख्त़ा शायरी की अमन ने
– के. पी. अनमोल…
मूल्याँकन
हिन्दी ग़ज़ल का एक महत्वपूर्ण संग्रह: चुप्पियों के बीच
– के. …
मूल्याँकन
ग़ज़ल में हिन्दी कविता-सा परिवेश रचता संग्रह: ‘ले चल अब उस …
मूल्यांकन
समाज के दुःख, दर्द और विषमताओं के संग: पानी जैसा रंग…