विमर्श
हिन्दी भाषा की वैश्विक भूमिका
– अंजना वर्मा
किसी देश की …
परिचय :
सम्प्रति- प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग
नीतीश्वर महाविद्यालय, मुज़फ्फरपुर
संपादन एवं प्रकाशन, अर्द्ध वार्षिक पत्रिका 'चौराहा'
प्रकाशन-पाँच कविता संग्रह, दो गीत संग्रह, एक लोरी संग्रह, दो कहानी संग्रह, एक दोहा संग्रह, एक यात्रा वृत्त, तीन बाल साहित्य तथा दो समीक्षा पुस्त
परिचय :
सम्प्रति- प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग
नीतीश्वर महाविद्यालय, मुज़फ्फरपुर
संपादन एवं प्रकाशन, अर्द्ध वार्षिक पत्रिका 'चौराहा'
प्रकाशन-पाँच कविता संग्रह, दो गीत संग्रह, एक लोरी संग्रह, दो कहानी संग्रह, एक दोहा संग्रह, एक यात्रा वृत्त, तीन बाल साहित्य तथा दो समीक्षा पुस्तक प्रकाशित
समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, कादंबिनी, पाखी, हंस, अहा ! जिंदगी, अमरदीप वीकली (लंदन), दस्तावेज, नवनीत, सुलभ इंडिया, राजस्थान पत्रिका, नई दुनिया, आजकल, हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, लमही, कथाक्रम सहित अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
अंग्रेजी पत्रिकाओं जैसे Indian Literature, Rock Pebbles, Bizz Buzz आदि में तथा कन्नड़ एवं मराठी पत्रिकाओं/ संकलन में कविताओं के अनुवाद प्रकाशित
सम्मान/पुरुस्कार-
साहित्यकार रमण सम्मान, 1992 पटना
महाकविराकेश गंधज्वार सम्मान, 2008 मुजफ्फरपुर
राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान, 2010 उदयपुर
शब्द साधना सम्मान, 2010 मुरादाबाद
The Third Rock Pebbles Award, 2012 Jajpur, Odisha
रमण शिखर सम्मान, 2014 मुज़फ्फरपुर
ब्रज साहित्यमणि सम्मान, 2015 आगरा
निवास- कृष्णा टोला, ब्रह्मपुरा,
मुज़फ्फ़रपुर- 842003
विमर्श
हिन्दी भाषा की वैश्विक भूमिका
– अंजना वर्मा
किसी देश की …
कविता-कानन
कोई चुरा रहा है
कोई चुरा रहा है चुपके-चुपके
हमारा समय…
कथा-कुसुम
यह कौन सा रिश्ता?
विभा अपने दु:ख में डूबी बाहर बरामदे …
कविता-कानन
अभिमन्यु
सड़क बनाने के लिए
तोड़ दी गयी हैं
उनकी झुग्गी-झोपड़ियाँ…