बात १९९९ की है , में मेरी छोटी बेटी के विवाह की बातचीत चल रही थी , मई का महीना था । एक घर का रिश्ता था ,उन्होनें ,हमारी बेटी जो , एम .डी .पास कर मुंबई में कार्यरत थी उसे देख चुके थे, लड़का होनहार ,इंजीनियर ,एम बी ए और प्राइवेट बैंक की अच्छी नौकरी पर लगा हुया था , हमें भी सब ठीक -ठाक लग रहा था , हम काफी दिनों से उनके फ़ोन का इंतज़ार कर रहे थे , उन्होनें कोई जवाब नही दिया था उस परिवार से हम बहुत नावाक़िफ़ थे . उन्हे अधिक नहीं जानते थे . थोड़ी बहुत बातचीत फ़ोन के माध्यम से हो पाई थी । चूँकि वे बिटिया से मिल चुके थे पर उनका कोई उत्तर नही आया था , मन चिंतित व थोड़ा अधीर हो रहा था , अत: एक दिन मन मज़बूत कर फ़ोन करने की ठान ली . उन दिनों मोबाईल का बोलबाला नहीं था . नंबर डायरी में नोट कर लिया था. डायल किया. उधर फ़ोन की घंटी बज रही थी.
थोड़ी देर की प्रतीक्षा के बाद फ़ोन उठाया गया, मैंने कहा, ‘‘जी, मैं अहमदाबाद से बोल रही हूँ —-‘
किसी सज्जन ने फ़ोन रिसीव किया था और वो बोले, “please bear with us ‘ और फिर उन्होंने कहा ; “आपने अजय आहूजा का नाम तो सुना होगा ? न्यूज़ पर. “
( तमाम समाचार -पत्र ,टी -वी पर आग की तरह अजय आहूजा का ही नाम दिख रहा था )
‘ जी हॉ squadron लीडर अजय आहूजा अभी कारगिल युद्ध में शहीद हुये हैं ?”
“जी, जी वे मेरे Son in law hain .” वे मेरे दामाद थे ”
मेरे हाथ काँपने लगे , ज़ुबान लड़खड़ाने लगी ,जीभ पर लकवा पड़ गया , आँखों के आगे अंधेरा छा गया , शिष्टाचारवश मुँह से दो बोल भी न फूटे , फिर धीमें स्वर से , ‘जी ‘ बोला और फ़ोन धम्म से रख कर वहीं पलंग पर पत्थर सी बैठ गई.
मैंने उन्हे 28 मई 1999 की सुबह फोन किया था ,27 मई का दिन था जब squardon लीडर अजय आहूजा भारतीय वायु सेना के बहादुर जाबाज़ फाइटर पाइलट ने , श्रीनगर से , मिग 21 लड़ाकू विमान लेकर ‘टोडी ‘बार्डर पर उड़ान भरी थी , उनके विमान को पाकिस्तानी मिसाइल ने लक्ष्य किया , विमान हिट हुया , अजय आहूजा ने तुरंत इजेक्ट किया वे पैराशूट से धरती पर तो उतर आए परंतु धरती थी नापाक पाकिस्तान की , उन्हे युद्ध बंदी बना लिया गया ,इतना ही नही और उनको बेहद दर्दनाक यातनाएँ दे कर उनका मर्डर कर दिया और पाकिस्तानी जेल में मारने के बाद उनका टोर्चर्ड शरीर नापाक पाकिस्तानी सरकार नें जब भारत सरकार को दिया तब उनकी की आँख में शर्म नही थी . जेनेवा समझौते का खुल्लम खुल्ला उलंघन किया गया . जेनेवा समझौते के अंतर्गत युद्ध मे पकड़े गए फौजी सही सलामत वापिस किए जाने चाहिए ,पर पाकिस्तान ने जेनेवा समझोते का उलंघन किया ,नतीजन रंड का प्रचंड बिगुल बजा. देश क्रोध में खौल उठा . घोर रोष और क्रोध से भरे भारतीय फौज ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के दाँत खट्टे किए , जिसमें भारत ने शानदार विजय प्राप्त की . अजय आहूजा के बलिदान को भारत सरकार ने सम्मानित किया . मरणोपरांत उन्हें वीर चक्र दिया गया । तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई उनके घर गए.
बेटी का विवाह उसी परिवार में हुया, रिश्ता वे पक्का कर गये थे, परंतु दामाद के निधन का आघात सहन न कर पाये. अपने मात्र चार बरस के धेवते को मुखाग्नि देते देख उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे चल बसे.
“please bear with us ——-“, ये शब्द मेरे कानों मे आज भी किसी ध्वनि यंत्र में सुरक्षित रखें हैं !