वसुधा रविवार की रात बच्चों के स्कूल यूनिफ़ॉर्म को प्रेस करते हुए टीवी पर आ रहा कपिल शर्मा शो को सुन रही थी और कभी -कभी वह स्विच को ऑफ़ कर चंद सेकंड के लिए टीवी के सामने जाकर खड़ी हो जाती और फिर एक ठहाका लगाकर वापस कमरे में प्रेस करने आ जाती, जहां क़मीज़-पैंट इंतज़ार कर रहे होते, कि कब उनको भी मुक्ति मिले गर्मागर्म प्रेस के चिपकाने से
यकायक उसके कानों में एक आवाज़ आई।अरे; ये तो गौर गोपाल दास जी की आवाज़ है, वसुधा ने स्वयं से बोला और फिर एक बार वह प्रेस का बटन दबा कर ड्रॉइंग रूम में पहुँच गई जहां पतिदेव पहले से ही विराजमान थे।”क्या वसुधा,पहले प्रेस कर लो; फिर आराम से कपिल शर्मा शो देखना” वसुधा को एक बार फिर से टीवी के आगे खड़ा देख पतिदेव बोले। वसुधा ने एक हाथ से उन्हें चुप होने का इशारा किया और फिर ध्यान से सुनने लगी वो गोपाल दास जी को, जिनकी वो बड़ी प्रशंसक है। वसुधा उन्हें सोशल मीडिया पर फ़ॉलो भी करती है।
“कपिल हम सभी को सप्ताह में एक दिन का उपवास करना चाहिए ताकि हमारा पेट और हमारी पाचन क्रिया दोनों दुरुस्त रहे। इससे व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रहता है” गुरुजी ने आगे बोलना शुरू किया कि हमें एक और उपवास ज़रूर से करना करना चाहिए, और वो उपवास खाने का नही बल्कि सोशल मीडिया से परहेज़ का होना चाहिए।
कपिल शर्मा ने मज़ाक़िया लहजे में कहा, “गुरुजी कुछ समझ नहीं आया” तब गुरुजी ने ज़बाव दिया कि आजकल हम सुबह उठने से लेकर रात सोने तक फ़ोन, मोबाइल से चिपके रहते है। फेसबुक,इंस्टाग्राम,वाट्सअप और ना जाने क्या -क्या। यदि आप सोशल मीडिया मुक्ति उपवास करोगे तो ये आपके लिए बड़ा ही फ़ायदेमंद होगा। आप एक पूरे दिन के लिए टॉक्सिक फ़्री रहोगे। न तो आप सोशल मीडिया पर रहोगे , न आपको दुनियादारी की फ़िक्र होगी!”
उन्होंने कहा कि हम सभी को एक प्रयोग करके देखना चाहिए ; मात्र 24 घंटे का। फिर आपको पता चल जाएगा कि इसके क्या फ़ायदे और क्या नुक़सान हुए। वसुधा,जो खड़ी -खड़ी उनकी बातें सुन रही थी, चुपचाप से कमरे में आ गई। “जल्दी से सो जाओ दोनों ; कल स्कूल जाना है” कहकर वसुधा ने लाइट बंद कर दी और मन ही मन कुछ खुद से भी कह डाला। दूसरे दिन वसुधा का सोमवार का व्रत था। सुबह उठकर सबसे पहले मोबाइल का अलार्म ऑफ़ किया, देखा कि वाट्सअप मैसेज पड़े हुए थे…नहीं,नहीं आज नहीं …कहकर मोबाइल को दूर रख दिया। बच्चों के स्कूल जाने के बाद और पति महाशय को ऑफ़िस के लिए विदा करने के बाद वसुधा को फिर याद आया ,”अरे, फ़ेसबुक तो चेक ही नही किया, वाट्सअप स्टेट्स भी नही अपडेट किया कि अचानक उसके दिमाग़ की घंटी बजी और वो मुस्करा दी।
“आज एक नया दिन मान कर काम करती हूँ ” कहकर वसुधा बुदबुदाई। दोपहर में उसने कुछ रसोई की सफ़ाई की और बच्चों को मठरी बनाई।फिर देखा कई किताबें तो उसने बिलकुल पढ़ी ही नही, “आज इनका भी वक्त आ गया ” आज वसुधा ने कुछ अधूरे राइटिंगके काम को भी निबटा दिया। कुछ नई कहनियाँ पढ़ी, दोपहर में एक घंटे की नींद ली। जब बेटे के स्कूल से वापस आने का समय हुआ तब तक वसुधा अपना आधे दिन का उपवास कर चुकी थी।आज मैंने काफ़ी कुछ पढ़ा,जो मेरी टू-डू लिस्ट में था। वसुधा ने अति उत्साह से बेटे को बोला। “वेरी गुड माँ, अच्छा अपना मोबाइल देना, स्कूल का प्रोजेक्ट का काम करना है”।अरे ; आपका मोबाइल तो आज फ़ुल चार्ज है,कहकर बेटे ने मोबाइल को उठा लिया।
वसुधा सोच रही थी कि, ये उपवास वाली बात बेटे और पतिदेव को तो बतानी चाहिए ना। रात के खाने के बाद जब सभी मास्टर शेफ़ देख रहे थे तो वसुधा बोली “तुमको एक बात बतानी है “। बेटे ने आँखों से ही पूछ लिया क्या? “आज मेरा व्रत है।” वो हमें मालूम है, आज सोमवार है। पतिदेव ने जवाब दिया। “हाँ पर सोमवार के साथ -साथ एक दूसरा व्रत और भी रखा था मैंने आज”।
मतलब ? फ़िर से पतिदेव ने पूछा। तुम्हें याद है कल रात हम कपिल शर्मा शो देख रहे थे और गौर गोपाल दास जी ने सोशल मीडिया के दूरी वाले व्रत का ज़िक्र किया था। मतलब टॉक्सिक फ़्री व्रत। उस बात को मैंने एक चैलेंज के रूप में लिया, और आज पूरे दिन,यानि अभी तक मैं उस बात पर क़ायम हूँ। हाँलाकि मैंने कुछ फ़ोन भी किये और छोटी का होमवर्क वाट्सअप पर चेक किया।
“क्या बात है मम्मी”, बेटे ने झट से मेरी तरफ़ अपना हाथ बढा दिया और ज़ोर -ज़ोर से हाथ मिलाने लगा। “मम्मी काम की चीजें देखने की छूट होती है इस व्रत में। आजकल हम पूरी तरह से इस बात को नकार नही सकते, हमें मोबाइल और फ़ोन भी ज़रूरी है”। वसुधा को लगा, मानो वो बेटा नही बल्कि उसकी माँ बोल रही हो। वसुधा अब सिर्फ़ मुस्करा रही थी। उसका अनोखा उपवास 100% पूरा हो चुका था। साथ ही साथ वो खुद को वादा दे चुकी थी, अब वो रोज़ाना कुछ घंटों का ये अनोखा उपवास किया करेगी।