कविता-कानन
कविता- गुड़िया हुई बीमार
मुनिया की गुड़िया को एक दिन,
हुई कंपकंपी और बुखार।
मुन्ना बोला नजर लगी है,
बुलाएँ जल्द बैगा हुशियार।
बोला टून्ना- “पकड़ी भूतिया,
गुनिया का हो चमत्कार”।
झट से बोली मुनिया रानी,
“कुछ तो करो विचार”।
झाड़-फूँक से लाभ न होगा,
यह तो है सिर्फ बीमार।
अस्पताल ले जाना अच्छा,
मच्छर ने काटा इस बार।।
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कविता- मेरा प्यारा घर
नीलगगन की छांव में
एक छोटे-से गांव में
मेरा प्यारा घर।
बूढ़े पर्वत के पीछे
घाटी में सबसे नीचे
मेरा प्यारा घर।
वनफूलों से महकता
रोशनी से दमकता
मेरा प्यारा घर।
पंछी जहाँ गाते हैं
पेड़ झूम, मुस्काते हैं
मेरा प्यारा घर।
पाठ यूँ पढ़ाता है
मन में रच जाता है
मेरा प्यारा घर।।
– जयप्रकाश मानस