बाल-वाटिका
पेड़
पेड़ हमें छाया देता है
शुद्ध हवा भी देता है
मीठे-मीठे फल वह देता
हमसे कुछ न लेता
कागज, कपड़ा, रबड़ वह देता
रोज हमें डाली पर बैठाता है
रोज झूला झूलाता है
उस पेड़ की छाया में हम बैठते हैं
सब पेड़ को पालते हैं
****************
मेंढक
मेंढक गया तैरने
पानी में करने छपाक-छप छपाक-छप
खुश होकर वो टर्राया
बोला टर्र-टर्र टर्र-टर्र
मछली आई उसके पास
आज वो हो रही थी उदास
मेंढ़क ने फिर उसे हँसाया
खुशी-खुशी जीना सिखाया
हरे रंग का मैं हूँ मेंढ़क
उछल-उछल के चलता हूँ
पानी और जमीन दोनों पर मैं रहता हूँ
कीट-पतंगें खाता हूँ
हरी पत्तियों में छुप जाता हूँ
– आदित्यराज सिंह