पिताजी, आप समझने की कोशिश करिये न। देखिए, न तो हम गाँव जाते है न ही अब हमारा कोई वहाँ रहता है। फिर उस पुराने खंडहर घर को हम बेच देते हैं न! सुधीर की आवाज़ में थोड़ा तनाव था। पिछले कई दिनों से वो कैलाश जी (सुधीर के पिता जी) को गाँव में उनके एक कमरे के पुराने मकान को बेचने के लिए मना रहा था।
सुधीर की बात सुनकर कैलाश जी सोफे पर और आराम से बैठ गए और बोले – वही तो मैं बोल रहा हूँ, छोटा सा एक टूटा- फूटा कमरा ही तो है, उसे बेच कर क्या ही मिल जाएगा?
बाबूजी की न से सुधीर हार मानने वाला नहीं था। अगली सुबह कैलाश जी को बिना बताए सुधीर एक ब्रोकर के साथ गाँव को निकल गया। शहर से ज्यादा दूर नहीं था गाँव।
आधा रास्ता खुदा पड़ा था। ब्रोकर ने तो एक बार रास्ते मे बोल भी दिया कि क़ीमत उतनी अच्छी नहीं मिलेगी और शायद कोई ग्राहक भी न मिले। पर सुधीर ने हार नहीं मानी।
एक कमरे से ज्यादा नहीं था वो मकान। दीवार से प्लास्टर गिर गया था और उस पर सीलन की वजह से काई की वजह से हरी चादर चढ़ी हुई थी। एक दरवाजा था। एक नहीं दो थे, किसी ने खिड़की वाली जगह को भी आने जाने का रास्ता बना दिया था।
दो बूढ़े वहीं बाहर बैठ कर बीड़ी पी रहे थे। सुधीर ने पूछा कि रास्ता क्यों खुदा पड़ा है तो उन्होंने बताया कि यहाँ से बड़ा चौड़ा वाला रोड़ बनेगा।
यह सुनते ही ब्रोकर और सुधीर के चेहरे पर मुस्कान आ गई। अब तो इसकी क़ीमत तीन गुना मिलेगी।
सुधीर वापस लौटता उससे पहले की हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई और फिर बारिश ने गति पकड़ ली। दोनों बूढ़े और सुधीर उस खंडर के अंदर बारिश से बचने को छिप गए।
अच्छा हुआ कैलाश जी ने ये मकान आज तक तुड़वाया नहीं है। कितने लोगों को सिर छुपाने की जगह देता है यह मकान- एक बूढ़े ने दूसरे से कहा।
उसी समय तीन चार महिलाएं भी घूँघट किये उस मकान में आ गई।
काकी मैंने कहा था न आपसे कि बारिश होगी आज खेत नहीं चलते हैं – एक महिला ने कहा तो दूसरी बोली – चिंता क्यों करती हो? कैलाश जी का ये मकान है तो, हम सबका रखवाला।
सुधीर ने बाहर देखा तो बारिश लगभग रुक गयी थी। वह जल्दी से बाहर निकला और ब्रोकर के साथ शहर लौट गया।
रात को जब सब साथ खाना खाने बैठे तो सुधीर ने गला साफ करते हुए कहा – बाबूजी मैं सोच रहा था कि वो गाँव का मकान है न, उसकी थोड़ी मरम्मत करवा देते हैं, और हाँ वहाँ दादाजी के नाम से एक प्याऊ भी बनवा देते हैं।
कैलाश जी प्यार से सुधीर के सर पर अपना हाथ फेर दिया और मुस्कुरा दिए।