मूल पंजाबी कविताएं – नवदीप मुंडी
हिन्दी अनुवाद – हरदीप सबरवाल
१. हमारी माँ की अंतिम अरदास
ठंड है
धुंध है और
दोस्त की माँ के भोग तक जाने का सफर
चलते-चलते याद आई
मुझे अपनी मां की कुर्बानियां
और दोस्त द्वारा बताए गए उसकी
माँ द्वारा दिए गए बलिदान
दोनों मांओं को याद करते
वे मुझे लगीं एक जैसी ही
अब मैं दोस्त की माँ की अंतिम अरदास पर नहीं
हमारी माँ की अंतिम अरदास पर जा रहा हूं
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२. ध्यान
बहुत भारी शब्द है,
तुम इन्हें समझने की कोशिश ना करना,
उलझ जाओगे,
बस मेरा ध्यान करना
तुम्हें सब समझ आ जाएगा
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३. प्यार
मैंने जब जब भी नफरत की
हमेशा हारा ही
प्यार!
तेरा शुक्रिया
तुमने मुझे कभी हारने नहीं दिया
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४. तुम आओ कभी
तुम्हारे जाने के बाद
हर शाख वीरान हो गई है
पत्ता- पत्ता मुरझाया हुआ है
कोई नई कोंपल नहीं फूटी
बौर नहीं आए
कली फूल नहीं बनी
तुम आओ कभी
तो
कुदरत फिर अपने रंग में आए
मेरे पास
जैसे कभी तुम आई थीं
मेरे पास
और मैं
इस बार भी चूक गया