भाषान्तर
शैल सिल्वरस्टीन की अंग्रेज़ी कविताओं का नीता पोरवाल द्वारा हिन्दी अनुवाद
रोप दो कुछ
बनाओ
एक ऊटपटाँग तस्वीर
रचो
दिलचस्प एक कविता
गुनगुनाओ
बेतुका कोई गीत
सीटी बजाओ कंघी से
नाचो दीवानों की तरह
फलाँग जाओ रसोई का फ़र्श
रोप दो दुनिया में थोड़ा भोलापन
करो
जो पहले किसी ने
न किया हो
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आमन्त्रण (जब रास्ते खत्म लगने लगें)
अगर तुम एक स्वप्न दृष्टा हो
तो आओ
अगर तुम एक स्वप्नदृष्टा,
एक दीवाने, एक गप्पी हो
अगर तुम एक आशावादी, एक उपासक,
मेरे इन जादुई बीजों के ख़रीदार हो
अगर तुम एक छलिया हो
तो आओ
मेरे पास बैठो
क्योंकि हमारे पास बुनने के लिए हैं
सन की तरह कुछ सुनहली कहानियाँ
तो आओ
आ जाओ
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अब से हर बरस
हालाँकि मैं तुम्हारा चेहरा नहीं देख सकता
जैसे कि तुम कविताओं को उलट-पलट कर देखती हो
दूर….कहीं दूर से
मैं तुम्हें हँसते हुए सुनता हूँ
और मुस्कुरा देता हूँ
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सुखद अंत?
कोई भी अंत
सुखद नहीं होता
अंत सबसे दुखद हिस्सा है
तो बस मुझे एक ख़ुशहाल मध्य दो
और एक ख़ुशनुमा ख़ूबसूरत शुरुआत
– नीता पोरवाल