लघु-कथा
मुस्लिम गाय, हिन्दू गाय से बोली….”बहिन, कैसी हो?”
हिन्दू गाय बोली, “जी रही हूँ बहिन”
मुस्लिम गाय ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा, “हे राम , तुझे कौन सी दिक्कत ? माँ की तरह पूजी जाती हो तुम।”
हिन्दू गाय दर्द से मुस्कुराते हुए बोली, “हाय अल्लाह ! तुझे नहीं पता। आजकल दूध नहीं दे पा रही हूँ इसलिए दाना-पानी के लिए कूड़े में मुंह मार रही हूँ”
मुस्लिम गाय को बहुत चिंतित देखकर हिन्दू गाय ने फिर पूछा,”क्या हुआ बहिन, तुम किस चिंता में डूबी हुई हो”
मुस्लिम गाय बोली, “अब हमारी भेंट-मुलाक़ात नहीं हो पाएगी क्योंकि अगले जुम्मे को मैं हलाल कर दी जाऊँगी।”
हिन्दू गाय हँसते हुए बोली,”चिंता मत कर बहिन, तेरा मालिक मेरे मालिक को भी बयाना दे गया है। लगता है कोई बड़ा जलसा होने वाला है ! अच्छी बात ये है कि हम दोनों बहिनें एक ही छुरी से हलाल होंगे!”
– प्रशांत विप्लवी