कथा-कुसुम
लघुकथा- स्मार्ट सिटी
सभापति जी के आने में अभी विलम्ब था। उनके आते ही स्मार्ट सिटी बनने वाले नगरों के नामों की घोषणा की जानी थी। समय बिताने के लिए सभी मेयर अपने-अपने महानगर की उपलब्धियों और वहाँ की विशेषताओं पर एक-दूसरे से चर्चा और टिप्पणी कर रहे थे। बीच-बीच में कोई किसी पर व्यंग्य भी कर देता तो सदन ठहाकों और तालियों से गूँज उठता। इसी क्रम में एक मेयर ने दूसरे से कहा, “आपका नगर सचमुच महानगर है। आए दिन सुर्खियों में रहता है। बड़े-बड़े मॉल, कालेज, चौड़ी सड़कें और भी न जाने क्या-क्या है आपके नगर में। रोज़ ही कोई न कोई खबर अखबार में पढ़ने को मिल ही जाती है कभी आपके नगर के विकास की तो कभी चोरी-डकैती-बलात्कार की। अभी कुछ दिन पहले ही तो अखवार में पढ़ा था कि आपके नगर के वृद्धाश्रम में भूख से एक वृद्धा की मौत हो गयी।“ एक पल की चुप्पी के बाद वे माहौल को सामान्य बनाते हुए फिर बोले, “…वैसे साहब इस प्रकार की घटनाएँ होना भी जरूरी है। इसी से पता चलता है कि नगर अब महानगर में बदल चुका है।…और बड़े-बड़े नगरों में ऐसी घटनाएँ होना उसके लिए सोने पर सुहागा है। आपको बहुत-बहुत बधाई हो।” यह सुनकर सदन में ठहाका गूँजने लगा।
“हे…हे…हे…बहुत-बहुत धन्यवाद। क्या किया जाए साहब, इतना बड़ा शहर है…कहाँ तक ध्यान रखा जाए…और फिर यदि शहर में हलचल नहीं होगी तो फिर मज़ा ही क्या है?” सबने जोरदार ठहाका लगाया और दूसरे मेयर ने बात आगे बढ़ाई, “वैसे आपके महानगर की बात भी कुछ कम नहीं है। सुना है आपने अपने नगर के चारों अनाथालयों और तीनों वृद्धाश्रमों का काया पलट ही कर दिया। सभी को वातानुकूलित कर दिया।” सभी ने ताली बजाकर उनका अभिवादन किया। दोनों मेयर अपनी-अपनी प्रशंसा पर फूले नहीं समा रहे थे कि तभी किसी ने एक किनारे चुपचाप बैठे एक मेयर की ओर इशारा करते हुए कहा, “अरे, आप तो बहुत चुपचाप बैठे हैं। क्या हुआ? आप भी कुछ तो बताइए अपने नगर के बारे में। क्या आप अपने नगर को स्मार्ट सिटी बनाना नहीं चाहते? आप भी अपने नगर की विशेषता बताइए।”
वह मुस्कुराते हुए उठा और बोला, “जी मेरे नगर की यही विशेषता है कि मेरे नगर में न कोई अनाथालय है और न कोई वृद्धाश्रम।” कहकर वह चुपचाप बैठ गया। सदन में सन्नाटा छा गया।
– डॉ. लवलेश दत्त