लघुकथा
बच्चे का तर्क
महादेव बाबू शिक्षकीय गुण से ओतप्रोत थे। शिक्षक के गुण उनके स्वभाव का हिस्सा हो गया था। वे विद्यालय के बाहर भी उन्हीं आचरणों के साथ जीते थे। राह-बाट में भी वे किसी की ग़लती पर टोकते और उसे सुधारने का प्रयास करते।
एक दिन महादेव बाबू किसी परचून की दुकान पर कुछ सामान ख़रीदने के लिए खड़े थे कि बारस-तेरह वर्ष का एक लड़का वहाँ आया। उसने 5 रुपये की बीड़ी ख़रीदी और उसमें से एक बीड़ी सुलगाने लगा।
लड़के को बीड़ी सुलगाते देख महादेव बाबू का चेहरा तमतमा गया। उन्होंने लड़के के हाथ से बीड़ी छीन ली और डांटते हुए कहा, “शर्म नहीं आती, इतनी कम उम्र में बीड़ी पीते हो!”
महादेव बाबा के व्यवहार से लड़का दु:खी और नाराज़ हो गया। वह चेहरे पर गुस्से और नफ़रत का भाव लिए वहाँ से चल दिया। चलते-चलते उसने कहा, “इतनी कम उम्र में काम करना पड़ रहा है, यह नहीं देखते!”
– एस मनोज