कथा-कुसुम
फूल
आज बरसों बाद नीना के आँगन में किलकारी गूँजने वाली थी। नीना की आँखे छलछला रहीं थीं। कभी बाँझपन के ताने उसके लिए नासूर बन चुके थे। पढ़ी-लिखी समझदार नीना को विवाह के सालों बाद भी बच्चा न होने के कारण अधर में छोड़ दिया था।
स्त्री जैसे सन्तान उत्पन्न करने का ज़रिया मात्र हो। उसका वजूद चीख-चीख कर दुहाई दे रहा था पर बहरे हो चुके ससुराल वालों को उससे क्या मतलब।
आज गोद भराई की रस्म में उसके पूर्व ससुराल वाले भी शामिल हुए। उसका पूर्व पति बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा था। उसने बड़े भारी मन से नीना को बधाई दी और माफ़ी भी माँगनी चाही। नीना ने अपने पूर्व पति के भावों को भाँपते हुए कहा-
“भला यदि आप वैसा नहीं करते तो मेरे आँचल में फूल कैसे महक पाता!”
दोनों तरफ़ चुप्पी थी बस।
– डॉ. अनिता जैन विपुला