कविता-कानन
कविता- हमारे पेड़
पेड़ हमारे, हम पेड़ों के
बच्चे सारे शोर मचा रहे,
सारे रिश्ते खत्म हो गए
ये रिश्ता तो बचा रहे।
देखो सारे पेड़ कट गए
अब कहाँ से बूंदें बरसेगीं,
धरती पर आने वाली पीढ़ियाँ
हवा पानी को भी तरसेंगी।
पंछी बादल हम तुमको
अब और नहीं बख्शेंगे,
इन बातों का रखना ख्याल
तेरे ही अंश तड़पेंगे।
कुछ तो बचा रहे धरती पर
चांद तारों-सी ये सजी रहे।
सोने जैसी फसलें हो यहाँ
बदल बदल कर पकी रहें।
पेड़ हमारे हम पेड़ों के
बच्चे सारे शोर मचा रहे,
सारे रिश्ते खत्म हो गए
ये रिश्ता तो बचा रहे।।
– लव कुमार