एक नए और संगीतनुमा कलेवर में मारधाड़ से परे वेब सीरीज़: बंदिश बैंडिट्स
हम आज तक कई राजघरानों, संगीत और नृत्य के घरानों के बारे में सुनते आए हैं। इक्कीसवीं सदी के साल 2021 में आज उन घरानों की हक़ीक़त से हम शायद परिचित हों भी या नहीं भी। जैसे उन घरानों के क्या हालात हैं, आजकल उनमें क्या हो रहा है वग़ैरह-वग़ैरह। ख़ैर, बीते साल अगस्त में अमेज़न प्राइम पर एक नई वेब सीरीज़ ‘बंदिश बैंडिट्स’ को रिलीज़ किया गया, जिसकी रेटिंग आई.एम.डी. बी. पर ८.६ रही।
वेब सीरीज़ का प्लॉट एक संगीत के घराने के इर्द-गिर्द बुना गया है। ‘राठौर घराना’ जोधपुर शास्त्रीय संगीत का एक नामी घराना है, जिसके कर्ता-धर्ता
पंडित जी (नसीरुद्दीन शाह) हैं। 25 सालों से संगीत सम्राट की उपाधि पर क़ाबिज़ रहने वाले पंडित जी ने अपने गिने-चुने सात शिष्यों का ही गंडाबन्धन किया।
उन्हें संगीत में अनुशासन के साथ नियमित रियाज़ में दक्ष शिष्य पसंद हैं। इन शिष्यों में उनका पोता राधे भी शामिल है।
इस सीरीज़ की कहानी राधे के रियाज़ से शुरू होती है। राधे का सबसे क़रीबी दोस्त आज के दौर के हिसाब से ढलने और उसे पॉप कॉन्सर्ट कर पैसे कमाने के लिए मनाता रहता है लेकिन राधे अपने घराने के संगीत के प्रति कर्तव्यनिष्ठ होने की वजह से उसकी बात को हर बार टाल देता है। राधे के पापा ने संगीत स्कूल खोलने के लिए बैंक से डेढ़ करोड़ रुपये का कर्ज़ा लिया है, जिसे वो घर के किसी भी सदस्य को बताए बिना चुकता कर रहे हैं। उनके ज़्यादा कहने पर राधे नौकरी तो करने लगता है लेकिन उसका मन वहाँ नहीं लगता। कभी संगीत की सरगम को शाही रजिस्टर में अंकित कर देता है तो कभी रागों को। इसी जद्दोहज़द के चलते जोधपुर में राइजिंग स्टार ‘तमन्ना’ का लाइव कॉन्सर्ट होता है, जिसमें आने के लिए राधे का दोस्त उसे पास देता है। वहाँ जाकर तमन्ना को देखते ही राधे के मन में तमन्ना के लिए प्रेम का सारंगी भी बज जाता है। कॉन्सर्ट के बाद राधे का दोस्त उसे तमन्ना से मिलाता है, जहाँ तमन्ना उसके शास्त्रीय संगीत का अपमान करती है। उस जगह अपने घराने की सरगम और हरकतों को गाकर तमन्ना को स्तब्ध कर देता है। तमन्ना के दिल के तार भी यहीं से जुड़ने शुरू हो जाते हैं।
वेब सीरीज़ आर्थिक और मानसिक घरेलू समस्याओं, प्रेम, समर्पण, विश्वास की दहलीज़ से होती हुई बदले के बिंदु तक भी आती है। पंडित जी की दूसरी पत्नी का बेटा दिग्विजय(अतुल कुलकर्णी), जिसे पंडित जी बचपन में ही उसकी माँ समेत छोड़ चुके हैं, राठौर घराने पर अपना हक़ जमाता है और पंडित जी के नाराज़ होकर उसकी बात को ठुकरा देने पर जोधपुर राजघराने में होने वाले सालाना कार्यक्रम संगीत सम्राट में जीतने की चुनौती देता है। जिसके लिए संगीत अखाड़े में पंडित जी दिग्विजय के सामने अपने पोते राधे को उतारते हैं। दिग्विजय के अनुसार, उसके संगीत में निपुण होने की वजह से बीकानेर घराने को चुनौती देना राठौर घराने के लिए पेचीदा काम है, जिसमें राठौर घराने हार निश्चित है। सीरीज़ में एक बिंदु पर आकर रॉक एंड पॉप गायिका तमन्ना को भी अपनी ऑटोट्यून रिकॉर्डिंग की वजह से पूरे देश के ताने सुनने को मिलते हैं। वहीं दूसरी ओर तमन्ना के साथ एक पॉप गाना रिकॉर्ड करने की वजह के चलते राधे से उसका गंडा पंडित जी वापस ले लेते हैं।
तमन्ना का सपना है कि वो क्वीन एली के साथ लाइव स्टेज शेयर करे। वहीं राधे अपने घराने के संगीत और घराने को बचाना चाहता है और साथ ही तमन्ना की मदद भी करना चाहता है। लेकिन क्या ऑटोट्यून वाली तमन्ना क्वीन एली के साथ लाइव परफॉरमेंस कर पाएगी? राधे-तमन्ना की प्रेम कहानी कहाँ तक पहुँचेगी? क्या राधे को पंडित जी माफ़ करेंगे? मुक़म्मल होगी भी या नहीं? क्या दिग्विजय राठौर घराने को बीकानेर घराने में बदल देगा? क्या राधे संगीत सम्राट जीत पाएगा? ऐसे कई प्रश्न हैं, जिनके उत्तर हमें वेब सीरीज़ देखने के बाद ही मिलेंगे।
वेब सीरीज़ शास्त्रीय संगीत के घरानों में मिलने वाली समस्याओं और आवश्यक पहलुओं को संज्ञान में लाने में सफल रही है। फ्यूज़न और पॉप म्यूजिक के
दौर में शास्त्रीय संगीत की लोकप्रियता को चुनौती मिलने से लेकर शास्त्रीय संगीत का मयार क़ाबिज़ रखने में स्तर का बनाए रखना वेब सीरीज़ के प्लॉट को आकर्षक और शानदार बना देता है। अच्छी और समझ में आने वाली कहानी के साथ संवाद शैली को नये ट्विस्ट दिए गए हैं, जो कि संवाद शैली का प्लस पॉइंट है। वेब सीरीज़ का संगीत शंकर-एहसान-लॉय ने दिया है जो शुद्ध शास्त्रीय संगीत से पगा हुआ है। संगीत की ख़ास बात यह है साथ लोकगीतीय छटा में गाये गीत संगीत को कर्णप्रिय बना देते हैं। शास्त्रीय-लोक-फ्यूज़न म्यूजिक के बीच अच्छी तारतम्यता है। वेब सीरीज़ में नसीरुद्दीन शाह, अतुल कुलकर्णी, शीबा चड्ढा जैसे अनुभवी और बड़े नामों के होने से वेब सीरीज़ का अभिनय कसा हुआ नज़र आता है। ऋत्विक और श्रेया की संगीतबद्ध केमिस्ट्री ने प्यार के छौंक को एक अलग और भीनी ख़ुशबू से सराबोर किया है। हाँ लेकिन, कुछेक सीन्स को देखकर लगता है कि इनकी आवश्यकता शायद नहीं थी। सादा सिंपल लड़के की हाई प्रोफाइल्ड लड़की से मुलाक़ात और उसमें लड़की द्वारा लड़के को नीचा दिखाना पुरानेपन का फ़ील देकर गया। वेब सीरीज़ की लोकेशन को
ज़्यादातर मुम्बई में सेट करके जोधपुरी बना देना अच्छी कारीगरी का सबूत है।
आनंद तिवारी ने निर्देशन में अपना बेस्ट देने का प्रयास किया है। कुल मिलाकर अगर आप संगीत से थोड़ा भी प्यार करते हैं या फिर अच्छे कलाकारों के साथ एक सादा सिंपल और अच्छी वेब सीरीज़ देखना चाहते हैं तो बंदिश बैंडिट्स आपके लिए बनी है।
वेब सीरीज़: बंदिश बैंडिट्स
ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म: अमेज़न प्राइम वीडियो
पटकथा: अमृतपाल सिंह बिंद्रा, लारा, आनंद तिवारी
निर्देशक: आनंद तिवारी
संगीत: शंकर-एहसान-लॉय
कास्ट: नसीरुद्दीन शाह, ऋत्विक भौमिक, श्रेया चौधरी, शीबा चड्ढा, अतुल कुलकर्णी इत्यादि
रेटिंग: 4
– शिवम खेरवार