मानव स्वभाव है कि वह नवीनता के प्रति आकर्षित होता है। नए कपड़े बनते हैं तो उसे पहनने को लेकर एक अलग ही उत्साह रहता है, नई वस्तु आती है तो हृदय प्रसन्न रहता है, बगिया में लगा नया पौधा या पौधे में खिलती कली भी मन को भीतर तक सुगंध से भर देती है। एक नया खिलौना पाकर नन्हा बच्चा जैसे खिलखिलाता है, वैसे ही नयापन हमें उल्लास से भर देता है। जैसे ढोल-बाजे के साथ नए शिशु का आगमन होता है, या कि नई बहु के स्वागत की तैयारियाँ की जाती हैं, वैसी ही प्रसन्नता के साथ नव वर्ष हमारे जीवन में आता है। नई अनुभूति का संचार होता है और हम इसे एक उत्सव की तरह मनाते हैं।
प्रायः खुशियाँ व्यक्तिगत होती हैं या फिर हमारे परिवार, समाज, शहर, कार्यक्षेत्र से जुड़ी रहतीं हैं। बहुत कम ऐसा होता है कि हम खुशियों को सम्पूर्ण विश्व के साथ साझा करें लेकिन नया साल हमें वैश्विक रूप से एक करता है, यहाँ सम्पूर्ण विश्व की सकारात्मक ऊर्जा साथ होती है और इस ऊर्जा में रहकर किये जाने वाले संकल्प जीवन को एक नई दिशा प्रदान कर सकते हैं। अतः भले ही यह एक तिथि का परिवर्तित हो जाना भर ही अनुभूत हो लेकिन यह वर्ष भर की स्मृतियों, स्वयं के आंकलन एवं आत्मचिंतन का समय भी होता है। अतः इसे बदले हुए कैलेंडर से इतर दृष्टि से भी देखना चाहिए। यह नई उम्मीदों, नई संभावनाओं और नए प्रयासों को फलीभूत करने का अवसर प्रदान करता है साथ ही पुरानी भूलों के दोहराव से बचे रहने का स्मरण भी कराता है।
समय की गतिशीलता के साथ आगे बढ़ते रहना प्रकृति का नियम है लेकिन अब जबकि हम एक वर्ष से दूसरे वर्ष की इस यात्रा को चल पड़े हैं तो आवश्यक हो जाता है कि कुछ पल इसकी दहलीज़ पर ठिठक एक चिंतन यात्रा से भी गुजरते चलें। यात्रा जो यह सुनिश्चित करेगी कि हमने जिन कठिनाइयों, चुनौतियों का सामना गत वर्ष किया था, उसने हमें अब थोड़ा मजबूत बना दिया है। साथ ही प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रति हमारी संघर्ष क्षमता भी बेहतर हो गई है। जीवन की पाठशाला से हमने बहुत से सबक सीख लिए हैं और उनके साथ आगे बढ़ने के लिए हम मानसिक रूप से इतने तैयार हैं कि दुरूह राहों से गुजरकर भी अपनी मुस्कान यथावत रख सकते हैं।
यद्यपि प्रत्येक व्यक्ति में नव वर्ष से जुड़ी उमंग, उल्लास अलग-अलग कारणों से हो सकता है लेकिन इतना तो तय है कि यह सामूहिक रूप से हमें अपनी प्राथमिकताओं को पुनः परिभाषित करने और समझने का अवसर तथा प्रेरणा देता है।
जब हम नए स्वप्न संजोते हैं तो उन्हें पूरा करने के लिए तन-मन दोनों का ही स्वस्थ रहना आवश्यक है। और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक वातावरण में निवास अनिवार्य हो जाता है। वातावरण अनुकूल न हो तो हम उसका निर्माण करें एवं परस्पर सम्मान और सहयोग की भावना के साथ पर्यावरण और समाज को बेहतर बनाने में योगदान दें।
हम अपने जीवन की घटनाओं को वर्षों से याद रखते हैं कि इस वर्ष जन्मे, इस वर्ष यह डिग्री मिली, विवाह हुआ, नौकरी लगी इत्यादि। यही कारण है कि नया वर्ष, जीवन के नए अध्याय का प्रतीक भी माना जाता है। एक ऐसा अध्याय जो भविष्य में प्रतिबिंब बन अचानक ही सामने आ खड़ा होगा। यदि हम इस प्रतिबिंब को सुंदर देखना चाहते हैं तो इस अध्याय को आशा, उत्तम भाव, कड़ी मेहनत, ईमानदारी, सकारात्मक सोच के साथ लक्ष्य प्राप्ति जैसे शब्दों से भरकर प्रेम भाव से सींचना होगा। प्रेम, अश्रु से भरे चेहरे के बीच चमकती मुस्कान है। प्रेम, हर दुख का अंत है, हर कठिनाई का विजय गान है।
नव वर्ष और हमारा आने वाला हर समय प्रेम से बीते, हम द्वेष भाव से ऊपर उठें और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने में सहयोग करें, स्वस्थ मानसिकता रहे और विकासोन्मुखी लक्ष्य के साथ हमारा देश निरंतर प्रगति करता रहे, विश्व पर युद्ध का साया भी न हो; इन्हीं उम्मीदों के साथ नव वर्ष का हार्दिक स्वागत।