नीदरलैंड उत्तर-पश्चिमी यूरोप में स्थित एक समृद्ध देश है। इसके पूर्व में जर्मनी, दक्षिण में बेल्जियम एवं उत्तर व पश्चिम में उत्तरी सागर स्थित है। यह यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और बेल्जियम के साथ समुद्री सीमाएँ साझा करता है। नीदरलैंड का शाब्दिक अर्थ ‘निम्न भूमि’ है। बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्ज़मबर्ग को निम्न देश कहा जाता है। इन देशों को बेनेलक्स (BENELUX) देश भी कहा जाता है जो इन तीनों देशों के नाम के शुरुआती अक्षरों से बना है। ये उत्तर-पश्चिमी यूरोप के तटीय क्षेत्र के देश हैं। इन तीन देशों को निम्न देश इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनकी अधिकांश भूमि या तो समुद्र तल से नीचे है या उससे थोड़ा ऊपर है। नीदरलैंड के कुल भूमि क्षेत्र का एक चौथाई से अधिक भाग समुद्र तल से नीचे है। प्राकृतिक रेत के टीले और मानव निर्मित समुद्री दीवार व बांध (Dike) पोल्डरों को बाढ़ से बचाते हैं। समुद्र तल से नीचे कीभूमि के टुकड़े को ‘पोल्डर’ कहा जाता है जो समुद्र से वापस ली गई भूमि (ReclaimedLand) होती है। पोल्डर कृत्रिम रूप से सुखायी गई भूमि का समतल टुकड़ा होता है। निम्न भूमि और समतल स्थलाकृति के कारण इसे यह संज्ञा दी गई है। नीदरलैंड का लगभग 26% भाग समुद्र तल से नीचे है। आज दूसरे देशों के लोग नीदरलैंड को चीज़, पवन चक्की, फूल और अनूठे जल प्रबंधन के लिए जानते हैं, लेकिन डच लोगों की इन उपलब्धियों के पीछे सदियों का संघर्ष है। नीदरलैंड के बारे में कहा जाता है कि ईश्वर ने दुनिया का निर्माण किया, लेकिन डचों ने नीदरलैंड का निर्माण किया। जल के विरुद्ध डचों ने लंबा संघर्ष किया है। उन्हें ठंड और वर्षा से भी निरंतर जूझना पड़ता है। प्राकृतिक शक्तियों से निरंतर संघर्ष ने उन्हें फौलाद बना दिया है। नीदरलैंड ट्यूलिप के उद्यान,पवनचक्की, चीज बाजार, लकड़ी के जूते, एम्स्टर्डम की नहरें, उत्कृष्ट कलाकृतियाँ, मिट्टी के बरतन, अभिनव जलप्रबंधन और साइकिल चालन के लिए मशहूर है। डच लोगों की कहानी और जल के साथ उनके संघर्ष के केंद्र में पवन चक्कियां रही हैं। पवन चक्की अब नीदरलैंड का प्रतीक बन गई है। पहली बार 13वीं शताब्दी में पवन चक्की का प्रयोग किया गया जो समुद्र तल के नीचेवाली भूमि से पानी को पम्प कर निकालती थी। जल को पवित्र रखने और उसे प्रदूषण से बचाने के लिए नीदरलैंड का पूरा नागरिक समाज प्रतिबद्ध दिखाई देता है।
नीदरलैंड में अधिकांश लोगों की किसी धर्म में आस्था नहीं लेकिन जल के प्रति डच लोगों का समर्पण और स्नेह प्रशंसनीय है। कहा जाता है कि नीदरलैंड में जल सर्वव्यापी है। यहाँ के निवासियों ने जल को अपना सखा, सहचर और सहयोगी बना लिया है। पूरे देश में नहरों का विशाल नेटवर्क है। गली, मोहल्लों और गाँवों में भी छोटी-बड़ी नहरें देखी जा सकती हैं जिनमें नौकायन की भी सुविधा है। डच लोगों ने अपने कौशल और बुद्धि के बल पर समुद्र से भूमि छीनकर उस भूमि पर पूरा शहर बसा दिया है। नीदरलैंड में नहरों के निर्माण का इतिहास बहुत पुराना है। डच अर्थव्यवस्था के उन्नयन में इन नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ये नहरें नीदरलैंड की रक्तवाहिकाएँ हैं। नीदरलैंड में नहरों की उत्पत्ति 17वीं शताब्दी में हुई। डच स्वर्ण युग में व्यापारी इन नहरों से शहर तक अपने माल का परिवहन करते थे।नीदरलैंड में नहरों का अनेकमुखी उपयोग होता है। अनेक नहरों में हाउसबोट की सुविधा उपलब्ध है जिसे रात में ठहरने के लिए किराए पर लिया जा सकता है। एम्स्टर्डम शहर में लगभग 2500 हाउसबोट हैं। एम्स्टर्डम में ‘कैट बोट’ भी हैं जिन्हें हम तैरता हुआ पशु अभयारण्य भी कह सकते हैं। इन नहरों के किनारे अनेक उत्सव आयोजित किए जाते हैं। ये नहरें डच शहरों के अभिन्न अंग हैं जो शहर की विशिष्ट छवि पेश करती हैं। एम्स्टर्डम अपनी 17वीं शताब्दी की नहर प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है जो यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है।नीदरलैंड का जल प्रबंधन अनूठा और पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है।
नीदरलैंड में जल प्रबंधन के लिए रिजक्सवाटरस्टैट(Rijkswaterstaat) और जिला जल बोर्ड उत्तरदायी हैं। ये अन्य कार्यों के अतिरिक्त देश में जल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं और बाढ़ नियंत्रण के लिए भी कदम उठाते हैं। जल प्रबंधन में राज्य सरकारें और नगरपालिकाएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बाढ़ की रोकथाम का दायित्व जल प्रबंधकों का होता है। इसके अतिरिक्त जल प्रबंधक भूजल और सतही जल की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं और यह भी सुनिश्चित करते हैं कि जल की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुसार हो। रिजक्सवाटरस्टाट (आरडब्लूएस) का दायित्व समुद्र और नदियों के जल का प्रबंधन करना है। वह यह भी सुनिश्चित करता है कि संबंधित सरकारी अधिकारी बाढ़ या समुद्री तूफान के समय सतर्क रहें। जिला जल बोर्ड क्षेत्रीय जल जैसे, नहर, पोल्डर, जलमार्गों आदि का प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार हैं। जिला जल बोर्ड देश को बाढ़ से भी बचाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि किसानों को उनकी फसलों के लिए पर्याप्त पानी मिलता रहे। इसके अलावा वे अपशिष्ट जल शोधन का कार्य भी करते हैं। नीदरलैंड की केंद्र सरकार जल संबंधी राष्ट्रीय नीति और उपायों की घोषणा करती है। केंद्र सरकार प्राथमिक बाढ़ रक्षा प्रणालियों से संबंधित बाढ़ सुरक्षा मानक तय करती हैI डाइक और ड्यून देश को समुद्र और प्रमुख नदियों के पानी से बचाते हैं। इसके निर्माण और रखरखाव का दायित्व भी केंद्र सरकार का है। प्रांत की सरकारें राष्ट्रीय जल नीति को क्षेत्रीय आधार पर लागू करती हैं। प्रांत की सरकारें मृदा संरक्षण और भूजल गुणवत्ता प्रबंधन के कार्य करती हैं। जिला जल बोर्ड अपने जिले के भीतर पानी की गुणवत्ता के संबंध में प्रबंधन योजना तैयार करते हैं। इसके अलावा जिला जल बोर्ड क्षेत्रीय बाढ़ रक्षा प्रणालियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैंI शहरी क्षेत्रों में भूजल का प्रबंधन नगरपालिकाएं करती हैं। नगरपालिकाएं जल अधिनियम और पर्यावरण प्रबंधन अधिनियम के अनुसार मल-जल निकासी के लिए जिम्मेवार होती हैं।
सदियों के संघर्ष ने नीदरलैंड को जल प्रबंधन के क्षेत्र का विशेषज्ञ बना दिया है। जल प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्र में नीदरलैंड विश्व के अन्य देशों को सलाह देता है। समय-समय पर नीदरलैंड अन्य देशों में अपने जल विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को भेजता रहता है ताकि उसकी विशेषज्ञता से अन्य देश लाभान्वित हो सकें। भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने और जल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए प्रांतीय सरकारें योजनाएं बनाती हैं और उन पर कार्रवाई करती हैं।पेय जल के स्रोतों की रक्षा के लिएप्रांतीय सरकार भूजल निकासी क्षेत्रों को चिह्नित करती हैं जहां से भूजल की निकासी की जानी है अथवा भूजल निकासी को प्रतिबंधित करना है। प्रांत और नगर निगम के अधिकारियों को अन्य योजनाओं जैसे, भूमि उपयोग योजनाओंऔर पर्यावरण परमिट जारी करते समय इन तथ्यों को ध्यान में रखना पड़ता है। नीदरलैंड में सर्वत्र जल ही जल है। एम्स्टर्डम की नहरों से लेकर छोटे-छोटे गाँवों तक जल -सर्वव्यापी है।
अनेक अर्थों में नीदरलैंड एक अनूठा देश है। देश की 50 प्रतिशत भूमि ही समुद्र तल से केवल एक मीटर ऊपर है। नीदरलैंड का समुद्र तट उत्तर में जर्मनी से दक्षिण में बेल्जियम तक 230 किमी तक फैला हुआ है। इतनी लंबी समुद्री सीमा किसी निचले देश के लिए आपदा की तरह लग सकती है, लेकिन नीदरलैंड ने आपदा को भी अवसर में बदल देने का हुनर सीख लिया है। नीदरलैंड में समुद्र के जल को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक अवरोधक भी हैं। मोटे तौर पर तटरेखा का 75% भाग रेत के टीलों से घिरा है जो कई किलोमीटर चौड़ा है। ये टीले न केवल एक सुंदर परिदृश्य का निर्माण करते हैं, बल्कि ज्वार-भाटे से भी बचाव करते हैं। नीदरलैंड में कुछ ड्यून को राष्ट्रीय उद्यानों के रूप में संरक्षित किया गया है और ये वन्य जीव संरक्षण और जैव विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डच लोगों ने महसूस किया कि केवल बालू के ड्यून समुद्र से उनका बचाव नहीं कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने डाइक का निर्माण किया। नीदरलैंड ने विनाशकारी बाढ़ का सामना किया जिससे सबक लेकर डच लोगों ने डाइक अथवा बाँध का निर्माण किया। यहाँ आखिरी बड़ी बाढ़ 1953 में आई थी। 31 जनवरी की रात को ज्वार और एक बड़े तूफान के संयोग से जल स्तर सामान्य समुद्र तल से 5.6 मीटर ऊपर उठ गया। इस प्रचंड बाढ़ ने बचाव के सभी अवरोधकों को तोड़ दियाI इस बाढ़ में 1,800 से अधिक लोगों की मौत हो गई। ज़ीलैंड के वाटर्सनूड संग्रहालय (WatersnoodMuseum) में इस विनाशकारी बाढ़ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इस त्रासदी ने नीदरलैंड को अपने जल प्रबंधन पर पुनर्विचार करने के लिए और अपने दृष्टिकोण में बदलाव करने के लिए विवश किया। परिणामतः नीदरलैंड ने अपनी तटीय रक्षा प्रणाली को नवीनीकृत किया। बाढ़ से बचाव के लिए आठ किलोमीटर लंबा विशाल बाढ़ नियंत्रण प्रणाली का निर्माण किया गया जिसमें तूफान वृद्धि अवरोधक, डाइक, बांध और स्लूइस गेट (SluiceGate) का निर्माण किया गया। इसमें 62 स्लाइडिंग फाटकों का निर्माण किया गया। डच लोगों ने अनेक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की जिसमें नई भूमि का निर्माण करना प्रमुख था। जो कभी समुद्र था उससे उन्होंने फ्लेवोलैंड प्रांत का निर्माण कर दिया। वर्ष 1986 में निर्मित यह नीदरलैंड का नवीनतम प्रांत है जो वास्तव में समुद्र से पैदा हुआ है। इस परियोजना को पूरा होने में एक दशक से अधिक का समय लगा। फ्लेवोलैंड नीदरलैंड में सबसे बड़ा, लेकिन एकमात्र पोल्डर नहीं है। देश भर में इस तरह के 4000 पुनर्निर्मित भूमि हैं।
डचों ने महासागर पर शासन किया है अर्थात उन्होंने अपने कौशल से महासागर को अपने अनुकूल बना लिया है। डचों ने अपने लाभ के लिए जल और समुद्र का उपयोग करना सीख लिया है।नीदरलैंड में नाव परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन है। इतिहास से सबक लेते हुए डच जल्द ही जहाजों के निर्माण और समुद्री यात्रा में पारंगत हो गए। इससे इस देश का आर्थिक उन्नयन हुआ। इसलिए 17वीं शताब्दी में नीदरलैंड विश्व व्यापार का प्रमुख केंद्र बन गया। यह डच स्वर्ण युग था।डच ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से उन्होंने प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में पुर्तगाली और स्पेनिश को पीछे छोड़ दिया। कंपनी ने एशियाई व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त कर लिया। नीदरलैंड में समुद्र व्यापार का सस्ता साधन हैI यहाँ का विशाल नदी नेटवर्क भी अन्य देशों के बीच माल परिवहन का सस्ता माध्यम है। सदियों पहले सामान्य नावों के द्वारा माल परिवहन होता था। बाद में मोटर चालित नावों के उपयोग से व्यापार की उन्नति हुई। 500 किलोमीटर से अधिक अंतर्देशीय जलमार्ग प्रणाली के माध्यम से एम्स्टर्डम और रॉटरडैम से जर्मनी व बेल्जियम तक माल परिवहन होता है।
नीदरलैंड की नदियों द्वारा यूरोपीय संघ के सभी देशों में अंतर्देशीय जलमार्ग के माध्यम से दो तिहाई मालों की ढुलाई की जाती है। नीदरलैंड दुनिया की सबसे बड़ी व्यापारिक शक्तियों में से एक है। रॉटरडैम का बंदरगाह यूरोप का सबसे बड़ा बंदरगाह और एशिया को छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री बंदरगाह है। वर्ष 2018 में रॉटरडैम बंदरगाह के माध्यम से लगभग 500 मिलियन टन कार्गो का परिवहन हुआ। बंदरगाह में कार्गो का संचालन मशीनों और रोबोटों द्वारा भी किया जाता है। नीदरलैंड ने अधिक जलमार्ग का निर्माण कर अपनी आर्थिक उन्नति को पंख लगा दिए।1931 ई. और 1952 ई. के बीच एम्स्टर्डम से माल की आसान ढुलाई के लिए एम्स्टर्डम-राइन नहर का निर्माण किया गया था। यह 72 किमी लंबी नहर एम्स्टर्डम के बंदरगाह को जर्मनी से जोड़ती है। यह दुनिया की सबसे व्यस्त नहर है जिसमें एक साल में 100,000 जहाजों का परिचालन होता है। डचों ने बहुत पहले ही नहरों का निर्माण शुरू कर दिया था। जल डच लोगों के सभी संघर्षों का साथी रहा है। इसलिए वे लोग जल के व्यावहारिक उपयोग और वास्तविक महत्व को जानते हैं। नीदरलैंड में जल समय व्यतीत करने और मनोरंजन का भी महत्वपूर्ण साधन है। डच बच्चे कम उम्र से तैरना सीख लेते हैं। मौसम अनुकूल होने पर सभी लोग झीलों और समुद्र तटों पर जाकर जल विहार का आनंद लेते हैं। तेज हवा और प्रचुर मात्रा में जल की उपलब्धता के कारण नीदरलैंड नौकायन के लिए उपयुक्त देश है। डच लोगों ने यह साबित कर दिया है कि जल का आनंद लेने के लिए गर्मी का इंतजार करने की जरूरत नहीं हैI यहाँ के निवासी सर्दियों में भी आइस स्केटिंग का आनंद लेते हैं। डचों ने मध्य युग में ही आइस स्केटिंग शुरू कर दी थी और यह अभी भी यहाँ एक लोकप्रिय खेल है। वास्तव में यह नीदरलैंड के उत्कृष्ट खेलों में से एक है। डच लोग आइस स्केटिंग को बहुत गंभीरता से लेते हैं।
निम्न भूमि होने के कारण बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन नीदरलैंड की प्रमुख समस्या रही है। जल के प्रति इनका अनुराग प्रशंसनीय है। अपने मकान के आगे या पीछे जल की उपस्थिति इन्हें ऊर्जा से भर देती है। प्राकृतिक रूप से जल स्रोत नहीं होने की स्थिति में वे कृत्रिम रूप से तालाब, नहर आदि का निर्माण करते हैं। जल का वर्णन किए बिना नीदरलैंड का इतिहास और भूगोल अधूरा है। अधिकांश डच लोग बांधों में रिसाव के विचार से ही कांप उठते हैं। यदि नीदरलैंड अपने 24 किलोमीटर लंबे शक्तिशाली बांधों और टीलों को खो दे जिनमें से कुछ 25 मीटर ऊंचे हैं तो उसके बड़े शहर जलमग्न हो जाएंगे। अतिरिक्त पानी निकालने के लिए आधुनिक पंपिंग स्टेशन चौबीस घंटे चलते रहते हैं। अलमेरे(Almere) नीदरलैंड का नवीनतम शहर है जो एम्स्टर्डम के निकट है। यह समुद्र से वापस ली गई भूमि (Reclaimed Land) पर बसाया गया शहर है। यह शहर अपनी सहिष्णुता और विविधता के लिए प्रसिद्ध है। अलमेरे का लक्ष्य वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए एक सर्वसमावेशी रहने योग्य शहर का निर्माण करना है।