1.
गुलदानों में फूल सजाये
बैठक में टेबल के ऊपर
काग़ज़ के कुछ फूल जमाये
इत्रों से फिर वे महकाये
गुलदानों में फूल सजाये
आडम्बर के नाटक रचकर
बनते पर्यावरण हितैषी
इतराये, फोटो खिंचवाये
गुलदानों में फूल सजाये
कलियाँ जहाँ मिली सुंदर सी
झटका, तोड़ा, कुचला, मसला
सपने मधुर मधुर दिखलाये
गुलदानों में फूल सजाये
खोदी जड़ें, दिया ना पानी
सुखा दिये पौधों के कुनवे
फिर झूठे आंसू टपकाये
गुलदानों में फूल सजाये
रंग बिरंगापन वो चाहें
लेकिन बस अपनी ही खातिर
रखे कैद में रंग पराये
गुलदानों में फूल सजाये
*******************
2.
वे सब तुमने नहीं बताये
धर्म ग्रंथ से स्वार्थ साधते
सब के सब संदर्भ सुनाये
जहाँ गये हैं प्रश्न उठाये
वे सब तुमने नहीं बताये
मौलिकता की छाप लगाकर
कुछ अच्छे उद्धरण परोसे
कहाँ कहाँ से गये चुराये
वे सब तुमने नहीं बताये
अम्न शांति के बड़े ढिढोरे
पीट रहे हो जगह जगह पर
लेकिन कितने घर जलवाये
वे सब तुमने नहीं बताये
धर्म धुरंधर बनकर अब जो
रुपये यज्ञ में लगा रहे हो
किस रस्ते से गए कमाये
वे सब तुमने नहीं बताये
पुरस्कार, सम्मान हड़पने
कहाँ कहाँ पर पेंड़ भरे हैं
खोल नड़े संबंध बनाये
वे सब तुमने नहीं बताये