समारोह में ‘अद्वितीय गोपाचल’ पुस्तक का लोकार्पण, डॉ. अंजना संधीर जी का रचना पाठ रहे मुख्य आकर्षण
10 अक्टूबर को साहित्य, कला एवं संस्कृति को समर्पित संस्था ‘कर्मभूमि अहमदाबाद’ ने अपने स्थापना दिवस की पाँचवी वर्षगाँठ मनाई। इस शुभ अवसर पर ‘प्रारंभ स्मार्ट सिटी’ अहमदाबाद में एक साहित्यिक संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ. एस. के. जैन (पूर्व प्राचार्य एवं लेखक), सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. अंजना संधीर एवं ‘प्रारंभ स्मार्ट सिटी’ के डायरेक्टर श्री सचिन चतुर्वेदी जी आमंत्रित थे।
राष्ट्रगान के साथ प्रारंभ हुए इस आयोजन में सर्वप्रथम अतिथियों का स्वागत किया गया। उसके बाद डॉ. एस.के.जैन द्वारा लिखित पुस्तक ‘अद्वितीय गोपाचल’ का लोकार्पण हुआ। तत्पश्चात ममता सिंह ने डॉ. जैन के साथ इस पुस्तक पर शानदार चर्चा की। जहाँ डॉ. जैन ने भारतीय संस्कृति एवं ऐतिहासिक धरोहर के प्रतीक गोपाचल पर्वत एवं यहाँ उत्कीर्त तीर्थंकर मूर्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने न्यास द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों एवं इससे सम्बद्ध श्री अजीत बरैया जी की भी बहुत प्रशंसा की। ममता जी के प्रश्नों का उत्तर देते हुए डॉ. जैन ने अपने जीवन से जुड़े कई रोचक किस्से भी साझा किए। उसके बाद श्रोताओं के साथ प्रश्नोत्तरी का दौर चला। कार्यक्रम में डॉ. जैन की धर्मपत्नी एवं इतिहास की पूर्व व्याख्याता श्रीमती नलिनी जैन जी की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।
अगले सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अंजना संधीर जी का उद्बोधन एवं काव्य पाठ हुआ। उपस्थित श्रोताओं ने उनकी कविताओं, ग़ज़लों का भरपूर आनंद लिया और उनकी प्रस्तुति ने खूब तालियाँ बटोरी। डॉ. अंजना जी ने भी अपने जीवन से जुड़े विविध किस्सों पर बात की साथ ही कर्मभूमि को अपनी स्नेहिल शुभकामनाएँ भी दीं।
कार्यक्रम में ‘कर्मभूमि अहमदाबाद’ की संस्थापक द्वय प्रीति अज्ञात एवं नीरजा भटनागर ने कर्मभूमि की पाँच वर्षों की यात्रा को संक्षिप्त में बताया। इसे एक वीडियो द्वारा भी प्रदर्शित किया गया। सुश्री मल्लिका मुखर्जी एवं मधु सोसि द्वारा कर्मभूमि के ‘साथ के पाँच बरस’ पर वक्तव्य दिए गए। साथ ही मल्लिका जी द्वारा रचना पाठ भी किया गया। सुश्री रेखा नायर ने इस कार्यक्रम का बेहद शानदार तरीके से संचालन किया। छायांकन सहयोग सौम्या जैन का रहा।
अंत में प्रीति अज्ञात ने आभार प्रदर्शन के साथ इस भव्य कार्यक्रम का समापन किया। उसके बाद भी वहाँ उपस्थित लोगों का उत्साह देखते ही बनता था तथा वे सभी कवयित्रियों से उनकी रचनाएँ सुनने को उत्सुक थे। समय सीमा का ध्यान रखते हुए, अगली मुलाक़ात के वादे के साथ टीम कर्मभूमि ने वहाँ से विदाई ली।