वर्ष 2020 पूरे देश में कोरोना की जानलेवा दहशत। देशभर के स्कूल, कॉलेज बंद थे, चारों तरफ संक्रमण, चारों तरफ अफवाहें, मौतें और अनिश्चितता। खैर, धीरे-धीरे दहशत कुछ कम होती है। स्कूल, कॉलेज खुलने लगते हैं। देश की सबसे मशहूर यूनिवर्सिटीज में से एक डी.वू. यानी दिल्ली विश्वविद्यालय भी खुलता है। अक्टूबर का महीना है। साल 2021 के लिए प्रवेश की शुरुआत होती है। लोगों को उम्मीद है कि शायद इस साल, इस दहशत भरे माहौल को देखकर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षाओं में 100 प्रतिशत, 99 प्रतिशत या 98 प्रतिशत की मांग करके वह हरकत न करे जिसके लिए वो बदनाम है।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। डी.यू.की पहली कट ऑफ लिस्ट फ्लैश होती है और उसमें जो सबसे ऊपर नाम होता है, वह लेडी श्रीरम कॉलेज या एल.एस.आर. का है। कॉलेज में बी.ए. ऑनर्स कोर्स के लिए जो पहली कट ऑफ लिस्ट जारी की है, उसमें इकॉनॉमिक्स, पोलिटिकल साइंस और साइक्लोजी के पाठ्यक्रमों के लिए 100 फीसदी की कट ऑफ लिस्ट जारी की है यानी इन विषयों में उन्हीं छात्रों को एडमिशन मिलेगा, जिन्होंने 12वीं की परीक्षाओं में 100 फीसदी अंक हासिल किया है। सिर्फ एल.एस. आर. ही क्यों हिंदू कॉलेज भी उससे पीछे नहीं हैं, उसने भी पॉलिटिकल साइंस के लिए 99.5 पर्सैटज और बी.एस,सी. फिजिक्स आनर्स के लिए 99.33 परसैटेज की कट ऑफ लिस्ट जारी की है। मिरांडा हाउस सहित दिल्ली के सात कॉलेजों में अपने पहली कट ऑफ लिस्ट 98.5 फीसदी से लेकर 100 फीसदी के बीच जारी की।
ये क्या तमाशा है? दुनिया का कोई ऐसा विश्वविद्यालय नहीं है, न ही दुनिया का कोई ऐसा विद्वान जो राजनीति विज्ञान में 100 फीसदी अंक ला सके। राजनीति विज्ञान ही नहीं मानविकी के किसी भी विषय में अगर आप 100 प्रतिशत अंक पाते हैं तो या तो एग्जामिनर में या फिर समूचे सिस्टम में कोई समस्या है। क्योंकि मानविकी का कोई विषय गणित की तरह संख्याओं के श्यामश्वेत उत्तर पर निर्भर नहीं होता। मानविकी के किसी भी विषय में आपका दिया गया जवाब आपकी समझ की, संतोषजनक या गैर-संतोषजनक अभिव्यक्ति भर होता है, तो जब जिन विषयों पर 100 फीसदी अंक हासिल ही नहीं किए जा सकते तो फिर उनकी पढ़ाई की इच्छा रखने वाले छात्रों को 12वीं में 100 फीसदी अंकों की बंदिश क्यों?
लेकिन नहीं साहब, आप दिल्ली विश्वविद्यालय या इस तरह के देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के लगभग 25- 26 कॉलेजों के प्रशासन को समझा नहीं सकते थे कि छात्र जीते, जागते इंसान है, कोई रोबोट या मशीन नहीं। मगर जो बात लोगों की परेशानियां, छात्रों की गुहार और पत्रकारों की आलोचनाएं नहीं समझा सकीं, उस बात को यू जी.सी. ने दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देश की 45 सैंट्रल यूनिवर्सिटीज को एक झटके में समझा दिया है।
अब इन सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक साझा प्रवेश परीक्षा होगी। इन विश्वविद्यालयों से जुड़ें कॉलेजों में अब एडमिशन के लिए छात्रों द्वारा 12वीं में हासिल किए गए अंकों की कोई वैल्यू नहीं होगी। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने इसकी घोषणा कर दी है। पिछले साल जब कोरोना के दहशत भरे माहोल में भी दिल्ली विश्वविद्यालय के सात जारी की थी, तभी यह लगने लगा था कि अब पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका है। यू.जी.सी. ने अभी सिर्फ सैंट्रल यूनिवर्सिटी में यह नियम लागू किया है, क्योंकि ज्यादातर इन्हीं विश्वविद्यालयों में भारी भरकम कट ऑफ लिस्ट का नकचढ़ापन था। हालांकि इस नई शिक्षा नीति तहत लागू किया गया है और कहा जा रहा है कि इस संबंध में देखा जाएगा कि यह सुधार काम करता है या नहीं।
जाहिर है अगर यह सुधार करता हुआ दिखेगा यानी लोग इससे खुश होंगे तो देश के दूसरे विश्वविद्यालयों पर भी इस नियम को लागू किया जाएगा। कुछ भी हो भविष्य में कुछ भी नतीजे निकले, लेकिन फिलहाल तो एक अतार्किक अकड़ खत्म ही हुई जिसके चलते देश के कुछ कॉलेज अपने कुछ पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए 100 फीसदी अंक की मांग करते थे। लेकिन अब केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में आगामी अकादमी सत्र यानी 2022-23 में ऐसी किसी भी मांग के लिए कोई जगह नहीं होगी। हालांकि अभी बहुत सारे छात्रों को ही नहीं बल्कि उनके मां-जाप को भी इस सबका का मतलब नहीं पता ? शायद यूजी.सी. ने इन्हीं को समझाने के लिए अपने इस फैसले की वजह बतायी है। यू जी.सी. के मुताबिक सभी राज्यों के अलग-अलग शिक्षा बोर्ड में छात्रों को 12वीं कक्षा में नंबर देने के तरीके और पैटर्न एक जैसे नहीं हैं। सबमें यह अलग-अलग पैटर्न देखा गया है। ऐसे में महज अंकों के आधार पर दाखिला देना छात्रों के साथ स्वाभाविक न्याय नहीं था।
यू-जी.सी. ने साफ किया है कि साढ़े तीन घंटे की इस परीक्षा में एन.सी.ई.आर.टी. के पाठ्य पुस्तकों के आधार पर ही बहुविकल्पीय प्रश्नपत्र तैयार होंगे। यही नहीं अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों के छात्रों को भी इस साझी प्रवेश परीक्षा में एक गैर-जरूरी बोझ न पड़े, इसलिए प्रवेश परीक्षा को तीन हिस्सों में बांट गया है। पहले हिस्से में लैंग्वेज टैस्ट होगा और सभी के लिए एक जैसा टैस्ट नहीं होगा। इसमें 13 भाषाओं का क्किल्प होगा, जो जिस भाषा में अपने को सहज पाता हो, उस भाषा में वो टैस्ट दे सकेगा। इस टैस्ट में रीडिग, वोक्लैनरी, कॉम्प्रहेंशन, समानार्थी और बिलोम को स्पष्ट करने वाले सवाल होंगे। प्रवेश परीक्षा का दूसरा हिस्सा डोमेन स्पैसिफिक का होगा इसमें 27 डोमेन मौजूद होंगे और कोई भी छात्र कम से कम एक और अधिक से अधिक छह डोमेन का चुनाव कर सकता है। डोमेन स्पैसिफिक नॉलेज का मतलब होता है किसी क्षेत्र विशेष का ज्ञान। छात्रों को 27 ऐसे विशेष क्षेत्र दिए जाएंगे जिनमें से वो चाहे एक या अधिक से अधिक छह क्षेत्रों के पूछे गए सबालों के जवाब दें सकता है। इस प्रवेश परीक्षा के तीसरे हिस्स में करेंट अफेयर, सामान्य ज्ञान, सामान्य मानसिक क्षमता, सामान्य गणितीय क्षमता, कक्षा 8 की रिजनिंग, लॉजिकल और एनॉलिटिकल से जुड़े सवाल पूछे जाएंगे ये टैस्ट तभी देना होगा जब कैंडीडेट जिस कॉलेज में प्रवेश करना चाहता है, उसमें ऐसी मांग की गई हो।
केंद्रीय विश्वविद्यालयें में प्रवेश पाने के लिए यह साझी परीक्षा कंप्युटर आधारित होगी और इसे नैशनल टैस्टिंग एजेंसी जुलाई के पहले हफ्ते में आयोजित करेगी। वह परीक्षा दे शिफ्टों में आयोजित होगी और 13 भाषाओं में आयोजित की जाएगी। ये 13 भाषएं हैं- उर्दू, पंजाबी, उड़िया, असमिया, हिंदी, गुजराती, बंगला, कन्नड़, मलवालम, तमिल, तेलगू, अंग्रेजी और मराठी। परीक्षा के लिए अप्लीकेशन विंडो अप्रैल के पहले हफ्ते में खुल जाएगी। स्कोर के आधार पर प्रवेश के लिए कॉमन काउंसिलिंग का अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन यू-जी.सी. प्रमुख का मानना है कि भविष्य में इसकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।