11 अक्टूबर 2022 को हिमाचल भवन, मंडी हाउस, नई दिल्ली में युवा लेखक, फिल्म समीक्षक तेजस पूनियां की दो पुस्तकों ‘भारतीय सिनेमा: साहित्य संस्कृति एवं परिदृश्य’ तथा ‘रोशनाई’ का लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लंदन से पधारे साहित्यकार एवं पुरवाई के संपादक तेजेंद्र शर्मा थे। इस कार्यक्रम में प्रख्यात सिने लेखक शरद दत्त एवं प्रहलाद अग्रवाल के साथ गुजरात की लेखिका एवं संपादक प्रीति ‘अज्ञात’ (गुजरात साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत) , फिल्म निर्देशक गौरव चौधरी, ‘दादा लखमी’ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित फिल्म के लेखक राजू मान, बहुभाषी लेखिका मल्लिका मुखर्जी (गुजरात साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत), ‘अभिनव इमरोज’ एवं ‘साहित्य नंदिनी’ पत्रिका के संपादक देवेंद्र बहल, शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी जय प्रकाश फ़ाक़िर की गरिमामयी उपस्थिति रही। संचालन युवा लेखिका एवं कहानीकार, अनुवादक शिवानी कोहली ने किया।
तेजेन्द्र शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह बहुत खुशी का अवसर है कि एक युवा लेखक की दो पुस्तकों के लोकार्पण में हम एक साथ यहाँ उपस्थित हुए हैं। इन पुस्तकों में एक साहित्य और दूसरी सिनेमा पर आधारित है। चर्चा करते हुए उन्होंने आगे बताया कि साहित्य और सिनेमा एक दूसरे के पूरक हैं। दरअसल दिक्कत यह रही है कि जो साहित्य के ठेकेदार हैं उन्होंने सिनेमा को हमेशा दोयम दर्जे की विधा समझा। मगर उन्हें मीडियम की इतनी बेहतर समझ नहीं थी। उनको ये बेसिक बात नहीं पता थी कि जो बात वो ढाई पेज में कहते हैं, वह कैमरा दस सेकंड में कह देता है। उन्होंने तेजस पूनियां को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी कहानियों में संवादों के रूप में सिनेमा भी नजर आता है।
‘हस्ताक्षर वेब पत्रिका’ जिससे वर्ष 2017 में तेजस के लेखकीय जीवन की शुरुआत हुई, उसकी संपादक प्रीति अज्ञात ने भी अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्होंने तेजस के लेखन को आगे बढ़ते हुए देखा है। वे अपनी कमियों को पहचानते हुए हर सलाह को सकारात्मक लेते हैं और यही उनकी लेखनी की निरंतर समृद्धि में सहायक सिद्ध होता है।
प्रख्यात सिने लेखक शरद दत्त एवं प्रहलाद अग्रवाल ने सार्थक चर्चा में योगदान देते हुए तेजस को शुभकामनाएं दी। फिल्म निर्देशक गौरव चौधरी ने फ़िल्मों के बनने, संवरने की बातें करते हुए फिल्मों के उदाहरण देते हुए कहा कि डायलॉग किसी भी फिल्म की जान होते हैं लेकिन आजकल की फिल्मों में डायलॉग की जगह गालियों ने ले ली है। उन्होंने यह भी कहा कि हम लेखकों की जिम्मेदारी बनती है कि हम फिल्म मेकर को कंटेंट ऐसे लिख कर दें जिनमें कुछ सार्थक सिनेमा झलकता हो। इस अवसर पर ऋचा पचौरी ने तेजस पूनियां को उनके प्रथम कहानी संग्रह ‘रोशनाई’ पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि उनका प्रथम प्रयास अत्यंत सराहनीय है।उन्होंने संग्रह की सभी कहानियों पर अपनी टिप्पणी भी दी।
इस कार्यक्रम में डॉ. रक्षा गीता, डॉ. अनुपमा, रक्षा ठाकुर , राघवेंद्र रावत, रश्मि अग्रवाल आदि भी उपस्थित रहे। तेजस पूनियां ने इस कार्यक्रम का अत्यंत जिम्मेदारी से पूर्ण निर्वहन किया। कार्यक्रम के अंत में आमंत्रित अतिथियों को धन्यवाद के बाद सभी ने सुरुचिपूर्ण भोज का आनंद उठाया।