1.
जीवन के अवसाद हमारे देखे हैं
सुख के पानी ,खाद हमारे देखे हैं
हाथ ,पैर ,जूते ,चप्पल ,मुंह चलते हैं
संसद के संवाद हमारे देखे हैं
बात अम्न की करने वाले बहुरुपिये
सब के सब उस्ताद हमारे देखे हैं
हम सब तो आज़ाद हुए हैं कहने को
जो सचमुच आज़ाद हमारे देखे हैं
जिनका खून पसीना बनकर बहता हैं
उनके घर बर्बाद हमारे देखे हैं
धर्म ,जाति ने बना दिया पागल जिनको
उनके सब उन्माद हमारे देखे हैं
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2.
हमेशा सच हुआ दंडित हमारा
भरोसा हो गया शंकित हमारा
मुआ अज्ञान का पाखंड था जो
वही तो हो गया पंडित हमारा
जिसे हमने बचाने की जुगत की
हुआ चेहरा वही खंडित हमारा
फ़जीहत है बेचारी सादगी की
है हिंसक खौफ अब मंडित हमारा
लुटाता फिर रहा हूँ जिंदगी से
दिलों पर प्यार है अंकित हमारा