सर्दी का बुत
बर्फ़ से बनाकर
सर्दी भगाते
बर्फ़ीली धरा
कोहरे का मफ़लर,
सूर्य की ग्रीवा
चिड़िया रानी
ठिठुरे नगर में
घोंसला ढूंढे
धूप आँचल
लटका दीवार से
करार आया
मात खा गया
सूरज का अहम
शीत ने दी शै
जाड़े की धूप
लगे कमज़ोर सी
पीलिया हुआ
चाय के भाव
अदरक की शान
बढ़ी सर्दी में
कम्पित धरा
चिलम फूंके चाँद
ठिठुरा गई
ठिठुरन है
जिंदगी में बहुत
सुलगे मन
यादों की गंध
कल्पना का कोहरा
कड़क चाय
घना कोहरा,
बर्फीले अहसास,
कोई ना पास
दिल उदास
छाया कुहासा मन
रवि की आस