समय रैखिक है या वर्तुलाकार ये हमेशा से एक ऐसा प्रश्न रहा है जिसका कोई जवाब अब तक नहीं मिल पाया है। पूर्वी सभ्यताएं समय को वर्तुलाकार मानती आयी है यानि समय जहां से प्रारंभ होता है एक दिन फिर वहीं लौटता है और समय के एक नये वर्तुल का प्रारंभ होता है। सृष्टि के बाद प्रलय है और प्रलय के बाद पुन: सृष्टि है और ये क्रम अनवरत जारी है। विज्ञान भी समय को जानने की लगातार चेष्टा कर रहा है। महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग्स की पुस्तक ‘ ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम ‘ बहुत पढी गई है। हॉकिंग्स मानते हैं कि यूनिवर्स का एक प्रारंभ रहा है। आधुनिक खोजें बताती कि हमारी यूनिवर्स करीब पंद्रह अरब साल पुराना है, पृथ्वी चार अरब साल पुरानी है, पृथ्वी पर जीवन दो अरब साल पहले शुरू हुआ था और मनुष्य यानि होमो सेपियन पचास लाख साल पुराना है। सभ्यता मात्र दस हजार साल पुरानी है। लिखावट का आविष्कार मात्र तीन हजार साल पुराना है। ये कुछ अनुमान है जो वैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित है पर ये भी कहाँ तक ठीक हैं. आज कह नहीं सकते हैं। धार्मिक कट्टरपंथियों को तो वैसे भी ये स्वीकार नहीं है।
हॉकिंग्स अपनी किताब में बताते हैं कि हमारे यूनिवर्स में समय का तीर आगे की ओर है इसलिये समय आगे ही बढ़ता रहता है। लेकिन किन्हीं दूसरे यूनिवर्स में समय का तीर पीछे की ओर भी हो सकता है तब वहां मजेदार घटनाएं घट रही होंगी। एक टूटे हुए कप के टुकड़े आपस में जुड़ कर वापस पूरा कप बन रहे होंगे, फूल पुन: कली में बदल रहा होगा और कली फिर से बीज में बदल रही होगी। वृद्ध बच्चे में बदल रहा होगा बल्कि मां के गर्भ में जा रहा होगा। उस यूनिवर्स में लोग मौत से आयेंगे और जन्म से जायेंगे, बिल्कुल रिवर्स मामला होगा। क्या ऐसा हो सकता है? बिल्कुल हो सकता है, फिजिक्स के नियमों के अनुसार हो सकता है।
आधुनिक विज्ञान की एक बहुत बड़ी फैंटेसी टाइम ट्रेवल की रही है यानि भूत और भविष्य में पहुंच जाना। टाइम ट्रेवल को लेकर साइंस कथाएं प्रचुर मात्रा मे लिखी गई हैं। टाइम मशीन की कल्पना की गई है जो हमें भूत और भविष्य में ले जा पाएंगे। सोचे आप बादशाह अकबर के दरबार में पहुंच गये है या दस हजार साल पुराने किसी कबीले में पहुंच गये है, कितनी रोमांचक कल्पना है पर यदि वापस न लौट पाए तो? सोच कर ही कंपकंपी आ जाती है। इसी तरह आप भविष्य में, छब्बीसवीं सदी में मंगल ग्रह पर पहली मानवीय बस्ती में पहुंच गये है। क्या टाइम मशीन से इतिहास और भविष्य को बदला जा सकता है? कई लोग मानते है कि ऐसा भी किया जा सकता है। आप रावण को पहले से सूचित कर दे कि विभीषण गद्दारी करेगा और इस तरह आप इतिहास की धारा बदल सकते हैं। आप पृथ्वीराज चौहान को बता सकते है कि मोहम्मद गौरी को छोड़ देना बहुत बड़ी भूल होगी और आप उसे गौरी के कत्ल के लिये प्रेरित कर सकते है।
हालांकि कई वैज्ञानिक उपरोक्त बातों से सहमत नहीं हैं और वे टाइम मशीन को कपोल कल्पना ही मानते है। आइंस्टीन ने अपनी कैलकुलेशन से ये बताया कि जितना कोई वस्तु प्रकाश की गति के नजदीक गति करती है उतना ही समय धीमा होता जाता है। जब आपके यान की गति प्रकाश की गति के बराबर हो जाये तो समय ठहर जाएगा इसका मतलब है कि यदि हम प्रकाश की गति से किसी यान में सफर करे तो हमारी उम्र बढ़ना बंद हो जायेगी। सोचें, आप एक ऐसे यान में सफर कर रहे है और लाखों साल बाद पृथ्वी पर लौटते हैं तो आप तो वही तीस साल के रहेंगे पर पृथ्वी पर सब कुछ बदल गया होगा। ये भी संभव है कि पृथ्वी ही नष्ट हो गई हो। पर ऐसा यान बनना असंभव सा लगता है जो प्रकाश की गति से चलता है क्योंकि तब उसका वजन बहुत ही ज्यादा हो जायेगा और उसको चलाने के लिए इतनी बड़ी मात्रा में ऊर्जा की जरूरत पड़ेगी जो कहीं से मिल नहीं पायेगी।
विज्ञान संभावनाओं के संकेत देता है पर आगे क्या होगा ये समय ही तय करेगा। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी समय का महत्व कम नहीं है। जो समय का दुरुपयोग करते है वे एक दिन बहुत पछताते है। एक-एक पल महत्वपूर्ण है और उसका विवेकपूर्ण उपयोग किया जाना चाहिए।