यह एक महत्वपूर्ण विषय है। जीना सामान्य विषय हो भी नहीं सकता। ये ईश्वर का दिया हुआ अनमोल उपहार है। इसके आगे हर चीज़ कमतर है लेकिन इसे कैसे जिया जाए ये सभी के सामने एक प्रश्न है। इसकी कोई परिभाषा नहीं है एवं कोई नियम नहीं है।
मनुष्य का जीवन कुछ इस प्रकार है कि वह एक ढाँचे में जीवन जीता है। वह ढाँचा चाहे पारिवारिक हो, सामाजिक हो या राजनैतिक हो। एक हद तक ये ज़रूरी भी है क्योंकि व्यवस्थित परिवार, व्यवस्थित समाज और व्यवस्थित राजनीति ही प्रगति कर पाते हैं। जीवन को एक व्यवस्थित परिवेश की ज़रूरत होती है क्योंकि उसे सबके साथ जीना है।
लेकिन प्रत्येक व्यक्ति को यह भी समझ होनी चाहिए कि जीवन उसका अपना है जो परिवार, समाज और राजनीति इन सब से अलग हटकर है। वह जीवन जो अपना है, उसके प्रति भी आपका सजग होना ज़रूरी है। यदि उसके प्रति आप सजग हैं तो ही आप परिवार समाज राजनीति और यदि वृहद स्तर पर देखें तो इंसानियत के लिए भी एक महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने के स्तर पर होते हैं।
सजग होने से हमारा तात्पर्य इतना ही है कि अपने जीवन को अपनी आँखों से देखें। आज के समय की बात करें तो हम पाएँगे कि हर व्यक्ति अपने जीवन को दूसरों की आँखों में देखता है। उसकी एक ही ख्वाहिश होती है कि दूसरे की आँखों में और ज़बान में हमारा क़द बड़ा हो। ये जो मानसिकता है वो बहुत ही सामान्य स्तर की मानसिकता है। अत: ये ज़रूरी है कि हम ऐसी मानसिकता का शिकार होने से बचें। अपनी नज़रों में अपना स्तर परखें। उसे और अधिक तराशने का प्रयास करें। हमें ये जो जीवन मिला है, उसके सृष्टा भी हम हैं और दृष्टा भी हम ही हैं। अत: सृष्टि की इस सुंदर रचना का सम्मान करें और इस जीवन को सहजता, सरलता और समझदारी से जिएँ।
याचना
किसी से कुछ ना माँगो तुम
किसी के पास है ही क्या,
सभी याचक हैं दुनिया में
तुम्हें उनसे मिलेगा क्या ।
ये फ़ितरत की भी क्या कहिए
इसे बस माँगना ही है,
मगर याचक को याचक से
ज़रा सोचो मिलेगा क्या ।
अगर याचक से माँगोगे
ना होगा कुछ तुम्हें हासिल,
जिसे तुमने चुना है वो
नहीं देने के कुछ काबिल
तुम्हें क्या माँगना हैं ये
अगर तुम जान जाओगे
नहीं भटकोगे राहों में
तुम्हें मिल जाएगी मंज़िल
अगर चाहत है पाने की
तो देने की दिशा चुन लो
जो पाऊँगा वो बांटूँगा
ये सपना साथ में बुन लो
यही याचक है वो याचक
जिन्हें अधिकार है इतना
जो माँगे खुल के दाता से
कहे दाता मेरी सुन लो
सपने
सुलझे सपने उलझा जीवन
ये कैसे सच हो पाएगा
जैसे ही सुलझेगा जीवन
ये सब सच होता जाएगा
सपने तो खुद के होते है
जीवन सब से जुड़ जाता है
सपना दो आँखों का दर्शन
जीवन ये समझ ना पाता है
सपनों में तुम ही होते हो
जीवन में तुम खो जाते हो
सपनों को छूने की ख़ातिर
फिर तुम अपने हो जाते हो
जब तुम अपने हो जाते हो
तब जीवन पीछा करता है
कहता है सपना मैं ही हूँ
तू क्यूँ जीवन से डरता है
जीवन सपना सपना जीवन
जब कुछ भी समझ ना आता है
तब उलझे उलझे जीवन में
सपना संग चलता जाता है
जीवन इक सपना है सुंदर
फिर ऐसा लगने लगता है
हर सपना सच हो जाएगा
अहसास ये जगने लगता है
जीवन सपनों की धड़कन है
जीवन में सपने पलते हैं
सपना जीवन जीवन सपना
ऐसे ही जीवन चलते हैं।