हृदयेभ्योऽनुरागो निर्गत:
देवालयेभ्यो देवो निर्गत:
दिलों से प्रेम निकल गया
मंदिरों से देवता निकल गया
ओष्ठयो: प्रार्थनास्तु वर्तन्ते
ताभ्योऽधुना प्रभावो निर्गत:
होठों पर दुआएं तो हैं
पर उनसे असर निकल गया
तस्या वीथ्यां पादो निक्षिप्त:
हस्तेभ्यो व: स्वर्गो निर्गत:
उसकी गली में जो पैर रखा
हाथों से तुम्हारा स्वर्ग निकल गया
सभायां तस्या नेत्रे दृष्ट्वा
सद्यो मदिरायां मदो निर्गत:
महफ़िल में उसकी आंखें देख के
शराब का नशा निकल गया
इदानीं तु मया गृहं चलनीयं
मंचं त्यक्त्वा नु नटो निर्गत:
अब तो घर चलना चाहिए
मंच छोड़ के अदाकार निकल गया
कथावसानं कथं कुर्यामहं
कथां त्यक्त्वा नायको निर्गत:
कहानी का अंत कैसे करूं
कहानी छोड़ के नायक निकल गया
नगरेऽत्र तटे तूष्णीं स्थितोऽहं
नदीं परित्यज्य रसो निर्गत:
यहां शहर में चुपचाप बैठा हूं
नदी छोड़ के पानी निकल गया
यथेच्छं भावार्थं कुर्वन्तु
पूर्वं शब्देभ्योऽर्थो निर्गत:
जो चाहो मतलब निकाल लो
पहले ही शब्दों से अर्थ निकल गया
अधुना त्वात्मानं रक्ष बन्धो
चिरं धनुषो मम शरो निर्गत:
अभी तो ख़ुद को को बचाओ
पहले ही धनुष छोड़ के मेरा तीर निकल गया
तत्र गत्वा कथाः श्रोतव्याः
पूर्वं तिवारी यतो निर्गत:
वहां जाकर कहानियां सुननी चाहिए
पहले जहां से तिवारी निकल गया