कवे! पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते?
कवे! पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते? १
शिशु: स्वपालितो मुहुर्युवेह घुर्घुरायते।
कवे! पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते? २
प्ररोपितं सुमं क्षणे क्षणे नु कण्टकायते।
कवे! पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते? ३
प्रमथ्य सागराद् हृता सुधापि हा विषायते।
कवे! पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते? ४
दिवानिशं धनीकृत: कथं स निर्धनायते।
कवे! पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते? ५
अनेन बन्धुतामुपेत्य शत्रुता विधीयते।
कवे! पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते? ६
विभाव्य ते कृतं प्रिय! ध्रुवं मया विहस्यते।
कवे!पदे पदे कथं कृतघ्नता वितन्यते? ७
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