आयात बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:
महिमानमस्यास्सर्वान् वदामः।
नगरं- नगरमधुना चलाम:।।
शृणुत बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:
आयात बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:।।
सुन्दराश्श्लोका अस्यां निहिता:।
बहवो हि लाभा एषामुदिता:।।
श्रावयत बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:
आयात बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:।।
पुत्रा अस्याश्चत्वारो वेदा:।
अत्रैव सन्ति समस्ता भेदा:।।
कथयत बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:
आयात बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:।।
भाषेयं बहुरम्या सुरम्या।
देवभाषैषा नूनं सुधन्या।।
लिखत बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:
आयात बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:।।
इयमस्माकं विशुद्धा भाषा।
विश्वे निखिले प्रचलिता भाषा।।
वदत बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:
आयात बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:।
समस्ता: ग्रन्था अस्यां लिखिता:।
षोडश संस्कारा अस्यां निहिता:।।
स्मरत बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:।
आयात बालका भो: संस्कृतं वयं पठाम:।।
महिमानमस्यास्सर्वान् वदामः
नगरं-नगरमधुना चलाम:।।