खूबसूरत इक सहारा है ग़ज़ल
अब अदब के इस खुले आकाश में
इक चमकता सा सितारा है ग़ज़ल
खुरदरी अनुभूतियों की घाटियाँ
सूर्योदय सुख का नज़ारा है ग़ज़ल
वक्त के सुख, दुख की शिद्दत मापने
और उठता, गिरता पारा है ग़ज़ल
तैरते थक जाये जब तैराक तो
सांस लेने को किनारा है ग़ज़ल
*************
2.
आप अपनी बदगुमानी के लिए मशहूर हैं
झूठ, धोखा, बेईमानी के लिए मशहूर हैं
लोक पथ के हम पथिक, चलते रहेंगे उम्र भर
राज पथ तो राजधानी के लिए मशहूर हैं
साज़िशें खुलकर करो, षड्यंत्र फैलाओ भले
हम भी अपनी सावधानी के लिए मशहूर हैं
हम उठाते ही रहेंगे उंगलियाँ अन्याय पर
जु़ल्म तो अपनी कहानी के लिए मशहूर हैं
काट लें जीभें,लगें अभिव्यक्ति पर पाबंदियां
किन्तु हम तो हक़बयानी के लिए मशहूर हैं
****************
3.
मुंह हमारे सिल दिए हैं छीन ली आवाज़ तक
कर नहीं सकते किसी भी बात का एतराज़ तक
दाल, रोटी, भात, सब्जी हो गये महंगे सभी
खा नहीं सकते हैं हम अब तो टमाटर प्याज तक
झूठ की साजिश बदलती रोज़ अपने फैसले
लग नहीं पाता कभी कोई सही अंदाज़ तक
इम्तहाँ क्या ले रहे हो तुम हमारे ज़र्फ का
पैर से ठुकरा दिए हमने सुनहरे ताज तक
मौत से हम को डराने का तरीका छोड़ दो
रोज मिलते हैं हमें कातिल कई लफ्फाज़ तक