नारी को गाड़ी कहे, लड़की माने माल।
ऐसे नर की सोच से, जननी करे मलाल।।
नाक कटे जब देश की,जन,-जन करे विरोध।
नारी के अपमान का, फाँसी केवल शोध।।
ऐसा घटिया यह समय ,मरे लाज से लाज।
पशु से भी ओछा लगे, बर्बर मानव आज।।
मानुष देह जनम गये, भूत -प्रेत बैताल।
अलग कहाँ अब ये दिखें, राकस काल कराल।।
औरत और बाजार में, कुछ तो करिये फर्क।
साबुन, रीबन वह नहीं, करिए तर्क- वितर्क।।
मानव -दानव धरम का, कुछ तो करें खयाल।।
अपनी बेटी बहन को, करिये नहीं हलाल।
पुलिस न बोले कुछ यहाँ, जज साहब भी मौन।
सोने की जब नाक हो, न्याय करे तब कौन।।