इस वर्ष कोरोना के क़हर से जूझती दुनिया को एक लंबी प्रतीक्षा के बाद जब टीके लगने प्रारंभ हुए तो जैसे सबने चैन की साँस ली। यूँ लगा कि चलो, अब खतरे से बचा जा सकता है। कम-से-कम घातक परिणाम की आशंका तो नहीं ही रहेगी अब। यद्यपि अभी भी एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो टीकाकरण के विरुद्ध है और ऐसे नागरिकों की भी संख्या कम नहीं जिन्हें दोनों डोज़ नहीं मिल सके हैं। बच्चों का नंबर तो अभी आया ही नहीं। लेकिन फिर भी जिनका पूर्ण टीकाकरण हो गया और उसका प्रमाणपत्र भी उन्हें मिल गया, वे कुछ ज्यादा ही निश्चिंत हो गए। कहना गलत न होगा कि जीवन अब सामान्य होने की दिशा में चल पड़ा था। लेकिन ‘ओमिक्रॉन’ की आहट ने यह बता दिया कि हमें अपनी सुरक्षा और सावधानी में अब भी कोई कमी नहीं रखनी है।
जैसा कि आप जानते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में संक्रमित मरीज़ों में B.1.1.529 कोरोना विषाणु पाया गया है। वैज्ञानिकों ने इस नए स्वरूप को ही सामान्य भाषा में ‘ओमिक्रॉन’ नाम दिया है। आपको याद होगा कि इसके पहले मरीज़ अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वायरस से संक्रमित हुए थे। अब जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) ने इस वायरस के नए स्वरूप को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित कर दिया है तो समझ लीजिए कि स्थिति चिंताजनक ही है। हालाँकि हमें भयभीत नहीं होना, बल्कि और भी सचेत रहना होगा।
विश्व के 14 देशों ने इसके मरीज़ों की पुष्टि कर दी है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसके लगभग तीन दर्ज़न म्यूटेशन हो चुके हैं तथा यह पुराने वेरिएंट्स की अपेक्षा तेजी से फैलने वाला प्रतीत हो रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि ओमिक्रॉन उतना घातक नहीं है। इससे संक्रमित मरीज़ों में थकान जैसे हल्के लक्षण ही देखने को मिल रहे हैं। गंध या स्वाद में कोई कमी नहीं देखने में आ रही है। लेकिन ध्यान रखिए कि यह निष्कर्ष नहीं बल्कि प्रारंभिक सूचनाएं भर हैं।
फ़िलहाल हम इस बात से तसल्ली भले ही कर लें कि भारत में अब तक इसका कोई मरीज़ दर्ज़ नहीं किया गया है। लेकिन संभावित संक्रमितों की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता! कितने लोग तो ऐसे हैं जो परीक्षण ही नहीं कराते!
अब यदि हम ये सोचने बैठें कि सरकार क्या कर सकती है? तो उससे पहले हमें अपनी जिम्मेदारियों पर भी विचार करना होगा।
* सरकार के हाथ में इतना है कि वह कोविड परीक्षण की गति बढ़ाए एवं टीकाकरण केंद्रों की संख्या में वृद्धि करे।
* कोविड नियमों के पालन पर दृढ़ता दिखाए तथा उसका उल्लंघन करने वालों पर कठोरता से कार्यवाही करे।
* जिन देशों से ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले सामने आए हैं, वहाँ से आने वाली उड़ानों के प्रति गंभीर निर्णय ले। साथ ही अन्य देशों से आने वाले यात्रियों पर भी कड़ी नज़र रखे। उनके कोविड परीक्षण हों तथा उन्हें एक निश्चित अवधि तक किसी के संपर्क में न आने दिया जाए।
* पिछली बार की भूलों से सीख लेते हुए इस बार अस्पतालों में बिस्तर, दवाई, ऑक्सीजन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता संबंधी जानकारी लेकर संबंधित पक्ष को उचित दिशा-निर्देश दे।
* जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। यदि जनता द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भागीदारी की एक निश्चित संख्या रखी जाती है तो राजनीतिक दलों को भी ‘अपार जनसमूह’ के आनंद से बचते हुए उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
हम नागरिकों को जो बात समझनी है उसमें सबसे पहली बात तो ये कि किसी भी स्थिति में हम अपने जीवन को हल्के में नहीं ले सकते हैं!
हम उन अपनों को भी नहीं भूल सकते हैं जो इस महामारी के कारण हमसे सदा के लिए दूर चले गए और कैसे इस विषाणु ने हमारा जीवन छिन्न-भिन्न कर दिया। अभी भी किसी-न-किसी रूप में इसके दुष्प्रभावों से जूझ ही रहे हैं।
अच्छी बात ये है कि वायरस के फैलने के कारण और इसकी तीव्रता के अनुमान से हम और आप अवगत हो चुके हैं। सामाजिक दूरी, मास्क और सैनिटाइज़र के प्रयोग की उत्तम जानकारी भी हमारे पास है ही। हमें तो बस उसका पालन ही करना है। क्योंकि जैसे पिछली जंग में हम विजयी रहे, अब भी यही तीन कारक हमें सुरक्षित रख सकते हैं। हम यह सोचकर मास्क को नहीं हटा सकते कि हमारा तो पूर्ण टीकाकरण हो गया है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ चुकी है तो कोरोना विषाणु निष्प्रभावी रहेगा। या कि हमसे टकराकर चूर-चूर हो जाएगा।
वैज्ञानिकों ने भी इस तथ्य को बार-बार याद दिलाया है कि टीका, कोरोना विषाणु को नष्ट नहीं करता बल्कि आपके शरीर में उससे लड़ने की मारक क्षमता उत्पन्न करता है। ऐसे में क्या यह बेहतर नहीं होगा कि हम अपने शरीर में इस विषाणु के प्रवेश को ही रोक दें। ये हमारा शरीर है, इसे किसी सूक्ष्मजीवी का युद्धक्षेत्र बनाना ही क्यों है जबकि यह पता है कि इससे लड़ाई हमें भीतर से कमजोर कर देती है। जीतने के लिए अब भी टीकाकरण और मास्क ही हमारे भरोसेमंद हथियार हैं। हमें इनसे लैस रहना होगा। मास्क को सही तरीके से पहनें एवं अपने हाथों को सदैव स्वच्छ रखें, हमारे हाथ में इतना ही है और यह करना बहुत आसान भी है।
ध्यान रहे हमारी छोटी सी चूक का सीधा असर हमारे परिजनों पर ही नहीं अपितु हमारे देश और देशवासियों पर भी पड़ेगा। देशप्रेम दिखाने का इससे अच्छा अवसर और क्या है कि हम अपनी सुरक्षा के साथ, अपने देश की रक्षा में भी सहायक बनें। कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर का जो एक भयावह समय गुजर चुका है, उसकी पुनरावृत्ति नहीं होने दें। विषाणु के कितने ही स्वरूप क्यों न आ जाएं हम पूरी तैयारी, धैर्य, आत्मविश्वास के साथ अपनी जीवटता बनाए रखें। यह हम सब मिलकर ही कर सकते हैं। इस वर्ष को विदाई देते हुए नववर्ष का स्वागत इसी हौसले और पूरे उल्लास से करना होगा।