जर्मनी मध्य यूरोप में स्थित एक समृद्ध देश है। यह रूस के बाद यूरोप का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। जर्मनी उत्तर में बाल्टिक और उत्तरी समुद्र तथा दक्षिण में आल्प्स के बीच में स्थित है। इसकी सीमा उत्तर में डेनमार्क, पूर्व में पोलैंड व चेक गणराज्य, दक्षिण में ऑस्ट्रेलिया एवं स्विट्जरलैंड और पश्चिम में फ्रांस, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम और नीदरलैंड को स्पर्श करती है। जर्मनी को कवियों और विचारकों की भूमि कहा जाता है। कला के सभी रूपों में जर्मनी के प्रतिभावान पुरुषों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। विशेषकर शास्त्रीय संगीत में तो जर्मन लोगों का कोई मुकाबला नहीं है। जर्मनी में बेहतरीन चर्च और कैथेड्रल हैं जो शानदार वास्तुशिल्प के उदाहरण हैं। इन चर्चों और किलों में सदियों का कौशल और कल्पनाशीलता के दर्शन होतेहैं। कैथेड्रल के टावर और मीनारें जर्मनीके कला-कौशल के साक्षी हैं। जर्मनी में जर्मन भाषा बोली जाती है। जर्मन भाषा अंग्रेजी और डच भाषा के अत्यंत निकट है। लगभग 10 करोड़ लोग जर्मन भाषा बोलते हैं।
30 अप्रैल 2023 को हम लोग डेनबॉस (नीदरलैंड) से सुबह नौ बजे जर्मनी के शहर कोहेम के लिए रवाना हुए। यूरोप में एकमात्र जर्मनी ऐसा देश है जहाँ कोई गति सीमा नहीं होती है। इसलिए लोग प्रायः 160, 180 और अनेक लोग 200 प्रति घंटे की रफ़्तार से कार चलाते हैं। सभी वाहनों के लिए 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति की अनुशंसा की गई है, लेकिन इससे अधिक की गति से वाहन चलाना भी अवैध नहीं है। हमारी कार 150 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही थी। रास्ते में अंगूर के खेत थे, लेकिन उनमें अभी पत्ते व फल नहीं आए थे। इन खेतों को देखना एक अलग प्रकार के अनुभव से गुजरना था।
हम लोगों का लक्ष्य कोहेम जाना था, लेकिन कोहेम का भ्रमण करने से पहले बुर्ग एलिज (BurgEltz) को देखने का विचार था। बुर्ग एलिज(BurgEltz) कोहेम जाने के रास्ते में था। दिन में एक बजे हम लोग बुर्ग एलिज पहुँच गए। किले तक कार ले जाने की अनुमति नहीं थी। इसलिए शटलबस में बैठ गए। कार पार्किंग से बुर्ग एलिज किला अधिक दूर नहीं है। इसलिए अधिकांश लोग पैदल जा रहे थे। शटल बस से दस मिनट में हम लोग किले तक पहुँच गए। बुर्ग एलिज जर्मनी के सबसे पुराने किलों में से एक है। पुराने किलों के प्रति जर्मनी के लोगों की दीवानगी अद्भुत है। यहाँ सदियों से किलों के प्रति अटूट प्रेम रहा है। जिस प्रकार कुछ लोग डाक टिकटों का संग्रह करते हैं उसी प्रकार जर्मनी के लोग किलों और महलों का संग्रह व संरक्षण करते हैं। यह सामंती व्यवस्था की विरासत है जिसने 1871 के एकीकरण तक इस क्षेत्र को जागीर बना दिया था।
बुर्ग एलिज(BurgEltz) घने जंगल के बीच में स्थित है। मोजेल नदी की घाटी में स्थित यह किला इतिहास की अनेक कहानियाँ सुनाता है। इसे जर्मनी का सबसे रोमांचकारी मध्यकालीन किला माना जाता है। लगभग 800 वर्ष पहले निर्मित इस किले को देखने के लिए पूरे यूरोप से लोग आते हैं। इसकी एक विशेषता है कि इसका कभी ध्वंश नहीं किया जा सका। इस पर अभी भी इसके मूल मालिक के परिवार का अधिकार है। किले के अंदर जाने के लिए लंबी लाइन लगी थी। इसलिए हम लोगों ने अंदर जाने का मोह त्याग दिया क्योंकि लाइन में लगने पर एक घंटे से अधिक समय लग सकता था। हम लोगों ने बाहर से ही कुछ फोटो ले लिए। इसके बाद हम लोग कोहेम के लिए रवाना हो गए। आधे घंटे में हम लोग कोहेम पहुँच गए।
कोहेम (Cochem) – कोहेम जर्मनी का एक छोटा, लेकिन बहुत सुन्दर शहर है। यहाँ पूरे यूरोप के पर्यटक घूमने और स्थानीय मदिरा का आनंद लेने के लिए आते हैं। समुद्र तल से कोहेन की ऊँचाई लगभग83 मीटर है। इस नगरपालिका क्षेत्र का विस्तार मात्र 21 वर्गकिलोमीटर में है। सेल्टिक और रोमन काल में ही कोहेमबस गया था। 866 में विलाकुचेमा(V।lla cuchema) के रूप में इसका उल्लेख मिलता है। इतिहास में इस शहर के अन्य कई नामों का उल्लेख मिलता है। इसके लिए कुहकेमे, चकेमे, कोचेमे,कुचेमे (Cuhckeme , Chuckeme,Cocheme, Cuchme) इत्यादि नामोंका उल्लेख किया गया है। 18वीं शताब्दी में इसे वर्तमान नाम‘कोहेम’ प्राप्त हुआ। 1332 में कोहेम को शहर के अधिकार दिए गए और उसके तुरंत बाद शहर की किलेबंदीकी गई। 1423 और 1425 के बीच इस शहर में प्लेग महामारी का प्रकोप हुआ था। 1794 से कोहेम फ्रांसीसी शासन के अधीन था। अनेक वर्षों तक कोहेम फ्रांसीसी शासन के अधीन रहा। द्वितीय विश्वयुद्ध में कोहेम शहरका एक बड़ा भाग नष्ट कर दिया गया। इसके बाद इसका पुनर्निर्माण किया गया। इस शहर को अनेक युद्धों का सामना करना पड़ा, लेकिन इस शहर ने हार नहीं मानी। कोहेम की ऊपरी घाटी में अंगूर की खेती होती है। यहाँ अंगूर का पर्याप्त उत्पादन होता है जिसमें से 60% अंगूर का उपयोग शराब बनाने के लिए किया जाता है। कोहेम मोजेल (Moselle) नदी के तट पर स्थितहै।
मोसेल (Moselle) – यूरोप के सबसे व्यस्त अंतर्देशीय जलमार्गों में से एक है। इस कस्बानुमा शहर की जनसंख्या लगभग 6000 है। यहाँ बहुत शांति है। यहाँ किसी को कोई हड़बड़ी नहीं है, कोई व्यस्तता और शहरों जैसा रेलमपेल नहीं है। रेस्टोरेंट या बार में बैठकर लोग धीरे-धीरे शराब का आनंद ले रहे थे, लेकिन कमाल की बात है कि वे संजीदा भी नहीं थे- आए थे हँसते खेलते मयखाने में ‘फिराक’ जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए। (फिराक़ गोरखपुरी)
यूरोपीय शराबखोरी पर अनेक भारतीय नाक भौं सिकोड़ते हैं और उनकी संस्कृति को घटिया सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। हाल ही में नीदरलैंड का भ्रमण कर वापस लौटे एक बुजुर्ग मित्र से मैंने पूछा कि उन्हें नीदरलैंड कैसा लगा तो उन्होंने डच लोगों के सिगरेट और शराब पीने की आदतों को लेकर मुझे पूरा दर्शनशास्त्र पिला दिया। मुझे लगा था कि उन्हें नीदरलैंड में कुछ तो अच्छा लगा होगा। इसलिए मैंने उनसे पूछ लिया, लेकिन मुझे क्या पता था कि उन्हें वहाँ शराब और सिगरेट के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखेगा- बे पिए ही शराब से नफरत, ये जहालत नहीं तोफिर क्या है। (साहिरलुधियानवी)
लकड़ी के बने मकान, अंगूर के बाग़, आकर्षक रेस्तरां, सराय और कोहेम किला इस शहर के मुख्य आकर्षण हैं। पर्यटकों को कोहेम की शराब संस्कृति के प्रति आकर्षित करने के लिए प्रत्येक वर्ष मई के अंत अथवा जून के आरंभ में कोहेम-वेन-वोक उत्सव का आयोजन किया जाता है। हम लोगों ने नाव में बैठकर एक घंटे तक मोजेल नदी के साफ़-सुथरे जल का अवलोकन करते हुए कोहेम शहर का दीदार किया। नौकायन के बाद हमलोगों ने शहर की गलियों में भ्रमण किया। लगभग सात बजे हम लोगों ने डेन बॉस के लिए प्रस्थान किया और ग्यारह बजे घर पहुँच गए।
कोलोन (Coln,Cologne)-13 मई 2023 को हम लोगों का दूसरा जर्मनी दौरा था। हम लोग जर्मनी के प्रमुख नगर कोलोन Cologne का भ्रमण करने गए। डेनबॉस नीदरलैंड से कोलोन जर्मनी की दूरी 180 किलोमीटर है। हम लोग दिन में दस बजे घर से निकले और लगभग बारह बजे कोलोन पहुँच गए। कार से यूरोप का भ्रमण करना आसान होता है, समय भी कम लगता है और थकान भी नहीं होती है।
कार को पार्क कर हम लोगों ने सर्वप्रथम राइन नदी(Rh।ne R।ver) के तट पर पहुंचकर उसका सिंहावलोकन किया। राइन नदी पश्चिमी यूरोप कीप्रमुख नदी है जिसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। यह इस महाद्वीप की महान नदियों में से एक है। राइन की लंबाई लगभग 1,320 किलोमीटरहै। इसका अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में उपयोग किया जाता है। राइन नदी यूरोप के प्रमुख परिवहन मार्गों में से एक है। दुनिया की किसी भी नदी के किनारे इतने पुराने और प्रसिद्ध शहर नहीं बसे हैं। इस नदी के बारे में यूरोप में अनेक किंवदंतियाँ और मिथक प्रचलित हैं। अनेक महाकाव्यों में इस महान नदी का वर्णन मिलता है। द्वितीय विश्वयुद्ध में राइन नदी के किनारे स्थित कोलोन नगर बर्बाद हो चुका था, लेकिन अपनी जिजीविषा के बल पर यह पुनः उठकर खड़ा हुआ एवं विकास व समृद्धि का महाकाव्य रच दिया। कोलोन शहर किसी जीवंत पाठ्यपुस्तक की तरह लगता है। यहाँ गति है, प्रगति है, लेकिन ठहराव और उदासी नहीं है। यहाँ मध्ययुगीन चर्च, द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत निर्मित इमारतें और वास्तुशिल्प के अद्भुत नमूने देखने को मिलते हैं।
कोलोन जर्मनी का चौथा बड़ा शहर है जिसकी स्थापना रोमन ने ईसा पूर्व 38 में की थी। यह मध्यकाल में जर्मनी का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। कोलोन अपने 12 महान चर्चों औरविशेष रूप से कोलोनकैथेड्रल के लिए प्रसिद्धहै। कोलोन की जड़ें प्रथम शताब्दी में देखी जा सकती हैं। जब इसे रोमन प्रांतीय राजधानी और सैन्य शक्ति केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। पर्यटकों के लिए इस शहर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसने अपने लंबे इतिहास को संरक्षित करके रखा है ।इस शहरके पर्यटन स्थलों में रोमन अवशेष, मध्ययुगीन चर्च, बारोक महल और संग्रहालय हैं जो कला और साहित्य के प्रति जर्मन लोगों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।
कोलोन के विभिन्न उत्पादों जैसे,सुगंध, सरसों और चॉकलेट भी बहुत प्रसिद्ध हैं।
कोलोन कैथेड्रल – राइन नदी के तट पर स्थित प्रसिद्ध कोलोन कैथेड्रल को देखे बिना कोलोन का भ्रमण अधूरा रहता है। अतः हमलोगों ने कैथेड्रल को देखने का निश्चय किया। ऊँचाई की दृष्टि से यह यूरोप का दूसरा तथा विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कैथेड्रल है। यह यूरोप की स्थापत्य कला का अनूठा नमूना है। इतना भव्य, इतना विशाल और स्थापत्य कला की दृष्टि से अनुपम इसकैथेड्रल का निर्माण करने में कई सौ साल लगे। इसका निर्माण 1248 में आरंभ हुआ और कई सौ वर्षों तक इसका निर्माण कार्य चलता रहा। पूरे विश्व से प्रतिदिन लगभग बीस हजार लोग इसका भ्रमण करने के लिए आते हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध में इस पर 14 बम गिराए गए थे जिससे यह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था,फिर भी यह खड़ा रहा। युद्ध से हुए नुकसान की मरम्मत 1956 में पूरी की गई।
कोलोन शहर में घूमने के लिए सबसे दिलचस्प जगहों की सूची में पहला स्थान कोलोन कैथेड्रल का है। यह चर्च यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल है। यह चर्च गॉथिक संरचना के लिए प्रसिद्ध है। इस चर्च के 157 मीटर ऊंचे दो टावर हैं। इसकी आंतरिक साज सज्जा अद्भुत है। इस कैथेड्रल में तीन राजाओं के अवशेष हैं। इस कैथेड्रल को आधिकारिक तौर पर कैथेड्रल ऑफ सेंट पीटर और सेंट मैरी कहा जाता है। यह आश्चर्यजनक इमारत उच्च गोथिक वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है। यह यूरोप के सबसे बड़े चर्च में से एक है। इसे मध्य युग की सबसे महत्वाकांक्षी निर्माण परियोजना माना जाता है। इसका विस्तार 6,166 वर्ग मीटर में है और इसकी छत 56 स्तंभों पर टिकी हुई है। इनमें स्थानीय सुनारों द्वारा बनाई गई 12वीं शताब्दी के तीन राजाओं के अवशेष हैं। दो घंटे इसे देखने में बीत गए। हल्की वर्षा भी होने लगी, लेकिन अधिक ठंड नहीं थी। एक स्वेटर पहनकर घूमा जा सकता था।
कोलोन चॉकलेट संग्रहालय- यह कोलोन में घूमने के लिए अनोखी जगहों में से एक है। बच्चों के लिए यह विशेष रूप से रोचक संग्रहालय है। इस संग्रहालय के पीछे की कहानी दिलचस्प है। हंस इम्हॉफ ने एक चॉकलेट फैक्ट्री खरीदी जिसमें उन्हें कुछ टूटी हुई मशीनें मिलीं जो चॉकलेट बना सकती थीं। उन्होंने उनका नवीनीकरण किया और इस संग्रहालय को जन्म दिया। संग्रहालय में प्राचीन चॉकलेट रैपर, सांचे और बहुत कुछ देखा जा सकता है।
कोलोन सिटी हॉल- कोलोन का सिटी हॉल गॉथिक संरचना का सबसे अच्छा उदाहरण है जिस पर यह शहर गर्व कर सकता है। यह कोलोन में घूमने के लिएशीर्ष स्थानों में से एक है। यह सिटीहॉल1407 के आसपास बनाया गया था। उस समय यह शहर की सबसे बड़ी इमारत थी। इसमें लगभग एक सौ मूर्तियां हैं। यह इमारतदूसरे विश्व युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी, लेकिन इसका पुनर्निर्माण किया गया। यह सिटी हॉल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
होहेनज़ोलर्नब्रिज अथवा कोलोन लवलॉकब्रिज (The Hohenzollern Br।dge or LoveLock Br।dge) –इस पुल से राइन नदी और कोलोन शहर के अद्वितीय दृश्यों को देखा जा सकता है। राइन नदी पर बने सभी पुलों में से यह सबसे प्रसिद्ध है। पैदल यात्री पथ कोलोन के सुंदर दृश्य का अवलोकन करने का अवसर देता है। यह पुल कोलोन कैथेड्रल के पास में स्थित है। हम लोग पैदल ही घूमते हुए एक पुल से दूसरे पुल पर गए। दूसरे पुल कानाम होहेनज़ोलर्नब्रिज अथवा कोलोन लवलॉक ब्रिज है। इस पुल में लाखों ताले लगे हुए हैं। ये ताले प्रेम के प्रतीक हैं। अपने प्रेम को अमर बनाने के लिए लाखों प्रेमी-प्रेमिकाओं ने ताले लगाकर चाबी को राइन नदी में फेंक दिया है। होहेनज़ोलर्नब्रिज(The HohenzollernBr।dge) प्रेम की अमरता का संदेश देता है।
राइन नदी को पार करने वाला यह पुल दिव्य प्रेम का संदेश देता है। कोलोन लव लॉक ब्रिज में ताले लगाने का रिवाज वर्ष 2008 में शुरू हुआ। तब से तालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। 2011 में 40,000 तालों की गिनती की गई थी, लेकिन अब यह संख्या लाखों में हो चुकी होगी। नए यातायात मार्ग बनाने के लिए इस ब्रिज का निर्माण वर्ष 1907 में शुरू हुआ था।इसके निर्माण में चार वर्ष लगे। चार साल बाद इसका उद्घाटन जर्मन सम्राट विल्हेम ने किया था। द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने से कुछ समय पहले यह ब्रिज नष्ट हो गया था। 1948 से 1959 तक इसका पुनर्निर्माण किया गया।
मूल रूप से यह पुल रेलवे और सड़क दोनों पुल था। 1945 ई. में इसके विनाश और उसके बाद के पुनर्निर्माण के बाद यह केवल रेल और पैदल यात्री यातायात के लिए ही सुलभ था। यह जर्मनी में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला रेलवे पुल है जिस पर प्रतिदिन 1,200 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं। पुराने पुल के विध्वंस के बाद 1907 और 1911 के बीच इस पुल का निर्माण किया गयाथा। होहेनज़ोलर्नब्रिज द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान जर्मनी के सबसे महत्वपूर्ण पुलों में से एक था। लगातार हवाई हमलों से भी इस पुल को कोई खास नुकसान नहीं हुआ। 6 मार्च 1945 को जब मित्र देशों की सेना ने कोलोन पर हमला शुरू किया तो जर्मनसैन्य इंजीनियरों ने पुल को उड़ा दिया। 8 मई 1945 को जर्मनी के आत्मसमर्पण के बाद पुलको शुरू में अस्थायी आधार पर चालू किया गया था। 8 मई 1948 तक पैदल यात्री फिर से होहेनज़ोलर्न ब्रिजका उपयोग कर सकते थे। होहेनज़ोलर्नब्रिज की कुल लंबाई 409.19 मीटर (1,342.5फीट) है। प्रेमी-प्रेमिका के इस अमर सेतु पर पैदल घूमने के बाद हम लोग थक गए थे। अतः हम लोगों ने घर लौटने का फैसला किया। जर्मनी के इत्र और क्रीम उत्तम माने जाते हैं। इसलिए रास्ते में कुछ इत्र और क्रीम की खरीदारी की गई। हम लोग शाम 8.00 बजे डेन बॉस स्थित अपने घर पहुँच गए। नीदरलैंड में इन दिनों शाम नौ बजे तक उजाला रहता है।