समाज में आज यह बहुत तेजी से देखने को मिल रहा है कि वर्तमान समय में कुछ अपराधिक प्रवृत्ति के लोग रिश्तों का नाजायज फायदा उठा रहे हैं।(समाचार पत्र पत्रिकाओं से मिली जानकारी के अनुसार) ठगी का नया धंधा बनाने वाले कुछ लोग पैसे वाले परिवार में लड़कियों की शादी करके वरपक्ष को दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा के नाम पर डरा धमकाकर पैसे वसूल रहे हैं और वरपक्ष के लोगों को आर्थिक एवं मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं। वरपक्ष के लोग भी समाज और मान मर्यादा के डर से चुपचाप सब कुछ सहने को मजबूर हैं। अब बहुओं का शोषण कम दामादों का शोषण अधिक हो रहा है।
आज के दौर में घरेलू हिंसा का शिकार केवल स्त्री ही नहीं पुरुष भी है एक समय था जब सास ननद द्वारा बहुओं का उत्पीड़न किया जाता आज स्थिति इसके विपरीत है । जब से नया महिला कानून आया है, महिला आयोग बना है ऐसे महिलाओं ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। पति-पत्नी के छोटे-छोटे झगड़ों के बीच में लड़के और लड़की के मां-बाप को बहुत हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर लड़की की मां द्वारा लड़की को भड़काने की बजाय। समझाने की जरूरत है। लड़की की मां द्वारा लड़कों को दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा आज का डर दिखाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। युवाओं में आत्महत्या का यह भी एक कारण है। आज की शिक्षित बेरोजगारी के समय में हर युवा स्वयं में परेशान है ऐसे में उसको मानसिक रूप से प्रताड़ित करना आत्महत्या को बढ़ावा देना है।
आज एक बार फिर आवश्यकता नियमों में बदलाव की है। किसी एक पक्ष की बात ना सुनकर मामले की पहले निष्पक्ष जांच हो उसके बाद जो भी दोषी हो उसे सजा दी जाए। चाहे वह वरपक्ष हो या कन्यापक्ष । जांच के पहले पुलिस का हस्तक्षेप उचित नहीं है। केवल वरपक्ष को कटघरे में खड़ा करना बिना जांच के उचित नहीं है। नहीं तो यह काला कानून ना जाने कितनों मांओं की गोद सुनी कर देगा और देश के स्वर्णिम भविष्य पर कालिख पोत देगा। क्योंकि युवा ही देश का भविष्य होता है। जब युवा ही नहीं होगा तो देश की उन्नति कहां से होगी।