‘मनीषियों की दृष्टि में संस्कृत’ नामक पुस्तक डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय ‘साहित्येन्दु’ द्वारा प्रणीत है। यह कौण्डिन्य साहित्य सेवा समिति पटेलनगर, कादीपुर, सुल्तानपुर (उ.प्र.) से प्रकाशित है। इसका मूल्य 300 रुपया है। इसका प्रथम संस्करण 2017 ई. में प्रकाशित हुआ है।
इस पुस्तक में लगभग 30 उत्कृष्ट शोधपत्र हैं। यथा-विदेशी मनीषियों की दृष्टि में संस्कृत, माननीय मनीषी न्यायमूर्तियों की दृष्टि में संस्कृत, भारतीय मनीषियों की दृष्टि में संस्कृत, मुस्लिम मनीषियों की दृष्टि में संस्कृत, अनुसूचित जाति के मनीषियों की दृष्टि में संस्कृत, पुस्तक के आलेखों में विभिन्न समाचार पत्रों में, डॉ.अम्बेडकर और संस्कृत इत्यादि। पुस्तक में संस्कृत पर विभिन्न विद्वानों द्वारा दिये गये व्यक्तव्यों को भी संकलित किया गया है। डॉ.पाण्डेय को इस बात के लिए साधुवाद दिया जा सकता है कि उनकी संस्कृत के प्रति जो श्रद्धा है वह किसी जनसामान्य के बस की बात नहीं है। इन्होंने सन् 2000-2017 ई. तक के समाचार पत्रों को किस प्रकार संभाल कर रखा होगा वही समझते होंगे। डॉ.पाण्डेय के निबन्धों के अवलोकन से यह स्पष्ट ज्ञात होता है कि उनकी भाषा सरल, सरस तथा मनोरम है। क्लिष्टता, दुरुहता का अभाव है। जिससे भाषा सहजगम्य हो जाती है। इनकी भाषा पूर्णत: परिष्कृत और सुसंस्कृत है। नि:सन्देह यह पुस्तक उन नए शोधार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित होगी जिन्होंने शोध के लिए अभी नया-नया कदम रखा। वे लेखक के इस कार्य से यह सीख प्राप्त कर सकते हैं कि शोध सामग्री का संकलन किस प्रकार किया जाता है और शोधपत्र किस प्रकार लिखा जाता है। संस्कृत को समझने और जानने के लिए यह एक पठनीय तथा संग्रहणीय पुस्तक है।