आदरणीय नरेश नाज़ जी द्वारा संस्थापित ‘अंतरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच’ के गुजरात स्थित मध्य इकाई की मासिक ऑनलाइन गोष्ठी 23 अगस्त 2022 को सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई। आज के कार्यक्रम में एक विशेष आयोजन था, अहमदाबाद की प्रांतीय अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मंजु महिमा की पुस्तक “मैं भी बोलूँ…तुम भी बोलो” का लोकार्पण समारोह। मुख्य अतिथि डॉ. रचना निगम, विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री प्रबोध गोविल, पुस्तक लोकार्पण के लिए आमंत्रित आज के विशेष अतिथि सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉ. विमला भंडारी तथा सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉ. मंजरी शुक्ला की उपस्थिति ने आज के कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।
कार्यक्रम में तकनीकी संयोजक के रूप में आदरणीय अशोक कौशिक, कार्यवाहक अध्यक्षीय निदेशक के रूप में सुश्री मीरा जगनानी, कार्यक्रम निदेशक के रूप में सुश्री कविता पंत ने तथा उपाध्यक्ष की भूमिका में सुश्री लीना खेरिया ने कार्यक्रम में इंद्रधनुषी रंग बिखेर दिए। लीना खेरिया जी के मुख से स्वरचित भावभीनी सरस्वती वंदना सुनकर पटल पर उपस्थित सभी के चेहरे मां वीणापाणि के प्रति भक्ति भाव से भर गए।
सरस्वती वंदना के पश्चात लीना खेरिया जी ने मध्य इकाई के कार्यवाहक अध्यक्ष सुश्री मीरा जगनानी को अपने अध्यक्षीय संबोधन के लिए आमंत्रित किया। मीरा जी ने अपने अध्यक्षीय प्रवचन में सभी आमंत्रित मेहमानों का स्वागत करते हुए, सुश्री मंजु महिमा जी को उनकी पुस्तक के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज की काव्य गोष्ठी में कुछ अलग बात है। हमारे मेहमान हमारी गोष्ठी की शान है। अध्यक्षीय प्रवचन के बाद मीरा जी ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए सुश्री कविता पंत को आमंत्रित किया। कार्यक्रम की बागडोर संभालते हुए कविता जी ने मंच की जिलाध्यक्ष, सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मधु सोसि जी को पुस्तक पर अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया।
आदरणीय मधु सोसि जी ने पुस्तक के बारे में अपनी बात रखते हुए कहा कि इस नन्हीं-सी पुस्तक का विशालकाय रूप अद्भुत है, जिसे कोई हिन्दी प्रेमी ही लिख सकता है। चार भागों में विभाजित यह निराली पुस्तक माता-पिता, कवि, लेखक, विद्यार्थी, शिक्षक सभी के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी। उन्होंने कहा कि विदेशों में बाल साहित्य बहुत प्रसिद्ध है। हमारे यहाँ बहुत कम है, लेकिन बदलाव आ रहा है। मनुष्य के बचपन के अनुभव ही उसके पूरे व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करते हैं, चाइल्ड इज़ द फादर ऑफ मैन।
इस बात के समर्थन में मधु जी ने, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1948 में प्रकाशित रोमानियाई उपन्यासकार ज़हरिया स्टैंकू के उपन्यास “डेस्कुलु” (अंग्रेजी अनुवाद – बेयर फुट) का उद्धरण दिया। उन्होंने कहा कि एक साक्षात्कार में इस उपन्यास के लेखक ज़हरिया स्टैंकू ने अपने बचपन की एक घटना के बारे में बताया था कि उनके पड़ोस में एक लड़की रहती थी जो हर रोज़ नंगे पाँव ही उनके साथ खेलने आती थी। उसके नंगे पाँव उनके दिल में ऐसे जम गए कि उन्होंने अपने उपन्यास का शीर्षक ही “बेयर फुट” (नंगे पाँव) रख दिया! मंजु महिमा जी को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उन्होंने अपनी बात समाप्त की।
कविता जी ने पुस्तक लोकार्पण के लिए उपस्थित विशेष अतिथि आदरणीय डॉ. विमला भंडारी और और डॉ. मंजरी शुक्ला जी को आमंत्रित किया। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सभी ने मंजु जी को हार्दिक बधाई दी। पुस्तक लोकार्पण के बाद कविता जी ने डॉ. विमला भण्डारी जी का संक्षिप्त परिचय देते हुए, उन्हें पुस्तक के बारे में अपना अभिमत देने के लिए आमंत्रित किया। सलिला संस्था की संस्थापक डॉ विमला भंडारी जी ने इस शुभ अवसर पर दोहरी ख़ुशी जताई। पहली, लोकार्पण समारोह में उनका शामिल होना, दूसरी हाल ही में गठित हुई ‘राजस्थान बाल साहित्य अकादमी’ में उनका बतौर सदस्य नियुक्त होना।
पुस्तक को हर अर्थ में सुंदर बताते हुए उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में व्याकरण की कोई त्रुटि नहीं है। अंग्रेजी की तुलना में बच्चों को हिन्दी भाषा ज्यादा मुश्किल लगती है क्योंकि वे अंग्रेजी भाषा के अभ्यासी हैं। अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है तो सीखनी चाहिए, लेकिन हिन्दी से परहेज भी नहीं होना चाहिए। भारत में भी प्रचुर बाल साहित्य लिखा गया है, लेकिन उसका प्रचार कम हो रहा है। विदेशों में तो बाल साहित्य के पात्र बिकते हैं। उनके स्टूडियो बने हैं। अपनी बात समाप्त करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह राजस्थान में पहली ‘बाल साहित्य अकादमी’ बनी, उसी तरह दूसरे राज्यों में भी जब बनेगी तब इस साहित्य को अपनी पहचान ज़रूर मिलेगी।
विमला जी के संभाषण के बाद कविता जी ने सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार, आकाशवाणी प्रयागराज में उद्घोषक डॉ. मंजरी शुक्ला का संक्षिप्त परिचय देते हुए उन्हें पुस्तक की समीक्षा करने के लिए आमंत्रित किया। मंजरी जी ने कहा कि बच्चा बोलना तो सीख जाता है, उसे लिखने में दिक्कत होती है। किसी भी भाषा को सीखने के लिए उसको बोलने का अभ्यास पहले किया जाता है। मंजु जी ने इस पुस्तक में हर ‘मात्रा’ पर एक कविता लिखी है। छोटे बच्चों को लय में कविताएँ सुनाना पसंद होता है। इससे बच्चे ख़ुशी-ख़ुशी हिन्दी भाषा का सही उच्चारण सीख सकेंगे, साथ ही पूछी गई पहेलियों के माध्यम से अपनी बुद्धि और सोचने की क्षमता का भी विकास कर सकेंगे।
विशिष्ट अतिथि आदरणीय श्री प्रबोध गोविल जी ने मंजु महिमा जी को इस पुस्तक की बधाई देते हुए कहा कि मधुर भाषिणी मंजु जी की लेखनी में नवीनता है। उनकी कलम बहुत सशक्त है। बच्चों के लिए ही नहीं, बड़ों के लिए भी सही और शुद्ध व्याकरण की आवश्यकता है। हमें इसी तरह हर कार्यक्रम में अपना सृजन जोड़ना चाहिए।
महिला काव्य मंच की (गुजरात) की अध्यक्ष आदरणीय डॉ. रचना निगम जी ने पुस्तक पर सभी अतिथियों की समीक्षा की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पुस्तक विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाएगी। दुनिया के अन्य विकसित देशों की तरह हमारे देश में भी बाल साहित्य का विजुलाइजेशन होना बहुत जरूरी है। यदि ऐसे पात्र लिखे जाते हैं, तो विदेशों में प्रख्यात पात्रों की तरह वे भी प्रसिद्ध हो सकते हैं। हमें उम्मीद है कि नई पीढ़ी इस काम को आगे बढ़ाएगी।
अंत में मंजु जी ने इस पुस्तक की रचना प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि इस पुस्तक के बीज तो वर्ष 1990 में ही पड़ चुके थे, जब वे ‘एकलव्य’ स्कूल में अपनी सेवाएं दे रही थीं। बच्चों के कहे शब्द ‘वी हेट हिन्दी’ ने उन्हें गहराई से छुआ और अपने जुनून से उन्होंने इन बच्चों की हिन्दी भाषा में रुचि जगाई और बच्चों को हिन्दी सिखाई। हर रचना का एक समय आता है। देर हुई फिर भी उन्हें ख़ुशी हैं कि वे इस सुंदर पुस्तक की रचना कर पाईं। आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रकाशित यह पुस्तक निश्चित रूप से भारतीयों की नई पीढ़ी के लिए प्रकाशस्तंभ सिद्ध होगी।
मंजु महिमा जी के धन्यवाद ज्ञापन के बाद कविता जी ने काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया। सुश्री मुक्ता मेहता, सुश्री स्मृति श्रीवास्तव, सुश्री छाया वर्मा, सुश्री हेमिशा शाह, सुश्री चेतना अग्रवाल, सुश्री दीपमाला, सुश्री लीना खेरिया, सुश्री मधु महेश्वरी, सुश्री मल्लिका मुखर्जी, सुश्री प्रमिला कौशिक, सुश्री मधु सोसि, डॉ प्रणव भारती, सुश्री मंजु महिमा, सुश्री कविता पंत, डॉ. रचना निगम, सुश्री मीरा जगनानी जी, उपस्थित सभी कवयित्रियों ने शानदार काव्य पाठ किया।
बच्चों के मनोविज्ञान को केन्द्र में रखकर लिखी कविताओं का पाठ सुनकर सभी की आँखें नम हो गईं। ‘जा रहा हूँ माँ तुझे अकेला छोड़कर, कब तक जीऊँ तन्हा दौलत को ओढ़कर.. ’, किन परिस्थितियों में बचपन की खुशियाँ छिन जाती हैं उसका दिल को झकझोर देने वाला चित्रण डॉ. रचना निगम की कविता में था। बाल विवाह की विसंगतियाँ, इंटरनेट के युग में संवादविहीन होता जा रहा समाज, बाल तस्करी जैसे ज्वलंत विषय भी अन्य कविताओं में शामिल थे। वरिष्ठ कवयित्री डॉ. प्रणव भारती जी की कविता ‘चंपक चूहा चला मदरसे, खटपट करता निकला घर से।’, सेवा निवृत्त प्राध्यापिका, वरिष्ठ कवयित्री सुश्री मधु माहेश्वरी जी की कविता, ‘चिड़ियाँ है प्यारी प्यारी…’ जैसी बच्चों के मनोभावों को दर्शाती बाल सुलभ कविताओं का पाठ सुनकर सभी के चेहरे बच्चों की तरह खिल उठे। भगवान श्रीकृष्ण की जन्म जयंती और नंद महोत्सव के तुरंत बाद बाल सुलभ कविताओं का रसास्वाद एक अनूठा अनुभव था।
कार्यक्रम के अंत में उपाध्यक्ष लीना जी ने मंच पर उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन के साथ जिलाध्यक्ष मधु सोसि जी, प्रांतीय अध्यक्ष मंजु महिमा जी और डॉ. प्रणव भारती जी, तकनीकी संचालक श्री अशोक कौशिक जी, कार्यवाहक अध्यक्ष मीरा जगनानी जी तथा सुंदर संचालन के लिए कविता पंत जी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए, अगली काव्य गोष्ठी का इंतज़ार झलकाती सुंदर पंक्तियों के साथ कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।