‘जर्नी टू रूट्स’ एक ऐसा प्रयास है जो हमारी मानवीय जड़ों की ओर वापस लौटने की अवधारणा के साथ-साथ हमारे होने का प्राकृतिक तरीके जो कि प्यार, आनंद और खुशी है, की अवधारणा पर आधारित है। संस्था के रूप में हम 2018 जनवरी से पंजीकृत और लगातार कार्यरत हैं। यहां सभी गतिविधियां, लोगों को उनके वास्तविक अस्तित्व की झलक दिखाने और स्वयं की जड़ों से जुड़ने की पेशकश करती हैं जहाँ से जीवन की उत्पत्ति होती है। हम बहुआयामी संगठन हैं जो चार प्रमुख शाखाओं पर काम करता है। हम धीरे-धीरे बदलाव लाने के लिए 360 डिग्री के समग्र दृष्टिकोण में विश्वास करते हैं।
जिन चार स्तंभों पर हम काम करते हैं:
1. पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से सेल्फ हीलिंग को बढ़ावा देना:-
महीने का पहला सप्ताह इन गतिविधियों के लिए समर्पित है। हम लोगों को उनके सच्चे ‘स्व’ की झलक देने के लिए व्याख्यान, कार्यशालाएं, साझा मंडलियाँ और आध्यात्मिक मिलन का आयोजन करते हैं और उन्हें अपने भीतर के बंधन को फिर से बनाने में मदद करते हैं।
2. पर्यावरण और अन्य प्राणियों के साथ सद्भाव:-
आम तौर पर महीने के हर दूसरे सप्ताह में हम इन कार्यक्रमों को जागरूकता के लिए और मनुष्यों और प्रकृति के बीच के बंधन को फिर से बनाने के लिए आयोजित करते हैं।
प्रकृति: जंगल की यात्रा (आगरा में वन्यजीव और जैव विविधता संरक्षण और जागरूकता से जुड़ा कार्यक्रम)
प्रकृति: तृष्णा अभियान (आवारा पशुओं और पक्षियों के खान-पीन के लिए जागरूकता कार्यक्रम)
प्रकृति: सस्टेनेबल लिविंग (विशेषज्ञ वार्ता के माध्यम से जीवन जीने के वैकल्पिक तरीकों के बारे में जागरूकता)
3. सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं का संरक्षण एवं प्रसार(विशेषकर आगरा):-
उपर्युक्त विषय पर चर्चा करना एवं उनकी विरासत का जश्न मनाना, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कलात्मक प्रयासों को उजागर करते हुए एवं बढ़ावा देते हुए लोगों को उनकी रचनात्मकता को उजागर करने में मदद करना।
इस स्तंभ के तहत हम विभिन्न कार्यक्रम करते हैं:
• गुफ़्तगू: सदस्यों और गैर-सदस्यों के लिए अपने दिल की बात कहने के लिए एक मासिक बैठक।
• कारवां: जर्नी टू रुइन्स (आगरा और उसके आसपास भूले-बिसरे इतिहास का संरक्षण)
• कवितायें: उन कवियों/शायरों को समर्पित जिनकी कविता और शायरी ने हमें समय की पटरी पर चलने के तौर-तरीके सिखाये एवं समाज को एक सशक्त दिशा प्रदान की या कर रहे हैं।
• किताबें: किताब जो हमारे मन में घर कर जाती हैं। यह पुस्तक प्रेमियों के लिए एक साझा बैठक है।
• चल रहे सामाजिक मुद्दों के बारे में कार्यशालाएं और वार्ता: तलफुज, चॉकलेट बनाना, फोटोग्राफी, पेंटिंग, नृत्य आदि। (ऑनलाइन और ऑफलाइन) इतिहास, कला, साहित्य या संगीत आदि के विभिन्न विषयों पर व्याख्यान और वार्ता (ऑनलाइन और ऑफलाइन) का आयोजन। किसी भी अच्छे कलाकार के ज़रिए उनकी और उनके जैसे कलाकारों की कला का समर्थन करने के लिए कला की प्रशिक्षित कार्यशालाओं का आयोजन।
4. समाज के अति पिछड़े वर्गों के उत्थान हेतु:-
• रसोई: उन लोगों के साथ बैठने और खाने का मासिक कार्यक्रम जो हमारे बराबर नहीं हैं या हम जितने संपन्न नहीं है, और जिन्हें तंगी के एक बड़े कुनबे ने घेर रखा है। सरल शब्दों में कहा जाए तो अलगाव की भ्रांति को दूर करने के लिए।
• ज़रुरत: वस्तुओं के वितरण का एक कार्यक्रम जिसे हम घर पर उपयोग नहीं करते हैं लेकिन उन्हें अपनी अलमारी में रखते हैं। यह री-साईकल, री-यूज़ को बढ़ावा देने जैसा है।
• शिक्षा: झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को नियमित शिक्षण को छोड़कर विभिन्न कलात्मक चीजों से अवगत कराना।
●कम्यून:
कम्यून एक विशाल हृदय है – जो सभी विभिन्न क्षेत्रों के सभी प्रकार के लोगों को सभी सुंदर रंगों और व्यक्तिगत रंगों के साथ जोड़ने और एक दूसरे के साथ घुलने-मिलने की अनुमति देता है। ताकि, हम एक-दूसरे के व्यक्तित्व की सराहना कर सकें, उन्हें स्वीकार कर सकें कि वे कौन हैं और यह पाते हैं कि हमारे मतभेदों और हमारी व्यक्तिगत कहानियों में, हम सभी समान भावनाओं को साझा करते हैं।
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अपार कृतज्ञता और प्रेम के साथ
-इरम अकरम (फाउंडर जर्नी टू रूट्स)
संयोजन: शिवम खेरवार