“हिंदी ग़ज़ल से संबंधित महत्वपूर्ण लेखन एवं उत्सुक पाठकों के बीच सोशल मीडिया को एक पुल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।” यह कथन 21 मार्च 2021 को गूगल मीट के माध्यम से हिंदी के वरिष्ठ ग़ज़लकार ज़हीर कुरेशी के लेखन पर केन्द्रित वेबसाइट zaheerqureshi.com को लोकार्पित करते हुए युवा ग़ज़लकार के. पी. अनमोल ने कहा। उन्होंने बताया कि वे इस वेबसाइट का संयोजन कर उन्हें बहुत गौरव हुआ।
कर्मभूमि अहमदाबाद के सौजन्य से आयोजित इस ई-कार्यक्रम का सञ्चालन हिंदी के युवा ग़ज़लकार मनीष ‘बादल’ ने किया। उन्होंने कार्यक्रम में अपना मत रखते हुए ज़हीर कुरेशी जी के जीवन से जुड़े कुछ व्यक्तिगत पहलुओं पर सार्थक चर्चा की। कर्मभूमि अहमदाबाद की सह-संस्थापक तथा हस्ताक्षर वेब पत्रिका की संस्थापक एवं संपादक प्रीति ‘अज्ञात’ ने कार्यक्रम के अतिथिगण एवं श्रोताओं का परिचय अपनी संस्था कर्मभूमि अहमदाबाद से करवाया। इसके साथ ही उन्होंने ज़हीर कुरैशी जी से अपनी पहली मुलाक़ात तथा उसके बाद उनसे मिले स्नेह तथा अपनेपन का विशेष उल्लेख किया।
उल्लेखनीय है कि ज़हीर कुरेशी सोशल मीडिया से अब तक दूरी बनाए हुए थे। इस कारण उनके पाठकों तथा प्रशंसकों को उनकी रचनाओं तथा उनसे जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए उन्हें इधर-उधर खोजना पड़ता था। हालाँकि कविता कोश सहित कुछ माध्यमों पर उनकी ग़ज़लें संग्रहित हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं। बकौल के.पी.अनमोल, “नव ग़ज़लकार हिंदी ग़ज़ल की संरचना को समझने तथा ज़हीर सर की लेखन सामग्री के लिए मुझसे बार-बार पूछते थे। इसलिए यह ख़याल आया कि उनका लेखन एक ही मंच पर उपलब्ध हो। मैंने उनसे आग्रह किया लेकिन उन्होंने कई बार नकारने के बाद अंततः यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। उन्हें राजी करने में मनीष ‘बादल’ जी का भी सहयोग रहा।”
कार्यक्रम में हिंदी साहित्य अकादमी, महाराष्ट्र के आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ ग़ज़ल आलोचक डॉ. मधु खराटे ने ज़हीर कुरैशी के ग़ज़ल लेखन पर एक महत्वपूर्ण वक्तव्य रखा, जिसमें उन्होंने कहा कि ज़हीर कुरैशी ग़ज़ल साहित्य में छन्दमुक्त और मुक्तछन्द कविता जैसा आचरण करते हुए उसे समकालीन कविता के समकक्ष ले जाते हैं। वे नवाचार के साथ ग़ज़ल की हर आवश्यकता को पूरा करते हैं, इसलिए ‘भीड़ से अलग’ खड़े नज़र आते हैं।
वरिष्ठ हिंदी ग़ज़लकार एवं ग़ज़ल आलोचक हरेराम समीप ने इस वेबसाइट के शुभारम्भ को हिंदी ग़ज़ल जगत के लिए ख़ुशी की ख़बर बताया और कहा कि यह वेबसाइट उनके पाठकों के लिए एक ऐसी खिड़की है, जिससे वे ज़हीर कुरेशी के विस्तृत रचना आकाश को जब और जहाँ चाहे, देख परख सकते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में ज़हीर कुरेशी के लेखन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि वे संभवतः पहले ऐसे समर्थ ग़ज़लकार हैं, जिन्होंने ग़ज़ल के लिए हिंदी भाषा की सामर्थ्य की पहचान की है,नए मानक तैयार किये हैं।
कार्यक्रम के अंत में ज़हीर कुरेशी ने उर्दू ग़ज़ल से हिंदी ग़ज़ल की ओर आने तथा अपने इस निर्णय के बाद आने वाली कठिनाइयों पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने अपने वक्तव्य में अंततः सोशल मीडिया की महत्ता स्वीकारने की घोषणा भी की। उन्होंने सञ्चालक तथा कुछ श्रोताओं के आग्रह पर अपनी दो ग़ज़लें भी प्रस्तुत कीं।
गूगल मीट पर हुए इस सफल विमोचन कार्यक्रम में रवि खण्डेलवाल जी, सुनीता लुल्ला जी, मल्लिका मुखर्जी जी, मधु सोसी जी, कमल कर्मा जी, विनय आनंद जी, मुस्तुफ़ा ख़ान जी सहित अनेक श्रोताओं ने भाग लिया तथा अंत तक बने रहे। कर्मभूमि अहमदाबाद की सह संस्थापक नीरजा भटनागर जी ने इस कार्यक्रम का तकनीकी पक्ष अत्यंत कुशलता के साथ संभाला।