विश्व संगीत दिवस एवं विश्व योग दिवस (21 जून) की पूर्व संध्या पर 20 जून 2021 को “कर्मभूमि-अहमदाबाद” एवं वेब पत्रिका “हस्ताक्षर” के पटल पर दो युवा बहनों हिमाली व्यास नायक तथा वनश्री व्यास का एक विशेष ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्थापक नीरजा भटनागर ने कार्यक्रम की शुरुआत में संगीत और योग का सम्बन्ध बताते हुए मेहमानों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया।
हिमाली व्यास नायक, संगीत विशारद हैं। उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से वेस्टर्न रॉक और पॉप संगीत का प्रशिक्षण भी लिया है। वे पूरे भारत, तथा विश्व के अनेक देशों में पंद्रह से अधिक वर्षों से भारतीय शास्त्रीय, क्षेत्रीय, लोक संगीत और फ्यूजन संगीत परफॉर्म कर रही हैं। वनश्री व्यास योग एलायंस इंटरनेशनल से एक प्रमाणित मल्टी स्टाइल योग और लाइफस्टाइल कोच हैं, वे एक रेकी हीलर और वजन घटाने की विशेषज्ञ भी हैं।
हिमाली ने अपनी मधुर आवाज में गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम की शुरुआत में ‘नाद ब्रह्म’ की व्याख्या करते हुए कहा कि संगीत एक ऐसी विधा है, जो प्रत्येक मानव के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई है। ‘नाद ब्रह्म’ संगीत का उद्गम है। मनुष्य की वाणी नाद का ही स्वरूप है। प्रत्येक श्वास-प्रश्वास में जो गति होती है, वह ‘ताल” को अभिव्यक्त करती है। उन्होंने “संगीत सम्राट तानसेन” की फिल्म के गीत को स्वर देकर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया – जीवन को गीत जान, सांस सांस जैसे तान, हर धड़कन लय समान….
वनश्री ने ओंकार ध्वनि से कार्यक्रम की शुरुआत की और कहा कि आयुर्वेद की प्राचीनता वेदों के काल से ही सिद्ध है। सभी वेदों में आयुर्वेद के महत्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन है। महर्षि पतंजलि का नाम सबसे आगे माना जाता है। दोनों बहनों के संवाद के माध्यम से कार्यक्रम बड़े रोचक तरीके से आगे बढ़ता रहा। वनश्री ने बताया कि योग की शुरुआत ओंकार ध्वनि से की जाती है क्योंकि सर्वप्रथम मन को स्थिर किया जाता है। उन्होंने ‘प्राणायाम’ के प्रकार तथा इस महामारी के समय आवश्यक ऑक्सीजन स्तर को बनाए रखने के लिए ‘प्राणायाम’ के महत्व को समझाया। साथ ही स्ट्रेस मैनेजमेंट का संक्षिप्त इतिहास भी बताया। हठ योग, विन्यास योग, पावर योग जैसे योग के विभिन्न प्रकारों पर चर्चा करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि योग तन और मन में सामंजस्य बिठाने का काम करता है। अगर आप अपना काम तन्मयता से करते हैं, तब भी वह योग है। योग सिर्फ़ शारीरिक व्यायाम नहीं है, एक जीवन पद्धति है। यह तनाव को भी कम करता है।
हिमाली ने कहा, ‘हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के राग स्ट्रोंग फॉर्म ऑफ़ आर्ट है तथा संगीत का प्रकृति से गहरा नाता है। हमारे जो त्यौहार हैं, वे भी संगीत से जुड़े हैं।’ राग मल्हार, उसके विविध प्रकार की चर्चा करते हुए, बारिश के सेलिब्रेशन की एक बंदिश सुनाई। साथ ही गुजरात के वडनगर की दो बहनें, कुशल गायिकाएं ताना-रीरी की कहानी सुनाई जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर के दरबार में संगीत सम्राट तानसेन के दीपक राग गाये जाने पर, उनके बदन में फैली आग जैसी गर्मी को राग मल्हार गाकर शांत किया था। हिमाली ने अपनी सुरीली आवाज में गुजराती फिल्म “ताना-रीरी” का गीत गाया – गरज गरज वरसो जलधर’ शीतल जलथी स्पर्शो…
वनश्री ने कार्यक्रम को आगे बढाते हुए पोस्ट कोविड परेशानियों को कम करने के उपाय के साथ-साथ इम्युनिटी बढाने के लिए खाने में क्या क्या ध्यान रखना चाहिए, लाइफ स्टाइल को कैसे चेंज करना चाहिए, पर विस्तृत चर्चा की।
हिमाली ने कहा, ‘म्यूजिक थेरेपी से रागों को परफॉर्म करके बेसिक एंजाइटी दूर की जाती हैं। राग भैरवी, जयजयवंती, भीम पलाशी उपचार के लिए गाए जाते हैं। राग यमन के बारे में विस्तृत चर्चा की, अपनी सुरीली आवाज में कुछ गीत भी सुनाए. छुपा लो दिलमें ये प्यार मेरा…, चन्दन सा बदन…, जब दीप जले आना जब शाम ढाले आना…, अहेसान तेरा होगा मुझ पर…, हिमाली ने यह भी बताया कि उन्हें मदन मोहन जी के संगीतबद्ध किये गाने बहुत पसंद हैं। कुछ गानों की पंक्तियाँ भी सुनाई -जिया ले गयो जी मोरा सांवरिया…, ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है, कहीं ये वो तो नहीं…, निगाहें मिलाने को जी चाहता है…, सूफी गीतों में, गज़लों में भी राग यमन का प्रयोग हुआ है। एक फरमाइश पर उन्होंने नरसिंह राव दिवेटिया लिखित एक गुजराती प्रार्थना गाई-
प्रेमळ ज्योति तारो दाखवी मुज जीवन पंथ उजाळ,
दूर पड्यो निज धामथी हुं ने घेरे घन अंधकार…
मार्ग सूझे नव घोर रजनीमां निज शिशुने संभाळ,
मुज जीवन पंथ उजाळ….
हिमाली ने इस प्रार्थना की रचना के पीछे की कहानी भी बताई कि यह रचना बहुत पहले एक ईसाई कैथोलिक कार्डिनल, जॉन हेनरी न्यूमैन की मूल अंग्रेजी में लिखी प्रार्थना का भावानुवाद है।
Lead, Kindly Light
Lead, Kindly Light amidst
th’encircling gloom, Lead Thou me on!
The night is dark and I am far from home,
Lead Thou me on!…
हमारे देश में संगीत की विविधता की चर्चा करते हुए हिमाली ने वर्ल्ड म्यूजिक के बारे में भी उत्तम जानकारी दी। दुनिया के अलग-अलग देशों में ओपेरा म्यूजिक, पॉप म्यूजिक, रॉक म्यूजिक, अफगानी म्यूजिक ऐसे बहुत सारे संगीत हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका के सिविल वॉर के समय ब्लैक अफ्रीकन गुलामों की ऐतिहासिक स्थिति से उत्पन्न हुआ गीत-संगीत, बाद में ब्लैक एंड ब्लू कहा जाने लगा।
इन कलाकार बहनों ने संगीत और योग के सम्बन्ध के बारे मे यही कहा कि संगीत साधना व योग साधना दोनों से मनुष्य के जीवन में शक्ति का विकास होता है। अतः कहा जा सकता है कि शरीर तथा मन को स्वस्थ, प्रफुल्लित रखने के लिए योग शास्त्र व संगीत शास्त्र दोनों समान रूप से आवश्यक है। रागों से जहां मन को शांति मिलती है योग के जरिए शारीरिक बीमारियों को दूर किया जाता है। म्यूजिक थेरेपी को भी दुनिया मान चुकी हैं। वैदिक विज्ञान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत चिकित्सा प्रभाव होने का दावा किया है।
अंत में प्रश्नोत्तरी सेशन में दर्शकों में से स्मिता ध्रुव के प्रश्न- ‘योग का कौन सा आसन अधिक लाभदायक है?’ के जवाब में वनश्री ने कहा कि वैसे हठयोग सबसे पुराना है। फिर भी हर आसन का एक अलग महत्त्व है। हमारे शरीर को जो सूट करता है वही करना चाहिए। योगा टीचर की सलाह लेनी चाहिए। मल्लिका मुखर्जी के छंदमुक्त कविताओं को संगीतबद्ध किये जाने के विषय पर किये गए प्रश्न के जवाब में हिमाली ने कहा कि भारत में ये कॉन्सेप्ट नया है, लेकिन विदेश में करीब बीस पचीस सालों से यह ट्रेंड है। लोग छंदमुक्त गाने ख़ुद ही लिखते हैं, खुद कम्पोज करते है और खुद ही गाते हैं उसे फ्री म्यूजिक के रूप में भी जाना जाता है।
अतिथियों एवं सभी दर्शकों को धन्यवाद देते हुए, संस्थापक प्रीति ‘अज्ञात’ ने इस रोचक कार्यक्रम का समापन किया।
कार्यक्रम को इस लिंक पर देखा जा सकता है-